इस टाइगर के नाम है सबसे शरारती बाघ का खिताब, 6 साल की सजा काटने के बाद हुआ आजाद
नई दिल्ली। क्या आपने कभी सुना है कि किसी जानवर को अपनी शरारतों की वजह से सजा भुगतनी पड़ी हो? शायद नहीं सुना होगा लेकिन ऐसा ही एक मामला दिल्ली के चिड़ियाघर में सामने आया है जहां एक बाघ को 6 साल बाद खुली हवा में सांस लेने के लिए आजाद किया गया है। अगर आप यह सोच रहे हैं कि उसने किसी की जान ली जिस वजह से उसे सजा मिली तो नहीं जनाब आप गलत हैं। दरअसल, टाइगर की शरारतों से तंग आकर चिड़ियाघर के कर्मचारियों को इसे पिंजड़े में कैद कर के रखना पड़ा।
शरारतों के चलते मिली सजा
बता दें कि चिड़ियाघर कर्मचारी इसे बी2 या बिट्टू कह कर बुलाते हैं, 6 साल में यह पहली बार नहीं है जब उसे पिंजड़े सा आजाद किया गया हो बल्कि इससे पहले भी उसे 2 बार खुली हवा में सांस लेने के लिए छोड़ा गया था। चिड़ियाघर के निदेशक सुनीश बख्शी ने बताया कि पहले भी 2 बार आजादी मिलने पर बिट्टू ने उसका गलत फायदा उठाया और अपनी ‘शरारतों' से सबको परेशान कर दिया। जिस कारण उसे फिर से अपनी आजादी खोनी पड़ी।
4 साल की उम्र में आया था दिल्ली
सुनीश
बख्शी
ने
बताया
कि
बिट्टू
पशुओं
के
आदान-प्रदान
कार्यक्रम
के
तहत
वर्ष
2004
में
भोपाल
के
वन
विहार
राष्ट्रीय
उद्यान
से
दिल्ली
के
चिड़ियाघर
में
लाया
गया
था।
उस
समय
उसकी
उम्र
महज
चार
साल
ही
थी।
सुनीश
बख्शी
आगे
बताते
हैं
कि
जब
उसे
बाड़े
में
छोड़ा
गया
तो
वह
छोटी
सी
उम्र
में
ही
ऊंचे-ऊंचे
पेड़ों
पर
चढ़
जाता
था,
इससे
उसकी
सुरक्षा
का
खतरा
खड़ा
हो
सकता
था।
हर बार पेड़ पर चढ़ जाता बिट्टू
सुनीश बख्शी ने बताया कि बिट्टू की इन हरकतों की वजह से हमें उसे पिंजड़े में बंद करके रखना पड़ा। कुछ दिन बाद हमने उसे फिर खुले में छोड़ा लेकिन उसने पिजड़े और पेड़ों पर चढ़ने की कोशिश की। सुरक्षा की दृष्टी से हमने उसे फिर से पिंजड़े में डाल दिया उसके बाद बिट्टू को फिर छोड़ा गया था। दूसरी बार छोड़े जाने के समय उसका कद भी बढ़ा हुआ था ऐसे में वह बाड़े पर भी चढ़ने की कोशिश करता। सुनीश बख्शी ने कहा कि अगर हम उसे फिर बंद ना करते तो वह बाड़े के बाहर भी आ सकता था।
क्रिसमस के दिन मिली आजादी
बिट्टू टाइगर को पिजड़े में रहते हुए कुल 6 साल बीत चुके थे ऐसे में चिड़ियाघर के अधिकारियों ने उसे फिर से आजाद करने का फैसला लिया। लेकिन इसबार उसके बाहर निकलने से पहले सुरक्षा के सभी इंतजाम पहले ही कर दिए गए थे। सुनीश बख्शी बताते हैं कि बिट्टू को 25 दिसंबर को एक बार फिर बाड़े में छोड़ा गया है। उसकी आजादी से पहले बाड़े की ऊंचाई बढ़ा दी गई और अंदर मौजूद पेड़ों की शाखाएं काट-छांट दी गई है जिससे वह फिर से उपर ना चढ़ सके।