ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने किया बरमूडा ट्रायंगल का रहस्य सुलझाने का दावा, पेश की नई थ्योरी
नई दिल्ली। बरमूडा ट्रायंगल 300 साल से रहस्य बना हुआ है। इसे 'डेविल्स ट्रायंगल' भी कहा जाता है। बरमूडा ट्रायंगल में समा चुके पानी के जहाज और हवाई जहाजों की बारे में पुष्ट तौर पर तो कोई आंकड़ा नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि अब तक 2000 जलपोत और 75 वायुयान इस शैतानी तिकाने में समा चुके हैं। बरमूडा ट्रायंगल को लेकर कई थ्योरी अब तक दुनिया के सामने आ चुकी हैं। किसी ने यहां एलियन की मौजूदगी का एहसास किया तो किसी ने भूतों का साया बताया। अब बरमूडा ट्रायंगल की रहस्यों से उलझी परतों को सुलझाने का दावा सामने आया है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों का दावा है कि 'रॉग वेव' के कारण बरमूडा ट्रायंगल में हादसे होते हैं। ये भयावह लहरें 100 फुट तक होती हैं, जिसकी वजह से इसकी चपेट में जो भी आता है वह नष्ट हो जाता है।
ब्रिटिश चैनल 5 की डॉक्यूमेंट्री 'द बरमूडा एनिग्मा' मतलब 'बरमूडा ट्रायंगल का रहस्य' में ब्रिटेन की साउथैम्प्टन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने यह नई थ्योरी दी है। जहां तक 'रॉग वेव' की बात है तो 1997 में इन्हें पहली बार सैटेलाइट की मदद से देखा गया था। चैनल 5 की डॉक्यूमेंट्री में एक घटना को उदाहरण बनाकर भी दिखाया गया है। इसमें यूएसएस साइक्लोप्स जहाज का मॉडल तैयार किया गया। 1918 में यह अमेरिकी युद्धपोत बरमूडा ट्राएंगल क्षेत्र में समा गया था। इस घटना में 300 लोग मारे गए थे। रिसर्च करने वालों ने इसी जहाज एक मॉडल तैयार किया, जिसकी मदद से यह पुष्टि करने में मदद मिली कि आखिर हादसे क्यों होते हैं।
वैज्ञानिक डॉक्टर सिमन बॉक्सवेल ने बताया कि बरमूडा ट्रायंगल में तूफान उठते हैं, जो कि साउथ और नॉर्थ की तरफ से एक साथ आते हैं। इसी तूफान से 'रॉग वेव' तैयार होती हैं।
बरमूडा ट्रायंगल के बारे में फैक्ट्स
- बरमूडा ट्रायंगल समंदर के 4,40,000 मील एरिया को कवर करता है। यानी राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के क्षेत्रफल को मिला लिया जाए तो भी यह आकार में बड़ा ही साबित होगा।
- जब भी कोई विमान या जलपोत ट्रायंगल के ऊपर या आसपास नजर आया वह वापस नहीं लौट सका। यहां तक कि उनका मलबा तक नहीं मिला।
- 100 वर्षों में 1000 लोगों की मौत बरमूडा ट्रायंगल में हो चुकी है। हर साल यहां औसतन चार एयरक्राफ्ट्स और 20 पानी के जहाज लापता हो जाते हैं।
- 1945 में अमेरिकी नेवी के पांच एवेंजर टॉरपिडो बॉम्बर्स 90 मिनट के अंदर गायब हो गए थे। फ्लोरिडा के फोर्ट लॉड्रेडाले से इन एयरक्राफ्ट्स सॉर्टी के लिए टेक ऑफ किया था। रेडिया ऑपरेटर्स को पहले संकेत मिला कि उनके पास मौजूद दिशा बताने वाला इक्विपमेंट कम्पास काम नहीं कर रहे हैं। इसके बाद कम्यूनिकेशन टूट गया और फिर इन बॉम्बर्स का कोई पता नहीं चला।
- अमेरिका की खोज करने वाले कोलंबस ने यहां आग का गोला देखा था। बरमूडा ट्राइंगल का पहला जिक्र क्रिस्टोफर कोलंबस के हवाले से ही मिलता है। उन्होंने लिखा था ट्रायंगल के अंदर जहाज के कम्पास ने काम करना बंद कर दिया था। इसके बाद उन्होंने आसमान में आग का गोला देखा था।