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बंगाल चुनाव 2021: बंगाल में बीजेपी का बना हुआ खेल बिगाड़ सकते हैं अधीर रंजन चौधरी

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नई दिल्ली। 2019 लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच मुर्शिदाबाद के बेहरामपुर सीट पर टीएमसी नेता अपूर्वा सरकार को 80,000 मतों से हराकर जीत दर्ज करके महत्वपूर्ण सीट कांग्रेस की झोली में डालने वाले कांग्रेसी उम्मीदवार अधीर रंजन चौधरी एक बार फिर पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौंपकर कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सत्तारूढ़ टीएमसी और बीजेपी दोनों को चिंता में डाल दिया है।

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Adhir Ranjan Chowdhury को Congress में नई जिम्मेदारी, West Bengal Congress की कमान | वनइंडिया हिंदी
अधीर रंजन को 2021 विधानसभा चुनाव की तैयारी की जिम्मेदारी दी गई है

अधीर रंजन को 2021 विधानसभा चुनाव की तैयारी की जिम्मेदारी दी गई है

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी को यह जिम्मेदारी 2021 विधानसभा चुनाव को देखते हुए दिया गया है। 64 वर्षीय अधीर रंजन चौधरी की पहचान एक जुझारू नेता के रूप में होती है, जिनकी राजनीतिक समझ और अंदाज के मुरीद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हैं। 2019 लोकसभा चुनाव में बेहरामपुर लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करने वाले अधीर रंजन को उनकी कड़ी मेहनत के लिए इनाम में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल हुआ था।

वर्ष 2014 से 2018 के बीच बंगाल प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाल चुके हैं

वर्ष 2014 से 2018 के बीच बंगाल प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाल चुके हैं

वर्ष 2014 से 2018 के बीच पश्चिम बंगाला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाल चुके अधीर रंजन चौधरी अक्टूबर 2012 से 2014 के बीच पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कैबिनेट में रेल राज्य मंत्री के रूप में भी काम कर चुके हैं। गत 9 सितंबर, 2020 को केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें एक बार फिर पश्चिम बंगाल प्रमुख के रूप में कार्यभार सौंपा, जो कि 30 जुलाई, 2020 को पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ मित्रा के आकस्मिक निधन के बाद खाली हुई थी।

सोनिया गांधी के इस कदम को अब एक बेहतर मूव की तरह देखा रहा है

सोनिया गांधी के इस कदम को अब एक बेहतर मूव की तरह देखा रहा है

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष के तौर पर बड़ी जिम्मेदारी संभाल रहे अधीर रंजन चौधरी को एक बार बंगाल कांग्रेस की कमान सौंपने पर सभी को आश्चर्य हुआ, लेकिन 2021 में होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी को मजबूत करने के लिए सोनिया गांधी के इस कदम को अब एक बेहतर मूव की तरह देखा रहा है, जिसने बीजेपी और टीएमसी दोनों की पेशानी पर बल डाल दिया है।

ममता बनर्जी के एक मुखर आलोचक के रूप में शुमार अधीर रंजन चौधरी

ममता बनर्जी के एक मुखर आलोचक के रूप में शुमार अधीर रंजन चौधरी

टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के एक मुखर आलोचक के रूप में शुमार अधीर रंजन चौधरी का चुनाव कई मायनों में अच्छा कहा जा रहा है। माना जा रहा है कि अधीर रंजन के नेतृत्व में कांग्रेस के वोट शेयर में किसी भी तरह की वृद्धि वाम मोर्चे के साथ उसके संभावित गठबंधन देखते हुए एक अच्छा कदम साबित हो सकता है और कांग्रेस एक बार फिर बंगाल की सत्ता पर लौट सकती है। यह कदम टीएमसी और बीजेपी दोनों के लिए चिंताजनक है।

वर्ष 2019 लोकसभा चुनावों में टीएमसी को 43 फीसदी वोट मिले थे

वर्ष 2019 लोकसभा चुनावों में टीएमसी को 43 फीसदी वोट मिले थे

गौरतलब है वर्ष 2019 लोकसभा चुनावों में टीएमसी को 43 फीसदी वोट मिले थे, जो कि वर्ष 2014 के लिहाज से 5 फीसदी अधिक है, लेकिन 2019 में टीएमसी को 12 सीटों का नुकसान हुआ था। टीएमसी 2014 लोकसभा चुनाव में 34 सीटें जीतीं थी, लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में वह महज 22 सीटें ही जीत पाई थी, लेकिन मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण से वोट शेयर में वृद्धि के बावजूद टीएमसी 12 सीटों का गंवाना पड़ गया। इसी दौरान कांग्रेस वोट शेयर 4 से 2 फीसदी गिर गया और वाम मोर्चा का सूपड़ा साफ हो गया।

