बंगाल चुनाव: क्या TMC दे रही है संकेत, 'जय श्रीराम' के साथ गूंजेंगे 'हर-हर महादेव' के जयकारे
कोलकाता: लगता है कि बीजेपी के तुष्टिकरण के आरोपों से परेशान टीएमसी चुनाव से पहले पूरी तरह सॉफ्ट हिंदुत्व की ओर बढ़ चली है। 26 फरवरी को चुनाव तारीखों के ऐलान से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का अपने घर पर पूजा करवाने की बात खुद उनकी पार्टी के लोग कह चुके हैं। बाद में खबरें आईं कि वो ठीक 11 मार्च को ही नंदीग्राम से अपना नामांकन दाखिल करेंगी, जिस दिन महाशिवरात्रि है। हालांकि, बाद में उन्होंने साफ कर दिया कि वह शिवरात्रि के एक दिन पहले यानी 10 मार्च को ही नामांकन भर देंगी। टीएमसी सुप्रीमो इसबार सबसे मुश्किल चुनावी टक्कर का सामना कर रही हैं, ऐसे में उनका बदला हुआ सियासी अंदाज आगे क्या गुल खिलाता है, यह देखना दिलचस्प हो गया है।
'जय श्रीराम' के साथ गूंजेंगे 'हर-हर महादेव' के जयकारे!
ममता बनर्जी की सियासत में अचानक आया यह करवट बहस का अलग विषय है। लेकिन, अगर ऐसा होता है तो इसका मतलब यही होगा कि इसबार भाजपा वाले अगर 'जय श्रीराम या जय सियाराम' के जयकारे लगाएंगे तो टीएमसी के लोग 'हर-हर महादेव' और 'बम-बम भोले' का 'जयघोष' करेंगे। गौरतलब है कि चुनाव तारीखों की घोषणा से पहले भी ममता बनर्जी ने अपने आवास पर विस्तार से पूजन का आयोजन करवाया था और दावा किया जा रहा है कि इसके लिए पुरी के भगवान जगन्नाथ मंदिर से पंडितों को बुलाया गया था। अबतक बीजेपी टीएमसी पर 'राम द्रोही' होने का आरोप लगाती आई है। खासकर जब नेताजी पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में लगे जय श्रीम के नारे पर सीएम जिस कदर सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जाहिर कर चुकी हैं, उसके बाद भाजपा को उनके खिलाफ इस मुद्दे को तूल देने का मौका मिल चुका है।
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क्या भाजपा को उसकी पिच पर बैटिंग का ऑफर दे रही है टीएमसी?
ममता ने सारी अटकलबाजियों को विराम देते हुए साफ कर दिया है कि वह 10 मार्च यानी महाशिवरात्रि से एक दिन पहले हल्दिया पहुंचकर नंदीग्राम सीट के लिए पर्चा भरेंगी। अब देखने वाली बात है कि वो नामांकन से पहले भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना भी करती हैं या नहीं, जैसा कि तारीखों के ऐलान वाले दिन वह अपने घर पर कर भी चुकी हैं। माना जा रहा है कि इससे बहुसंख्यक मतदाताओं के बीच वो खुद को शिव भक्त होने का सबूत दे सकती हैं। यही नहीं शायद उनकी पार्टी को लगता है कि इसके जरिए बीजेपी के आक्रामक हिंदुत्व की धार को वह कुंद कर सकती हैं। क्योंकि, विपक्षी पार्टी हमेशा से उनपर सिर्फ मुस्लिमों के हित में ही काम करने का आरोप लगाती रही है। वैसे अगर तृणमूल के रणनीतिकार ये सोच रहे हैं कि वह इससे 'जय श्री राम बनाम 'हर-हर महादेव' का शंखनाद कर सकते हैं तो यह बहुत ही जल्दबाजी है। क्योंकि, यह एक तरह से भाजपा को उसकी पिच पर ही पहले बैटिंग थमाने से कम नहीं है। हो सकता है कि इसी के चलते नामांकन की तारीखों में थोड़ा बहुत फेरबदल किया गया हो। (ऊपर की तस्वीर साभार-ट्विटर)
बदली-बदली ममता बनर्जी
अगर थोड़ा और पीछे जाएं तो पिछले साल अक्टूबर में शारदीय नवरात्र के दौरान भी मुख्यमंत्री अपनी कथित हिंदू-विरोधी छवि बदलने की पूरजोर कोशिश करती नजर आ चुकी हैं। वह सक्रिय तौर पर दुर्गा पूजा के आयोजनों में शामिल हो चुकी हैं और कई सामुदायिक पूजा पंडालों का उद्घाटन भी कर चुकी हैं। विभिन्न दुर्गा पूजा मंडपों में उनके पहुंचने और पूजा से जुड़ी धार्मिक विधियों में शामिल होने की भी तस्वीरें आ चुकी हैं। एक महीने बाद वह कोलकाता में कालीघाट में ही काली पूजा में भी शामिल हो चुकी हैं।(ऊपर की तस्वीर-काली पूजा)
नंदीग्राम में सुवेंदु अधिकारी से मिल सकती है टक्कर
असल में ममता के लिए इस बार बंगाल की लड़ाई तो बहुत बड़ी है ही, नंदीग्राम का संग्राम भी आसान नहीं रहने वाला है। उन्होंने यहां पर अपने खास रहे सुवेंदु अधिकारी को ललकारा है, जिनका यह गढ़ माना जाता है। आज वो टीएमसी से बगावत करके बीजेपी का कमल उठा रहे हैं। हालांकि, उनके पिता सिसिर अधिकारी अभी भी ममता की पार्टी के सांसद हैं। टीएमसी सुप्रीमो ने पिछले 18 जनवरी को जैसे ही नंदीग्राम से चुनाव लड़ने वाला मास्टरस्ट्रोक चला था, अधिकारी ने भी उन्हें खुली चुनौती दे डाली थी और दावा किया था कि अगर बीजेपी उन्हें उनकी ही सीट से टिकट देती है तो वह बनर्जी को 50 हजार से ज्यादा वोटों से हरा देंगे। पहले मुख्यमंत्री ने कहा था कि वो सिर्फ नंदीग्राम से ही चुनाव लड़ेंगी, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि वह इसके साथ ही अपनी भवानीपुर सीट से भी चुनाव मैदान में उतरेंगी।