My Voice: भारत बंद सिर्फ पॉलीटिकल माइलेज पाने का तरीका
नयी दिल्ली। एनडीए सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के विरोध और आपनी 12 सूत्रिय मांगों को लेकर कांग्रेस व वाम समर्थित ट्रेड यूनियनों के आह्वन पर भारत बंद का असर सुबह से ही देखने को मिल रहा है। कहीं लाठी चार्ज तो कहीं तोड़फोड़, कहीं आगजनी तो कहीं पत्थरबाजी, भारत बंद के दौरान सुरक्षा व्यवस्था भी चरमरा गई है। आम लोगों को भारी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। हड़ताल करने वाले यूनियनों ने दावा किया है कि उनके सदस्यों की संख्या 15 करोड़ है जिसमें निजी और सरकारी दोनों क्षेत्र शामिल हैं। ट्रेड यूनियनों की हड़ताल से अकेले यूपी को 50 हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान
जानें क्यों बुलाई गई आज देशव्यापी हड़ताल, क्या हैं मुख्य मांगें?
इस बंद के दौरान प्रदर्शनकारियों को खुलेआम गुंड़ागर्दी करने की अनुमति मिल जाती है और परिणाम आगजनी व तोड़फोड़ के रूप में सामने आता है। शुभम ने राजनीतिक एंगल पर कहा कि भारत बंद जैसे प्रदर्शनों से पार्टियों को पॉलीटिकल माइलेज मिल जाता है और कुछ नहीं। शुभम ने कहा कि आम आदमी को सुविधाओं से दूर रखकर प्रदर्शन करना किसी भी हद तक सहीं नहीं है।
भारत बंद के पीछे की मांगे
- श्रम कानूनों में श्रमिक व कर्मचारी विरोधी बदलाव वापस लें।
- सरकारी उपक्रमों का विनिवेश और निजीकरण बंद हो।
- न्यूनतम मजदूरी 15,000 प्रति माह की जाए।
- कामगार रखने के लिए ठेका प्रणाली खत्म की जाए।
- श्रमिक विरोधी कानून लागू नहीं हो।
- अगले वर्ष जनवरी से 7वां वेतन आयोग।
- महंगाई पर रोक लगाई जाए।
- सड़क परिवहन एवं सुरक्षा विधेयक को अपने मूल रूप में रखा जाए।