ममता बनर्जी को तगड़ा झटका, TMC विधायक अर्जुन सिंह बीजेपी में शामिल
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 के लिए तारीखों के ऐलान के नेताओं के दल बदले का दौरा शुरू हो गया है। इसी कड़ी में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के विधायक अर्जुन सिंह गुरुवार को दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं। अर्जुन सिंह का बीजेपी में शामिल होना पश्चिम बंगाल में टीएमसी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। अर्जुन सिंह जो कि भाटपार से विधायक हैं और दो दशकों से इस सीट पर उनका दबदबा रहा है।
उत्तर कोलकाता से लेकर नादिया तक है अर्जुन का प्रभाव
अर्जुन सिंह का टीएमसी छोड़ बीजेपी में जाना कही न कही पार्टी के अंदर मतभेत को उजाकर करने का काम किया है। अर्जुन सिंह को राज्य का कद्दावर नेता माना जाता है खासकर उत्तर कोलकाता से लेकर नादिया तक उनका प्रभाव है। अपने स्थानीय कनेक्शनों के कारण कई चुनावों में वो टीएमसी के लिए गेम चेंजर रहे हैं। अर्जुन सिंह के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने पंचायत चुनावों से लेकर संसदीय चुनावों तक टीएमसी के लिए जमीनी स्तर पर काम किया और बूथ प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाली हैं।
मैं बैरकपुर से मैदान में उतरने की उम्मीद कर रहा था
अर्जुन सिंह ने कहा इस बार मैं बैरकपुर से टिकट की उम्मीद कर रहा था, क्योंकि निर्वाचन क्षेत्र से उनकी अनुपस्थिति के लिए लोग त्रिवेदी से नाराज थे। लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट देने का फैसला किया। अर्जुन ने कहा कि मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं है। बता दें कि अर्जुन सिंह के बीजेपी में शामिल होने से पहले उनकी और त्रिवेदी के बीच बढ़ती दरार से परेशान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने सोमवार को दोनों नेताओं से मुलाकात कर इस मुद्दे को हल करने के लिए भी कहा था। लेकिन अंत परिणाम यही निकला कि अर्जुन सिंह ने टीएमसी छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया।
2014 के चुनाव में अर्जुन ने निभाई थी अहम भूमिका
अर्जुन सिंह के लिए कहा जा रहा है कि उन्होंने टीएमसी सांसद दिनेश त्रिवेदी के लिए ग्राउंड वर्क भी किया था जो कि बैरकपुर संसदीय क्षेत्र से जीते थे। 2014 के चुनाव में अर्जुन सिंह ने हिंदी भाषी मतदाताओं को एक छत के नीचे लाने का काम किया था और राज्य में टीएमसी ने जीत भी हासिल की थी। सूत्रों का दावा है कि अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की नीतियों और मतभेदों के कारण इस जमीनी नेता को पार्टी से अलग होना पड़ा है। मंगलवार को, उम्मीदवार की सूची जारी करते हुए, टीएमसी प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि 6 मौजूदा सांसदों को टिकट नहीं दिया गया, और वह चाहती थीं कि वे जमीनी स्तर से पार्टी को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करें।
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