इमरान मसूद के बाद मौलाना मदनी से मिले चंद्रशेखर, यूपी में बड़े सियासी समीकरण के संकेत
भाजपा पर लगातार हमलावर दिख रहे चंद्रशेखर ने मंगलवार को देवबंद में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलान अरशद मदनी से मुलाकात की।
नई दिल्ली। जेल से निकलने के बाद भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद अब 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। भाजपा पर लगातार हमलावर दिख रहे चंद्रशेखर ने मंगलवार को देवबंद में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलान अरशद मदनी से मुलाकात की। दोनों के बीच बंद कमरे में करीब 20 मिनट तक बातें हुईं। पहले कांग्रेस नेता इमरान मसूद और उसके बाद मौलाना अरशद मदनी से चंद्रशेखर की मुलाकात को एक बड़ी सियासी रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
बंद कमरे में हुई सीक्रेट मुलाकात
मंगलवार को चंद्रशेखर अपने कुछ साथियों के साथ सहारनपुर के देवबंद पहुंचे। चंद्रशेखर के देवबंद आने की सूचना मिलते ही उनके कुछ और समर्थक भी वहां पहुंच गए। चंद्रशेखर ने मौलाना अरशद मदनी से उनके आवास पर करीब 20 मिनट तक बंद कमरे में मुलाकात की। हालांकि, दोनों के बीच क्या बातचीत हुई, इस बारे में दोनों ने कुछ नहीं बताया। मुलाकात के बाद मौलाना मदनी खुद चंद्रशेखर को छोड़ने उनकी कार तक आए। निकलते समय चंद्रशेखर ने केवल इतना कहा कि वो व्यक्तिगत वजहों से मौलाना मदनी से मिलने आए थे।
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क्या हैं इस मुलाकात के सियासी मायने?
वहीं, इस मुलाकात के बारे में मौलाना अरशद मदनी ने बताया कि चंद्रशेखर उनसे मिलने आए थे और दोनों के बीच किसी विशेष मुद्दे पर नहीं, बल्कि सामान्य बातचीत हुई। चंद्रशेखर और मौलाना मदनी की मुलाकात के दौरान मीडिया का भी जमावड़ा था, लेकिन दोनों में से किसी ने मीडिया से बातचीत नहीं की। मौलान मदनी से चंद्रशेखर की इस मुलाकात को सियासी मायनों में पश्चिमी यूपी में एक बड़े समीकरण के तौर पर देखा जा रहा है। हाल ही में चंद्रशेखर से कांग्रेस नेता इमरान मशूद ने भी उनके घर जाकर मुलाकात की थी।
दलित-मुस्लिम समीकरण बनाने की कोशिश
सियासी गलियारों में यह चर्चा है कि चंद्रशेखर पश्चिमी यूपी में दलित-मुस्लिम समीकरण बनाकर भाजपा को हराने की योजना पर काम कर रहे हैं। जेल से छूटने के बाद चंद्रशेखर लगातार मुस्लिम नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। आपको यह भी बता दें कि बसपा सुप्रीमो मायावती सार्वजनिक तौर पर कह चुकी हैं कि भीम आर्मी या उसके संस्थापक चंद्रशेखर से उनका कोई संबंध नहीं है। मायावती का यह बयान उस वक्त आया था, जब चंद्रशेखर ने कहा था कि बसपा सुप्रीमो उनकी बुआ हैं।
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