Bengal Election:BJP के दबाव में आ चुकी है TMC,उम्मीदवारों के नाम पर दिखेगा असर
कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस इस हफ्ते कभी भी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर सकती है। बहुत ज्यादा संभावना है कि पार्टी राज्य की सभी 294 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान एक साथ कर देगी। राज्य में सत्ताधारी दल का किसी के साथ गठबंधन नहीं है, इसलिए उसे दूसरे दलों से बातचीत का झंझट भी नहीं है। लेकिन, माना जा रहा है कि ममता बनर्जी की पार्टी के उम्मीदवारों की लिस्ट पर भारतीय जनता पार्टी का असर जरूर देखने को मिलेगा। वो असर ये है कि पार्टी कई मौजूदा विधायकों का पत्ता काटने को तैयार है और उनकी जगह नए चेहरों को लाएगी, जिनकी छवि अभी तक बेदाग हो।
करीब 100 महिला उम्मीदवारों को उतारने की तैयारी में तृणमूल
तृणमूल कांग्रेस इसबार 'बंगाल को अपनी बेटी चाहिए' का नारा देकर भाजपा को बाहरी पार्टी बताने की कोशिश में है। इस नारे का असर इसबार पार्टी की ओर से जारी होने वाले उम्मीदवारों की लिस्ट पर भी दिखने की संभावना है। माना जा रहा है कि पार्टी करीब 100 की संख्या में या 35 फीसदी महिला उम्मीदवारों पर दांव खेल सकती है। पार्टी के रणनीतिकारों को लगता है कि बंगाल की बेटी को 'बाहरी हमलावरों' से बचाने के नारे में यह ट्रिक काम कर सकता है। पार्टी के अंदर से एक बात और निकल कर आ रही है कि इसबार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी महिलाओं के साथ-साथ युवा उम्मीदवारों पर ही फोकस करना चाहती है। इसके चलते 80 से ज्यादा उम्र के नेताओं का उम्मीदवारी से पत्ता करना लगभग तय माना जा रहा है।
टीएमसी की लिस्ट पर दिख सकता है भाजपा का असर
कुल मिलाकर यूं कहें कि प्रदेश में 10 साल से सत्ता पर बैठी पार्टी पर बीजेपी का दबाव साफ नजर आ रहा है। मसलन, सूत्रों का कहना है कि पार्टी अपने 75 सीटिंग विधायकों का टिकट काटने की तैयारी कर रही है। वह चाहती है कि वह इसबार दागदार छवि वाले नेताओं से परहेज करे और बेदाग छवि वालों को ही मौका दिया जाए। ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि पार्टी बीजेपी की ओर से लगातार सरकारी योजनाओं में टीएमसी के नेताओं पर 'कट मनी' लेने का आरोप झेल रही है। एक वरिष्ठ तृणमूल नेता ने ईटी से इसके बारे कहा, 'कई स्थानीय नेता जिनका कि उस इलाके में दबदबा है, लेकिन भ्रष्ट हैं या वो कमीशन लेते हैं, उनका नाम कट जाएगा। '
पीके की रिपोर्ट बहुत मायने रखेगी
वैसे तो उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा टीएमसी की 12 सदस्यीय कमिटी कर रही है, लेकिन सच्चाई यही है कि खुद सीएम बनर्जी ही इसपर अपना माथा खपा रही हैं, ताकि पार्टी की ओर से भाजपा के लिए किसी तरह का कोई मौका ना छोड़ा जाए। जानकारी के मुताबिक बंगाल में टीएमसी के उम्मीदवारों के नाम पर मुहर प्रशांत किशोर के आई-पीएसी की ओर से हर विधायक के लिए तैयार की गई व्यक्तिगत रिपोर्ट पर भी निर्भर करेगी। आमतौर पर किशोर की रणनीति हर जगह यही रही है कि विरोधियों से पहले ही वह सभी उम्मीदवारों का नाम का एकबार में ही ऐलान करवाना चाहते हैं, ताकि विपक्ष पर एक मानसिक दबाव बनाया जा सके।
आत्मविश्वास दिखाकर विरोधियों पर दबाव बनाने की रणनीति
बंगाल की सभी सीटों पर एकसाथ उम्मीदवारों के नाम की घोषणा करने की तैयारी का एक मकसद यह भी हो सकता है कि पार्टी खुद को बाकियों के मुकाबले पूरे आत्मविश्वास में दिखाना चाहती है। इसलिए वह बीजेपी की लिस्ट आने के इंतजार में नहीं है। राज्य में पहले चरण की 30 सीटों पर 27 मार्च को वोटिंग होगी। अंतिम और आठवां चरण 29 अप्रैल को होना है और वोटों की गिनती 2 मई को होगी। 2016 के विधानसभा चुनाव में राज्य की 294 सीटों में से सत्ताधारी ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस 211 सीटें जीती थी। दूसरे स्थान पर लेफ्ट फ्रंट और कांग्रेस का गठबंधन रहा था, जिन्हें 77 सीटें मिली थीं और भाजपा तब वहां कोई ताकत नहीं थी, इसलिए सिर्फ 3 सीट ही ले पाई थी। लेकिन, बीते पांच वर्षों में वहां के राजनीतिक हालात बदल चुके हैं और बीजेपी ही टीएमसी को मुख्य टक्कर दे रही है।
इसे भी पढ़ें- Delhi MCD Election 2021: क्या AAP ने भाजपा के लिए खतरे की घंटी बजा दी?