भोपाल गैस त्रासदी : एंडरसन के निधन से याद आया मौत का मंजर
बैंगलोर| युनियन कार्बाइड के पूर्व प्रमुख वारेन एंडरसन का बुधवार को निधन हो गया। 1984 में युनियन कार्बाइड के संयंत्र से निकली जहरीली गैस के प्रभाव में भोपाल में हजारों लोगों की मौत हो गई थी। 'न्यूयार्क टाइम्स' के अनुसार, फ्लोरिडा के वेरो बीच स्थित एक स्वास्थ्य केंद्र में 29 अक्टूबर को उनका निधन हो गया। वह 92 साल के थे। उनके निधन की खबर की जानकारी हालांकि, उनके परिवार ने नहीं दी है। इसकी पुष्टि सरकारी रिकार्ड से हुई है।
हालांकि एंडरसन का निधन दुखद है लेकिन एंडरसन की वजह से आज एक बार फिर से लोगों के जहन में 30 साल पुराना जख्म हरा हो गया है। आज भोपाल गैस त्रासदी के 30 साल पूरे होने वाले हैं। दिसंबर 1984 में घटित भोपाल गैस त्रासदी भारत के इतिहास में वह काला अध्याय है जिसे शायद ही कभी भुलाया जा सकता है।
शर्मनाक! गैस गैस कांड में हुई मौतों पर भी कर डाला फर्जीवाड़ा
भारत के मध्य प्रदेश राज्य के भोपाल शहर मे 3 दिसम्बर सन् 1984 को एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना हुई। इसे भोपाल गैस कांड, या भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कम्पनी के कारखाने से एक हानिकारक गैस का रिसाव हुआ जिससे लगभग 15000 से अधिक लोगो की जान गई तथा बहुत सारे लोग अंधापन के शिकार हुए।
15000 से अधिक लोगो की जान गई
इस भयंकर काण्ड में हजारों लोगों की जान लेने के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड ने शुरू से ही अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया। और बेबस जिन्दगी अपनी लाचारी पर आंसू बहाती रही। लोगों के हो -हल्ला मचाने पर इस दुख भरे दास्तान की फाइल खुली तो ..लेकिन इस फाइल के खुलने में लग गये पूरे 25 साल। साल 2010 में न्यायालय के फैसले ने इस त्रासदी में शिकार लोगों के परिवार को और दुखी कर दिया। क्योंकि कोर्ट ने सात दोषियों को दो साल की सजा और एक लाख रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया लेकिन सजा सुनाने के कुछ ही देर बाद सभी आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया।
सात दोषियों को दो साल की सजा और एक लाख रुपये से अधिक का जुर्माना
एंडरसन इस हादसे के चार दिन बाद भोपाल पहुंचे थे, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन जमानत मिलने के बाद वह स्वदेश चले गए और फिर कभी मामले की सुनवाई के लिए वापस नहीं आए। भारतीय अधिकारियों ने उनके प्रत्यर्पण के लिए कई बार अनुरोध किया, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिला, जिसके बाद एक न्यायाधीश ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया।
एंडरसन के निधन से याद आया मौत का मंजर
आज एंडरसन इस दुनिया में नहीं हैं, इंसानियत के कारण हम उनकी आत्मा की शांति के लिए ऊपर वाले से प्रार्थना करते हैं लेकिन क्या सच में गैंस कांड की त्रासदी के शिकार हुए लोग एंडरसन के लिए ऐसी प्रार्थना कर रहे होंगे। शायद उनके जज्बातों को 'मस्तराम आवारा' की ये लाईनें चरितार्थ कर सकें....
मयखाने
में
वह
हर
जाम
के
साथ
अपने
गम
को
भुला
आते
हैं
पर
उतर
जाता
है
जब
नशा
तो
फिर
गम
और
ज्यादा
सताते
हैं
महफिलों
में
मय
बंटती
है
अमृत
की
तरह
पीकर
लोग
बहक
जाते
हैं
जाम
की
कुछ
बूंदों
में
ही
भद्र
लोगों
के
नकाब
उतर
जाते
हैं....
क्या आप हमारी बात से सहमत हैं अपने विचार से हमें जरूर अवगत करायें, अपनी प्रतिक्रिया नीचे लिखे कमेंट बॉक्स में दर्ज करायें..हमें इंतजार है आपकी राय जानने का।