ममता की मोदी को चुनौती- हिम्मत है तो UN की निगरानी में कराएं CAA पर जनमत संग्रह
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कोलकाता। नागरिकता कानून पर हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार केंद्र सरकार को चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की स्थापना 1980 में हुई थी और वह हमारे 1970 के नागरिकता दस्तावेज मांग रही है। ममता बनर्जी ने कोलकाता रैली में कहा कि यदि भाजपा में हिम्मत है तो उसे संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी पर संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह कराना चाहिए।
गुरुवार को कोलकाता में ममता बनर्जी ने कहा कि सरकार संयुक्त राष्ट्र या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसे किसी निष्पक्ष संगठन की देखरेख में जनमत संग्रह कराए और पूछे कि कितने लोग नगारिकता कानून के पक्ष में हैं और कितने विपक्ष में। केन्द्र की मोदी सरकार को चुनौती देते हुए ममता ने आगे कहा कि अगर तुम हारते हो तो तुम्हें इस्तीफा देकर जाना होगा। ममता ने कहा कि मैं तुमको चुनौती देती हूं देश को फेसबुक और सांप्रदायिक दंगों का इस्तेमाल कर विभाजित करने की कोशिश मत करो।
उन्होंने कहा कि, 'आजादी के 73 साल बाद अचानक हमें साबित करना पड़ रहा है कि हम भारतीय नागरिक हैं। उस समय तो बीजेपी की न सिर थी न पूंछ थी, बीजेपी देश को बांट रही है। आप अपना विरोध मत रोकिए क्योंकि हमें नागरिकता कानून को रद कराना है।' ममता ने कहा कि आज रामचंद्र गुहा को हिरासत में लिया गया। उनकी गलती थी कि वह गांधी की एक तस्वीर के साथ विरोध कर रहे थे।
West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee in Kolkata: Let there be an impartial organisation like United Nations or National Human Rights Commission hold a referendum to see how many people are in favour or against #CitizenshipAmendmentAct. https://t.co/fckJBWIdzh
— ANI (@ANI) December 19, 2019
पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि, आप किसी व्यक्ति की पहचान उसके कपड़ों से करते हो। मैंने आज घंटी बजाई है, कुछ लोग इसे तुम्हारे अंत की आवाज कह सकते हैं। यह लोकतंत्र को बचाने की हमारी लड़ाई है। ममता बनर्जी ने आगे कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता तब कहां थे जब स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया जा रहा था? यह शर्मनाक है कि हमारे अभिभावकों को दस्तावेज निकालने पड़ रहे हैं। पहले उन्होंने कहा कि आधार जरूरी है, अब कह रहे हैं कि यह जरूरी नहीं है। बीजेपी को भले ही 32 फीसदी वोट मिले लेकिन 68 फीसदी लोगों ने वोट नहीं दिया है।
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