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भीमा कोरेगांव युद्ध की 201वीं वर्षगांठ, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, कई नेता हिरासत में

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नई दिल्ली। भीमा कोरेगांव युद्ध के 201 वर्ष पूरे होने के मौके पर पुणे में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में लाखों की संख्या में दलित इकट्ठा होंगे। ऐसे में इस कार्यक्रम को देखते हुए इस बार प्रशासन पूरी तैयारी कर रहा है। सुरक्षा के मद्देनजर कई अहम कदम उठाए जा रहे हैं जिससे कि किसी भी तरह की अनहोनी को टाला जा सके। भीमा कोरेगांव में बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है। माना जा रहा है कि भीमा कोरेगांव में लाखों की संख्या में लोग प्रदेशभर से इकट्ठा होंगे।

क्यों खास है भीमा कोरेगांव

क्यों खास है भीमा कोरेगांव

आपको बता दें कि ब्रिटिश राज में तीसरा एंग्लो मराठा युद्ध हुआ था, जिसमे 834 जवानों ने ब्रिटिश सेना की ओर से मराठाओं से युद्ध लड़ा था। ब्रिटिश सेना में अधिकतर जवान दलित महर समुदाय के थे, जबकि दूसरी ओर पेशवा बाजीराव 2 के 28000 सैनिकों की मजबूत फौज थी। लेकिन दलित बाहुल्य इस ब्रिटिश टुकड़ी ने पेशवा के जवानों को इस युद्ध में मात दी थी। इस जीत के बाद ब्रिटिश सेना ने यहां दलितों के सम्मान में एक मेमोरियल बनाया था। जहां हर वर्ष 1 जनवरी को भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। यह परंपरा पिछले 200 सालों से चली आ रही है।

पिछले वर्ष हुई थी हिंसा

पिछले वर्ष हुई थी हिंसा

गौर करने वाली बात है कि पिछले वर्ष भीमा कोरेगांव में तकरीबन तीन लाख लोग जमा हुए थे लेकिन यहां हिंसा भड़क गई थी, जिसमे एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। हिंसा के बाद पूरे महाराष्ट्र में 3 जनवरी को बंद का ऐलान किया गया था, जिसके बाद एक बार फिर से देश में जाति और विचारधारा की राजनीति के बीच टकराव देखने को मिला था। इस हिंसा के बाद पुलिस ने इसमे शहरी माओवादियों का हाथ होने की बात कही थी । पुलिस ने भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद और सात अन्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था। साथ ही मलाड, घाटकोपर, कांदीवली, दादर, वर्ली से 350 एक्टिविस्ट को भी गिरफ्तार किया गया था।

कई नेता नजरबंद

कई नेता नजरबंद

भीमा कोरेगांव की 201 वीं वर्षगांठ को देखते हुए चंद्रशेखर आजाद को मनाली के एक होटल में नजरबंद किया गया है और उनपर किसी भी रैली को संबोधित करने की पाबंदी है। उनके सहयोगी सुनील गायकवाड़, बालराज दाभड़े, सचिन बट्टेबहादुर, अखिल शाक्य, प्रवीण बनसोदे को भी इसी होटल में नजरबंद किया गया है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने राइट विंग लीडर संभाजी भिड़े, मिलिंद एकबोटे, लेफ्ट एक्टिविस्ट एनजीओ, कबीर काला मंच पर भी पाबंदी लगा दी है। राज्य सरकार ने बॉबे हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसके बाद कोर्ट ने भीमा कोरेगांव का पूरा नियंत्रण राज्य सरकार को दिया है जिससे कि भीमा कोरेगांव युद्ध की 201वीं वर्षगांठ पर किसी भी तरह की कोई अनहोनी ना हो।

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English summary
Bhima Koregaon: Tight security ahead of 201st anniversary of the epic battle many leaders detained.
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