जानिए, भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर रावण क्यों नहीं लड़ेंगे मोदी के खिलाफ चुनाव?
नई दिल्ली- वारणासी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने के ऐलान के लगभग एक महीने बाद भीम आर्मी चीफ ने अपना फैसला वापस ले लिया है। अब वे वाराणसी से मोदी के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ेंगे। बुधवार को भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद रावण ने कहा कि वो अब इस क्षेत्र में एसपी-बीएसपी गठबंधन को सपोर्ट करेंगे।
फैसले का ये कारण बताया
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद रावण के मुताबिक उन्होंने मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला इसलिए वापस लिया है, ताकि वे चाहते हैं कि दलित वोटों का बंटवारा न हो। अब उन्होंने कहा है कि अगर बीएसपी-एसपी गठबंधन यहां ब्राह्मण चेहरा सतीश मिश्रा को भी उतराती है, तो वे उनका समर्थन करेंगे। उनके मुताबिक, "मैंने फैसला किया है कि वाराणसी से चुनाव नहीं लड़ूं, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि मेरे फैसले से बीजेपी या मोदी को किसी तरह से मदद मिले। हम सभी बीजेपी को हराना चाहते हैं।" उन्होंने कहा कि अगर गठबंधन सतीश मिश्रा को उतारती है, तो उन्हें ऊंची जातियों के भी वोट मिलेंगे। उन्होंने बाकी सीटों पर भी महागठबंधन के समर्थन का ऐलान किया है। गौरतलब है कि महागठबंधन ने वाराणसी से किसी उम्मीदवार का नाम तय नहीं किया है।
मायावती के बयान का असर?
चंद्रशेखर का यह यू-टर्न मायावती के उस बयान के कुछ दिनों बाद आया है, जब उन्होंने भीम आर्मी चीफ पर बीजेपी के एजेंट होने का आरोप लगाया था। अब मायावती की आलोचना के बारे में उन्होंने कहा है कि, "हमारे अपने लोग हमें बीजेपी का एजेंट बता रहे हैं, लेकिन मैं अभी भी चाहता हूं कि वो प्रधानमंत्री बनें।" पिछले 14 अप्रैल को ही मध्य प्रदेश के महू में अंबेडकर की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि 'दलितों की असली शुभचिंतक भीम आर्मी है, मायावती नहीं।' उन्होंने अखिलेश यादव पर भी यह कहकर हमला बोला था कि, "उनके पिता (मुलायम) ने संसद में कहा था कि, वे चाहते हैं कि मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनें। इसलिए वे लोग बीजेपी के एजेंट हैं, मैं नहीं।"
पहले क्या हुआ?
चंद्रशेखर ने कुछ समय पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से मेरठ के एक अस्पताल में मुलाकात के बाद कहा था कि वे वाराणसी में मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। पिछले महीने दिल्ली की एक रैली में भी उन्होंने इसका ऐलान किया था। बाद में वे कांग्रेस के खिलाफ भी हमलावर हो गए थे और कहा था कि उसने 60 सालों में दलितों के लिए कुछ भी नहीं किया। दरअसल, चंद्रशेखर आजाद रावण मई 2017 में यूपी के सहारनपुर में दलित और कुछ ऊंची जातियों में हिंसक झड़पों के बाद सुर्खियों में आए थे। इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया था। बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद वे 16 महीने बाद सितंबर 2018 में जेल से छूटकर बाहर निकले।
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