2019 में 40.3 % वोट शेयर के साथ बीजेपी 18 सीटों पर जीत दर्ज किया

2019 में 40.3 % वोट शेयर के साथ बीजेपी 18 सीटों पर जीत दर्ज किया

वहीं, 2019 लोकसभा चुनाव में टीएमसी से 12 सीट छीनने वाली बीजेपी सबसे बड़ा उलटफेर किया, जबकि 2016 के विधानसभा चुनाव में उसका वोट शेयर महज 10.2 फीसदी ही था, लेकिन 2019 में उसका शेयर में 30.1 फीसदी का इजाफा हुआ और बीजेपी 40.3 फीसदी वोट शेयर के साथ टीएमसी को धूल चटाते हुए बंगाल में पहली बार 18 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब हुई, जिसमें मुख्य भूमिका कांग्रेस और वाममोर्च के परंपरागत वोटर ने निभाई थी।

2019 लोकसभा चुनावों तक कांग्रेस को करीब 7.3 % वोट का नुकसान हुआ

2019 लोकसभा चुनावों तक कांग्रेस को करीब 7.3 % वोट का नुकसान हुआ

वर्ष 2011 के विधानसभा चुनावों से लेकर 2016 के विधानसभा चुनावों और 2014 लोकसभा चुनाव से लेकर 2019 लोकसभा चुनावों तक कांग्रेस को लगभग 7.3 फीसदी वोटों का नुकसान बंगाल में हुआ, जबकि माकपा को राज्य के चुनावों में 9.88 पीसदी और लोकसभा चुनावों में अपना 16 फीसदी वोट शेयर खोना पड़ा। हालांकि 2011 से 2016 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का वोट शेयर में 8.91 से बढ़कर 12.3 फीसदी हो गया, लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव में यह गिरकर 9.6 फीसदी पर आ गया और 2019 लोकसभा चुनाव में यह 5 फीसदी पर सिमट गया था।

बंगाल में विधानसभा चुनाव में अब एक साल से कम समय बचा है

बंगाल में विधानसभा चुनाव में अब एक साल से कम समय बचा है

उल्लेखनीय है बंगाल में विधानसभा चुनाव में अब एक साल से कम समय बचा है। ऐसे में गत 23 जून, 2019 के लोकसभा चुनावों में वाममोर्च के साथ गठबंधन में हारने के बाद कांग्रेस और वाममोर्च नेताओं की मुलाकात और बूथ स्तर पर काम करने का फैसला और अधीर रंजन चौधरी को बंगाल प्रदेश का अध्यक्ष के रूप में नियुक्त दर्शाती है कि कांग्रेस बंगाल विधानसभा चुनाव में बड़ा करिश्मा तलाश रही है।

अधीर रंजन चौधरी माकपा के साथ गठबंधन के समर्थक रहे हैं

अधीर रंजन चौधरी माकपा के साथ गठबंधन के समर्थक रहे हैं

चूंकि अधीर रंजन चौधरी माकपा के साथ गठबंधन के समर्थक रहे हैं, जिनके खिलाफ पिछले लोकसभा चुनाव में वाममोर्च ने अपना उम्मीदवार भी नहीं उतारा था, जो बेरहामपुर लोकसभा सीट पर अधीर रंजन चौधरी की जीत का बड़ा कारण माना जा सकता है। सोनिया गांधी गेम प्लान भाजपा के खिलाफ रणनीति तैयार करना है, क्योंकि उसके लिए दूसरे नंबर पर काबिज बीजेपी कांग्रेस के मंसूबों पर पानी फेरने के लिए ज्यादा जरूरी है।

ममता नहीं, बल्कि बीजेपी को किनारे लगाने के लिए कांग्रेस ने खेला दांव

ममता नहीं, बल्कि बीजेपी को किनारे लगाने के लिए कांग्रेस ने खेला दांव

हाल ही में एक वर्चुअल बैठक में ममता-सोनिया की आपसी समझ साफ झलक रही थी, जब यूपीए अध्यक्ष ने टीएमसी प्रमुख से राज्यों और केंद्र से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की अगुवाई करने को कहा। यह पहली बार नहीं है कि जब सोनिया ने भाजपा के खिलाफ बड़े राजनीतिक नेतृत्व की स्थिति लेते हुए ममता का समर्थन किया।

जब ब्रिगेड परेड मैदान में 'महागठबंधन' की रैली में सोनिया ने संदेश भेजा

जब ब्रिगेड परेड मैदान में 'महागठबंधन' की रैली में सोनिया ने संदेश भेजा

जनवरी 2019 में कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में 'महागठबंधन' की रैली के दौरान सोनिया ने एक संदेश भेजा, जिसमें लिखा था 'आगामी लोकसभा चुनाव साधारण नहीं होगा। यह लोकतंत्र में राष्ट्र के विश्वास को बहाल करने का चुनाव होगा। यह रैली अहंकारी और विभाजनकारी मोदी सरकार से लड़ने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है, मैं इस रैली की सफलता की कामना करती हूं।

