भीमा कोरेगांव केस की जांच केंद्र ने NIA को सौंपी, महाराष्ट्र में गरमाई सियासत
नई दिल्ली। भीमा-कोरेगांव केस की जांच केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी है। वहीं, केंद्र सरकार के इस फैसले की महाराष्ट्र सरकार ने निंदा की है। महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि इस बारे में राज्य सरकार से पूछा नहीं गया। एक दिन पहले ही महाराष्ट्र सरकार ने भीमा कोरेगांव हिंसा की समीक्षा करने का फैसला किया था।
केंद्र सरकार के फैसले पर महाराष्ट्र सरकार के मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि जब राज्य सरकार इस मामले की तह में जा रही थी, तब ये फैसला लिया गया। एक दिन पहले ही महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने कहा था कि पुलिस को मिले सबूतों के आधार पर उनके द्वारा इसकी जानकारी मिलने के बाद इस केस की समीक्षा की जाएगी, इसके बाद वे किसी नतीजे पर पहुंचेंगे।
Ministry of Home Affairs (MHA) hands over Bhima Koregaon case to NIA (National Investigation Agency). pic.twitter.com/tWeXB27UhS
— ANI (@ANI) January 25, 2020
बता दें कि 1 जनवरी, 2018 को पुणे के भीमा-कोरेगांव में हिंसा हुई थी। इस हिंसा में 1 व्यक्ति की जान चली गई थी जबकि कई अन्य घायल हो गए थे। विरोध प्रदर्शनकारियों ने सरकारी संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचाया था। पुणे पुलिस का दावा था कि 31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद में भड़काऊ भाषणों के कारण हिंसा भड़की थी। इस मामले में पुलिस ने आनंद तेलतुंबड़े की कई माओवादियों से बातचीत के सबूत मिलने का दावा किया था।
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पुलिस ने इस हिंसा के मामले में एक्टिविस्ट और वामपंथी विचारकों नेगोसाल्विज, अरुण फरेरा, सुधा भरद्वाज, गौतम नवलखा, वरवर राव को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने जांच के बाद पांच अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया जिनमें सुधीर धलवे, रोना वल्सन, शोमा सेन, सुरेंद्र गडलिंग, महेश राउत शामिल हैं। वहीं, महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना के गठबंधन वाली सरकार बनने के बाद शरद पवार की पार्टी एनसीपी के नेताओं ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी। इन नेताओं ने भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपियों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को बंद करने की मांग की थी।