भारत बायोटेक की कोवैक्सीन 81% प्रभावी, जानिए क्यों हुआ था विवाद और किन-किन नेताओं ने उठाए थे सवाल
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन 81% प्रभावी, जानिए क्यों हुआ था विवाद और किन-किन नेताओं ने उठाए थे सवाल
नई दिल्ली: भारत में जब कोरोना वैक्सीनेशन के लिए कोविशील्ड और भारत बायोटेक के स्वदेशी कोवैक्सीन को मंजूरी दी गई थी तो स्वदेशी टीका कोवैक्सीन को लेकर विवाद छिड़ गया था। वैक्सीनेशन अभियान के शुरू होते ही विपक्षी पार्टियों सहित कई लोगों ने भारत में बनी बायोटेक के स्वदेशी कोवैक्सीन पर सवाल उठाए थे। जिसपर विवाद भी हुआ था। लेकिन अब भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की ओर से विकसित किए गए देसी कोरोना टीका कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजे आ गए हैं। भारत बायोटेक का स्वदेशी कोरोना टीका ट्रायल में 81 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है। ट्रायल के नतीजे आने के बाद इसके इस्तेमाल को लेकर संभावनाएं और भी बेहतर हो गई हैं। लेकिन आइए आपको बताते हैं कि इस वैक्सीन को क्यों हुआ था विवाद और किन-किन नेताओं ने उठाए थे सवाल...।
जानिए क्यों हुआ था कोवैक्सीन को लेकर विवाद
भारत सरकार ने जब जनवरी 2021 के पहले हफ्ते में भारत बायोटेक की बनाई गई कोवैक्सीन को मंजूरी दी थी तो उस वक्त कोवैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल जारी नहीं किया गया था। इसके अलावा इफिकेसी डेटा भी उपलब्ध नहीं कराया गया था। जिसके बाद कई लोगों ने कहा था कि जब ये वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल में है तो इसे सरकार मंजूरी कैसे दे सकती है।
जानिए
किन
नेताओं
ने
उठाए
थे
सवाल?
- भारत में वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू होते ही कोवैक्सीन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस पार्टी के नेता मनीष तिवारी ने कहा था कि वैक्सीन के प्रति भरोसा पैदा करने के लिए सबसे पहले ये वैक्सीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगवानी चाहिए।
-कांग्रेस नेता शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा था, कोवैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल अभीतक पूरा भी नहीं हुआ है और सरकार ने बिना सोचे समझे इसे मंजूरी दे दी है। ये खतरनाक हो सकता है।
- समाजवादी पार्टी के प्रमुख और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा था कि वो तो ये वैक्सीन ही नहीं लगवाएंगे क्योंकि यह बीजेपी की वैक्सीन है। उन्होंने कहा था कि उन्हें इस वैक्सीन पर भरोसा नहीं है।
-कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि दुनियाभर के कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष वैक्सीन लगवा रहे हैं, क्या भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वैक्सीन को लगवाएंगे?
- कांग्रेस नेता अजीत शर्मा ने भी कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं को सबसे पहले वैक्सीन लगवानी चाहिए।
जानिए कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के बारे में?
कोवाक्सिन के तीसरे चरण के ट्रायल में 18 से 98 वर्ष की आयु के 25,800 लोगों को शामिल थे। इनमें से, 2,433 लोग 60 वर्ष से अधिक आयु के थे और 4,500 कॉमरेडिटीज (गंभीर बीमारी के लक्षण वाले लोग) थे। भारत बायोटेक के अनुसार, यह भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के सहयोग से भारत में अब तक का सबसे बड़ा क्लिनिकल ट्रायल था।
भारत बायोटेक के चेयरमैन और एमडी डॉ. कृष्णा इल्ला ने कहा है कि कोवैक्सीन विकास, विज्ञान और कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में में यह अहम दिन है। तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजे के साथ हमने कोरोना के पहले चरण, दूसरे चरण और तीसरे चरण के भी आंकड़े जापी कर दिए हैं। कोवैक्सीन कोरोना के खिलाफ प्रभावी सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही यह नए स्ट्रेन को रोकने में भी सक्षम है।
उन्होंने ये भी कहा कि कई लोगों ने हमारी इस वैक्सीन की काफी आलोचनाएं भी की हैं। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक मार्च 2021 को भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की ही डोज लगवाई है। पीएम मोदी ने कोवैक्सीन का टीका लगवाकर संदेश दे दिया था कि टीका पूरी तरह सुरक्षित है।