अधीर रंजन की नियुक्ति ममता के पक्ष में जा सकता है चुनावी समीकरण

अधीर रंजन की नियुक्ति ममता के पक्ष में जा सकता है चुनावी समीकरण

हालांकि अधीर रंजन चौधरी ममता-सोनिया के संबंधों पर टिप्पणी नहीं करना पसंद करते हैं, लेकिन बंगाल कांग्रेस के प्रमुख के रूप में उनकी नियुक्ति ममता के पक्ष में जा सकती है, क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का 30.1 फीसदी वोट मुख्य रूप से वामपंथी-कांग्रेस (गठबंधन में नहीं थे) वोटरों के स्थानांतरण के कारण हुआ था और टीएमसी 5 फीसदी अधिक वोट शेयर हासिल करते हुए भी 12 लोकसभा सीटों पर हार गई थी।

टीएमसी, बीजेपी और लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन के बीच बढ़ेगा कांग्रेस का वोट

टीएमसी, बीजेपी और लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन के बीच बढ़ेगा कांग्रेस का वोट

माना जा रहा है कि अब जब कांग्रेस और वाम दल मिलकर 2021 में होने वाले बंगाल विधानसभा चुनाव में साथ लड़ने जा रहे हैं, तो निश्चित रूप से टीएमसी, बीजेपी और लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन के बीच आगामी चुनावों में उनका वोट शेयर बढ़ने वाला है। यह इसलिए भी संभव है कि कांग्रेस और वाममोर्चे के परंपरागत वोटर अपनी पार्टियों में वापस लौटेंगे।

मेरा लक्ष्य है, जो कांग्रेस छोड़कर गए हैं उनको वापस लेकर आऊंः अधीर

मेरा लक्ष्य है, जो कांग्रेस छोड़कर गए हैं उनको वापस लेकर आऊंः अधीर

अधीर चौधरी ने बंगाल की अपनी योजनाओं के बारे में जानकारी साझा करते हुए भी यही बात कही है। उनका कहना है, आगामी विधानसभा चुनावों में मेरी प्राथमिकता है कि अधिकतम लाभ के साथ वामपंथियों के साथ हमारे राजनीतिक गठबंधन को बदलने की है। मेरा लक्ष्य उन लोगों को वापस लाना होगा, जो कांग्रेस छोड़कर टीएमसी और बीजेपी में शामिल हुए हैं। मैं उन्हें विश्वास दिलाना चाहता हूं कि उन्हें पार्टी में पूरा सम्मान मिलेगा।

2021 में बंगाल चुनाव जीतना कांग्रेस के लिए एक दूर का सपना ही है

2021 में बंगाल चुनाव जीतना कांग्रेस के लिए एक दूर का सपना ही है

हालांकि 2021 में बंगाल चुनाव जीतना कांग्रेस के लिए एक दूर का सपना है, लेकिन वर्तमान में केवल अधीर चौधरी है जो पार्टी को सम्मानजनक स्थिति की ओर ले जा सकते हैं। उनके नेतृत्व में 2016 के विधानसभा चुनावों में पार्टी 294 में से 44 सीटें जीतने में कामयाब रही और राज्य में प्रमुख विपक्ष बन गई, जबकि वाम मोर्चा ने 32 सीटें जीतीं। वहीं, बीजेपी के हाथ में सिर्फ तीन सीट आई थी।

2016 में कांग्रेस और वाम मोर्चा गठबंधन द्वारा जीती गई कुल सीटें 76 थीं

2016 में कांग्रेस और वाम मोर्चा गठबंधन द्वारा जीती गई कुल सीटें 76 थीं

आगामी राज्य चुनावों के लिए कांग्रेस-वाममोर्चा गठबंधन के कारक को ध्यान में रखते हुए समझें तो वर्ष 2016 में कांग्रेस और वाम मोर्चा द्वारा जीती गई कुल सीटें 76 थीं। इस बार अगर कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन अपनी सीटों को बरकरार रखती है, तो निश्चित रूप से 2019 के आम चुनावों में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद भाजपा के लिए बंगाल विधानसभा चुनाव में लोकसभा चुनाव का वोट शेयर हासिल कर पाना मुश्किल रहने वाला है।

India - China Border Standoff 2020
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English summary
Congress candidate Adhi Ranjan Chaudhary, who once won the important seat of Congress, won the Behrampur seat of Murshidabad by defeating TMC leader Apoorva Sarkar by 80,000 votes in the 2019 Lok Sabha elections. Interim president Sonia Gandhi has raised concerns of both the ruling TMC and the BJP.
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