Bhima Koregaon Violence: सुरक्षा एजेंसियों को शक, पुणे हिंसा के पीछे नक्सलियों का हाथ
नई दिल्ली। पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर आयोजित कार्यक्रम में जिस तरह से नफरत और हिंसा की होली खेली गई, वो बेहद ही निंदनीय हैं, इसकी जहां चौतरफा निंदा हो रही है वहीं दूसरी ओर इस मसले पर सियासत भी गर्म हो गई है क्योंकि इस नफरत की चिंगारी ने पूरे महाराष्ट्र को सुलगा दिया है। फिलहाल इस मामले में एक और चौंकाने वाली खबर आई है कि इस पूरी घटना के पीछे नक्सलियों का हाथ था। अंग्रेजी अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया' की खबर के मुताबिक सुरक्षा एजेंसियों को ऐसी जानकारी हाथ लगी है, जो इस बात का इशारा करती है कि दलित संगठनों का आंदोलन एक सोची-समझी साजिश है।
नक्सल फ्रंट ऑर्गनाइजेशंस की 'यलगर परिषद'
नक्सलियों ने जानबूझकर हिंसा को हवा दी जिससे कि बवाल मचे और पूरे महाराष्ट्र में दलितों के आंदोलन को फैलाया जा सके। आपको बता दें कि भीमा-कोरेगांव की हिंसा से ठीक एक दिन पहले मुंबई में नक्सल फ्रंट ऑर्गनाइजेशंस की 'यलगर परिषद' की मीटिंग हुई थी।
तार नक्सलियों से जुड़े
उस सभा के जो दस्तावेज सामने आए हैं, उनके आधार पर एजेंसियों ने ये बात कही है क्योंकि जो लोग 'यलगर परिषद' की सभा में शामिल हुए थे, उसमें से अधिकांश लोग सरकार विरोधी हैं।
सीएम देवेंद्र फडणवीस
आपको बता दें कि सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी इस बात की आशंका जताई थी कि इस हिंसा के पीछे वामपंथी अतिवादी संगठनों का हाथ हो सकता है, हालांकि उन्होंने ये भी कहा था कि इस पूरे मामले की जांच होगी और जो लोग इसके लिए जिम्मेदार होंगे उन्हें सजा जरूर मिलेगी।
'पेशवाई'
पुलिस के मुताबिक अगर इस पूरी हिंसा पर गौर किया जाए तो आप पाएंगे कि प्रदर्शनकारियों ने काफी सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है, काफी बसों में तोड़फोड़ की गई, शायद वो सरकार को अपना गुस्सा दिखा रहे थे क्योंकि पिछले कुछ दिनों से कुछ लोग शब्द 'पेशवाई' को अलग ढंग से परिभाषित करने में लगे हुए हैं।
नई पेशवाई दफना दो कब्रिस्तान में...
आपको बता दें कि पेशवाओं के कथित दमनकारी शासन के लिए 'पेशवाई' शब्द का प्रयोग होता था। वो सरकार को 'नई पेशवाई' संबोधित कर रहे हैं। पेपर के मुताबिक यलगर परिषद की मीटिंग के जो दस्तावेज सामने आए हैं, उसमें से एक पर ये नारा लिखा है कि 'सबक दिया है भीमा-कोरेगांव ने, नई पेशवाई दफना दो कब्रिस्तान में।'
पूरा महाराष्ट्र सुलगता दिखा
गौरतलब है कि पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर आयोजित एक कार्यक्रम में दो गुटों के बीच भड़की हिंसा ने उग्र रुप धारण कर लिया, इस हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई है और कई लोग घायल हो गए, जिस व्यक्ति की मौत इस जातीय हिंसा में हुई वो एक दलित था। जिसके बाद हिंसा भड़क गई, पुणे हिंसा की चिंगारी में बुधवार को पूरा महाराष्ट्र सुलगता दिखा, मुंबई समेत राज्य के कई इलाकों से तोड़फोड़-आगजनी की गई लेकिन एक्टिविस्ट और भीमराव अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर ने दावा किया कि कल का बंद सफल और शांतिपूर्ण रहा। मालूम हो कि प्रकाश अंबेडकरने ही इस बंद को बुलाया था। उन्होंने कहा कि पुणे में जो भी कुछ हुआ वो बहुत गलत हुआ, हमने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई , पुणे में एक दलित की मौत हो गई, जो कि किसी तरह से न्याय संगत नहीं है।
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