भीमा कोरेगांव मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला, चार हफ्ते और नजरबंद रहेंगे पांचों वामपंथी कार्यकर्ता
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नई दिल्ली। भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपी पांच एक्टिविस्ट की गिरफ्तारी के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। आपको बता दें कि भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में एक्टिविस्ट वरवरा राव, अरुण फरेरा, वरनॉन गोन्साल्विस, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा को उनके घर में नजरबंद करके रखा गया है। कोर्ट ने इन सभी एक्टिविस्ट के हाउस अरेस्ट को चार हफ्ते तक बढ़ाने का भी आदेश दिया है। इस मामले में इन सभी एक्टिविस्ट को एक और बड़ा झटका लगा है, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एसआईटी के गठन से भी इनकार कर दिया है।
कोर्ट ने पुणे पुलिस को इस मामले की जांच करने की अनुमति भी दी है। कोर्ट ने कहा कि ये सभी आरोपी राहत के लिए ट्रायल कोर्ट का रुख कर सकते हैं। कोर्ट के फैसले के बाद वर्नान गोन्साल्विस की पत्नी और वकील सुसान अब्राहम ने खुशी जताते हुए कहा कि हम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने हमारे हस्तक्षेप को सही माना है और हमे चार हफ्ते का समय दिया गया है ताकि निचली कोर्ट में अपील कर सके। हम निसंदेह निचली कोर्ट में अपील करेंगे।
एक्टिविस्ट वरवरा राव, वेरनॉन गोनसाल्विस, अरुन फरेरा, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा 30 अगस्त से घर में ही नजबंद हैं। इन्हें महाराष्ट्र पुलिस ने 28 अगस्त को गिरफ्तार किया था। इनपर आरोप था कि इन सभी लोगों के माओवादियों के साथ लिंक हैं, जिन्होंने मिलकर पुणे में 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव स्थित एल्गर परिषद की में हमला करवाया था। इससे पहले 20 सितंबर को कोर्ट ने अपना फैसला इस मसले पर सुरक्षित रख लिया था।
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