बंगाल चुनाव: योगी आदित्यनाथ ने मालदा में TMC के खिलाफ क्यों भरी हुंकार, जानिए इस इलाके का चुनावी महत्त्व
मालदा: मंगलवार को पश्चिम बंगाल में मालदा की रैली में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण में वो हर मसले उठाए हैं, जिसमें भाजपा को ध्रुवीकरण की संभावना नजर आती है। 'गो तस्करी' से लेकर 'राम द्रोही' जैसे मुद्दे उठाकर उन्होंने वही किया, जिसके लिए पार्टी उन्हें हर चुनाव में खास इलाकों में भेजती रही है। माना जाता है कि मालदा के रसीले आम की तरह उस इलाके का प्रभाव पूरे उत्तर बंगाल में पड़ता है। यह इलाका बांग्लादेश से भी सटा है, मुस्लिम बहुल भी है। ऐसे में योगी आदित्यनाथ से उस इलाके जोरदार प्रचार कराकर बीजेपी 54 सीटों पर टीएमसी की धार कुंद करना चाहती है।
मालदा इलाके पर कांग्रेस का रहा है दबदबा
पश्चिम बंगाल के मालदा के आधुनिक राजनीतिक इतिहास पर पूर्व रेल मंत्री और कांग्रेस के दिवंगत नेता अबु बरकत अताउर गनी खान चौधरी की छाप पड़ी हुई है। वो आज भी इलाके में 'बरकत दा' के नाम से मशहूर हैं। उन्होंने 1957 से लेकर 1984 तक यहीं से राजनीति की और आज भी इलाके में उनके परिवार का सियासी दबदबा बरकरार है। यही वजह है कि 2011 में प्रदेश में भारी जीत के बावजूद टीएमसी उत्तर मालदा और दक्षिण मालदा दोनों संसदीय सीटों की 12 विधानसभा सीटों में से एक भी नहीं जीत पाई। बंगाल और बिहार में यह इलाका एक और वजह से मशहूर है, वह है अपने स्वादिष्ट 'मालदह या मालदा' आम के लिए। लेकिन, ममता के लिए इस इलाके ने अबतक बेरुखी ही दिखाई है और उसे यहां चुनावी जीत के रूप में 'मालदह' का जायका नहीं मिल पाया है।
मालदा से भाजपा को करिश्मे की उम्मीद
पिछले लोकसभा चुनाव की बात है कि मालदा उत्तर से कांग्रेस की पूर्व सांसद मौसम नूर ने टीएमसी टिकट से भाग्य आजमाया, लेकिन भाजपा के खगेन मुर्मू के हाथों सीट गंवा बैठीं। लोगों ने कहा कि नूर ने 'बरकद दा' से दगा किया तो वोटरों ने उन्हें उसका अंजाम दिखा दिया। काफी हद तक इस नजरिए पर इसलिए मुहर लगती है, क्योंकि मालदा दक्षिण लोकसभा सीट पर एबीए गनी खान चौधरी के भाई अबु हासिम खान चौधरी कांग्रेस के टिकट पर ही चुनाव जीते हैं। यहां भी उनका मुकाबला टीएमसी से नहीं, बल्कि भाजपा के उम्मीदवार से हुआ था। लेकिन, इलाके में दो बार जीत का स्वाद चख चुकी भाजपा को इस इलाके से अब बहुत ज्यादा उम्मीदें हैं, इसलिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर हिंदुत्व के फायरब्रांड लीडर योगी आदित्यनाथ को यहां पर प्रचार के लिए उतार रही है।
मालदा की सभी सीटों पर कांग्रेस-भाजपा में टक्कर
अगर 2016 विधानसभा चुनावों की बात करें तो भी यहां की 12 में से 8 सीटें कांग्रेस को मिली थी और टीएमसी सिर्फ एक ही सीट जीत सकी थी। लेकिन, पिछली बार उत्तर मालदा लोकसभा से भाजपा की जीत के बाद यहां का समीकरण बदला हुआ नजर आ रहा है; और जो नहीं बदला है उसके लिए बीजेपी पूरी ताकत लगा रही है। उत्तर मालदा से भाजपा के मौजूदा सांसद मुर्मू पिछले विधानसभा चुनाव में यहां की हबीबपुर सीट से सीपीएम के टिकट पर जीते थे। जबकि, बीजेपी जो तीन असेंबली सीटें जीती थी, उसमें से एक यहीं की बैष्णबनगर की सीट भी शामिल है। अगर इस चुनाव की बात करें तो यहां इंग्लिश बाजार सीट छोड़कर लगभग सभी क्षेत्रों में कांग्रेस और बीजेपी में ही मुकाबला नजर आ रहा है। वो भी तब जब इंग्लिश बाजार में तृणमूल अपने किसी दिग्गज को उतारे।
मालदा में योगी की हुंकार का कनेक्शन
भाजपा के बुलंद हौसले की वजह यह है कि उत्तर बंगाल में करीब 50 फीसदी मुस्लिम आबादी के बावजूद 2014 से 2019 के लोकसभा चुनावों में उसके वोट शेयर में 24 फीसदी का उछाल आया है। पिछली बार उसे उत्तर बंगाल में 46 फीसदी वोट मिले थे और वह इस बढ़त को किसी भी कीमत पर धीमा नहीं पड़ने देना चाहती। उत्तर बंगाल में विधानसभा की कुल 54 सीटें हैं और मालदा से बहने वाली चुनावी बयार इस पूरे इलाके में महसूस की जाती है। यही वजह है कि आदित्यनाथ को यहां के गजोले में परिवर्तन यात्रा के समापन के मौके पर भेजना भी पार्टी ने तय कर रखा है। यह इलाका बांग्लादेश की सीमा से भी सटा है, लिहाजा मवेशी तस्करी को लेकर भी सुर्खियों में रहता है। ऐसे में बीजेपी यहां की सारी सीटें (12) जीतने का दांव लगा रही है, जहां पर 26 और 29 अप्रैल को दो चरणों में चुनाव होना है।
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