चंद्रशेखर ने अपने नाम से हटाया 'रावण' उपनाम, हटाने की वजह भी बताई
सहारनपुर हिंसा के मामले में रासुका हटाए जाने के बाद जेल से रिहा हुए भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद लगातार भारतीय जनता पार्टी पर जुबानी हमला बोल रहे हैं।
नई दिल्ली। सहारनपुर हिंसा के मामले में रासुका हटाए जाने के बाद जेल से रिहा हुए भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद लगातार भारतीय जनता पार्टी पर जुबानी हमला बोल रहे हैं। चंद्रशेखर अपनी हर मीटिंग में समर्थकों से कह रहे हैं कि अब उनका मकसद भाजपा को 2019 में सत्ता से उखाड़ फेंकना है। इस बीच चंद्रशेखर ने अपने नाम से 'रावण' उपनाम हटा लिया है। चंद्रशेखर ने 'रावण' उपनाम हटाने के पीछे की वजह भी बताई है। चंद्रशेखर ने कहा है कि अब अगर किसी समाचार पत्र या न्यूज चैनल ने उनके नाम के साथ 'रावण' शब्द इस्तेमाल किया तो वो कानूनी कार्रवाई करेंगे।
'रावण को भूलिए, चंद्रशेखर को याद रखिए'
रविवार को सहारनपुर में अपने समर्थकों और मीडियाकर्मियों के सामने चंद्रशेखर ने कहा, 'जेल से छूटने के बाद मैंने महसूस किया कि रावण उपनाम जुड़ने के कारण उनकी लड़ाई को एक अलग दिशा में समझा जा रहा है। वैसे भी मेरे किसी भी शैक्षिक प्रमाणपत्र या पहचान पत्र में नाम के आगे रावण नहीं लिखा है। मेरी लड़ाई किसी धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि दलितों के अधिकारों के लिए है। आज के बाद रावण को भूल जाइए, केवल चंद्रशेखर को याद रखिए। आज के बाद अगर कोई अखबार या चैनल मेरे नाम चंद्रशेखर के साथ रावण उपनाम इस्तेमाल करेगा तो फिर मैं कोर्ट जाऊंगा।'
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'साजिश के तहत भाजपा ने रिहा किया'
आपको बता दें कि चंद्रशेखर को मई 2017 में सहारनपुर हिंसा के मामले में गिरफ्तार करने के बाद उनके ऊपर रासुका लगाई गई थी। बीते गुरुवार को चंद्रशेखर के ऊपर से यूपी सरकार द्वारा रासुका हटाए जाने के बाद समय से पहले ही उन्हें रिहा कर दिया गया। जेल से निकलते ही चंद्रशेखर ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि उनकी रिहाई भी एक साजिश के तहत की गई है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार फिर से उन्हें किसी मामले में फंसाकर जेल में डाल सकती है।
मायावती ने कहा- मेरा कोई संबंध नहीं
चंद्रशेखर ने जेल से बाहर आकर बयान दिया कि भीम आर्मी का पूरा समर्थन महागठबंधन को होगा और उनके संगठन का एक भी व्यक्ति भाजपा को वोट नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि बीएसपी की अध्यक्ष मायावती मेरी बुआ हैं। उन्होंने दलित समाज के लिए बहुत काम किया है, उनसे हमारा किसी तरह का कोई विरोध नहीं है। वहीं, मायावती ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भीम आर्मी या चंद्रशेखर से उनका कोई संबंध नहीं है। मायावती ने कहा कि अगर उन्हें काम करना है तो बीएसपी के झंडे के नीचे आकर काम करें, अलग संगठन बनाकर नहीं।
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