अयोध्या फैसले पर भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर का बड़ा बयान, मायावती से फिर की साथ आने की अपील
नई दिल्ली। दिल्ली में रविदास मंदिर के तोड़े जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के मामले में जेल भेजे गए भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद ने रिहाई के बाद कहा है कि सरकार उनकी आस्था का सम्मान नहीं कर रही है। चंद्रशेखर ने एक इंटरव्यू में कहा कि अयोध्या के राम मंदिर मामले में सिर्फ आस्था है, कोई सबूत नहीं है जबकि रविदास मंदिर मामले में तमाम सुबूत हैं। इसके बावजूद दोनों पर कोर्ट और सरकार कै रवैया अलग है। साफ है कि दलितों की आस्था से सरकार को मतलब नहीं है।
अयोध्या में आस्था और दलितों का क्या?
द क्विंट के दिए एक इंटरव्यू में चंद्रशेखर ने कहा है, 'केंद्र सरकार ने अयोध्या मामले में आस्था के साथ बढ़ने का फैसल लिया था। राम मंदिर के मामले में न तो सरकार के पास कोई सबूत है न ही वकीलों के पास। ये लड़ाई सिर्फ आस्था की लड़ाई है और आस्था को देखते हुए ही ये फैसला आया। वहीं दलितों की आस्था की बात को नजरंदाज किया जाता है। रविदास मंदिर का तोड़ दिया गया। जबकि इस मामले में सबूत सुप्रीम कोर्ट को दिए जा चुके हैं। मंदिर तोड़ने पर हमने प्रदर्शन किया तो हमें जेल में डाल दिया गया।'
मायावती से फिर कही साथ आने की बात
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर ने बसपा प्रमुख मायावती को एक खुला खत लिखते हुए बहुजन मूवमेंट की ताकत को बढ़ाने को कही है। खत में उन्होंने मायावती से साथ मिलकर लड़ने की अपील की है। इस चिट्ठी को लेकर उन्होंने कहा कि वो बहुजन आंदोलन ही है जो पीएम मोदी को हरा सकता है। इसीलिए मायावती को चिट्ठी लिखकर अपील की थी कि वो साथ मिलकर बीजेपी के खिलाफ लड़ें। उन्होंने कहा मैं इसके लिए मायावती की खुशामद करने को भी तैयार हूं।
चंद्रशेखर ने की बसपा सुप्रीमो मायावती से साथ आने की अपील, कहा- मिलकर भाजपा के खिलाफ लडे़ं
हाल ही में जेल से बाहर आए हैं चंद्रशेखर
चंद्रशेखर कुछ दिनों पहले ही जेल से रिहा हुए हैं। दिल्ली के रविदास मंदिर को गिराने के मामले में हिंसक विरोध प्रदर्शन के आरोप में भीम आर्मी चीफ सहित करीब 100 लोगों को गिरफ्तार किया था। दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित रविदास मंदिर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गिरा दिया गया था, जिसका देशभर के दलित संगठनों ने विरोध किया था और वे सड़कों पर उतर आए थे, इसका विरोध करने वालों में चंद्रशेखर भी शामिल थे। जिन्हें जेल भेज दिया गया था।