अक्षय कुमारः क्या मोदी के क़रीब आने का फ़ायदा मिलेगा
अक्षय कुमार कई मौक़ों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ़ कर चुके हैं. हाल ही में अक्षय कुमार ने पीएम मोदी का इंटरव्यू किया और इसे ग़ैर-राजनीतिक इंटरव्यू कहा.
अक्षय कुमार के ससुर राजेश खन्ना कांग्रेस के टिकट पर 1991 में नई दिल्ली से बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी के ख़िलाफ़ चुनावी मैदान में थे.
आडवाणी तब राजेश खन्ना से हारते-हारते बचे थे. आडवाणी को महज़ 1,589 मतों से जीत मिली थी. तब आडवाणी ने गांधीनगर से भी चुनाव जीता था और उन्होंने नई दिल्ली सीट छोड़ने का फ़ैसला किया था.
इस सीट पर उपचुनाव हुआ और बीजेपी ने शत्रुघ्न सिन्हा को राजेश खन्ना के ख़िलाफ़ उतारा लेकिन बिहारी बाबू को मुंह की खानी पड़ी थी.
शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी किताब 'एनीथिंग बट ख़ामोश' में कहा है कि राजेश खन्ना के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ना उनके जीवन की सबसे बड़ी ग़लती थी लेकिन वो आडवाणी को मना नहीं कर सकते थे.
राजेश खन्ना 60 और 70 के शुरुआती दशक के सुपरस्टार रहे हैं. वो कांग्रेसी थे. राजेश खन्ना के दामाद अक्षय कुमार 21वीं सदी के सुपरस्टार हैं और वो नरेंद्र मोदी से क़रीबी के कारण चर्चा में हैं.
अक्षय कुमार कई मौक़ों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ़ कर चुके हैं. हाल ही में अक्षय कुमार ने पीएम मोदी का इंटरव्यू किया और इसे ग़ैर-राजनीतिक इंटरव्यू कहा.
अक्षय कुमार के इस इंटरव्यू की सोशल मीडिया पर ख़ूब आलोचना हुई. लोगों ने कहा अक्षय कुमार का इंटरव्यू पीएम मोदी के लिए पीआर प्रैक्टिस थी.
मुंबई में 29 अप्रैल को मतदान था और उस दिन बॉलीवुड के सारे सितारे वोट करने निकले लेकिन अक्षय कुमार नहीं दिखे.
अक्षय पर सवाल उठने लगे कि वो पीएम मोदी की तारीफ़ करते हैं लेकिन वोट देने नहीं निकले.
इसके बाद यह तथ्य सामने आया कि अक्षय कुमार भारत के नागरिक हैं ही नहीं. पूरे विवाद पर अक्षय ख़ुद सामने आए और उन्होंने कहा कि उनके पास कनाडा का पासपोर्ट है.
51 साल के अक्षय कुमार ने कहा कि वो कनाडा के नागरिक हैं तो ज़्यादातर भारतीयों के लिए यह हैरान करने वाला रहा.
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अक्षय कुमार को 2016 में आई उनकी फ़िल्म रुस्तम के लिए बेस्ट एक्टर का 64वां नेशनल अवॉर्ड मिला था. यह नेशनल अवॉर्ड अक्षय कुमार के करियर का पहला नेशनल अवॉर्ड था.
जब उन्हें यह अवॉर्ड दिया गया तब भी विवाद हुआ था और आरोप लगा कि सरकार से क़रीब होने का इनाम मिला है. दो साल बाद एक बार फिर से अक्षय कुमार के नेशवल अवॉर्ड पर विवाद खड़ा हो गया है.
'अलीगढ़' फ़िल्म के स्क्रिप्टराइटर अपूर्व असरानी ने ट्वीट कर कहा कि कनाडा के नागरिक को नेशनल अवॉर्ड कैसे मिल सकता है?
असरानी ने ट्वीट किया, ''हां, यह बहुत ही अहम सवाल है. क्या कनाडा का नागरिक भारत के राष्ट्रीय सम्मान पाने के योग्य हो सकता है? 2016 में अक्षय कुमार को श्रेष्ठ अभिनेता का अवॉर्ड मिला था जबकि हमलोग उम्मीद कर रहे थे कि मनोज वाजपेयी को अलीगढ़ के लिए यह सम्मान मिलेगा. अगर मंत्रालय और जूरी ने ग़लत किया था तो क्या नेशनल अवार्ड पर फ़ैसला बदला जा सकता है?''
असरानी के इस ट्वीट के बाद कई लोगों की प्रतिक्रिया आई. कई लोग अक्षय कुमार के समर्थन में खड़े हुए. फ़िल्मकार राहुल ढोलकिया नेशनल अवॉर्ड जूरी के हिस्सा रहे हैं और उन्होंने इस मामले में एक ट्वीट कर अपनी बात रखी.
ढोलकिया ने लिखा है, ''नेशनल अवॉर्ड पर स्पष्टीकरण- विदेशी नागरिकों को भी नेशनल अवॉर्ड मिल सकता है. यह पूरी तरह से वैध है. एक अधिकारी मनोज श्रीवास्तव ने इसके नियमों से जुड़ा नोट भेजा है.''
डायरेक्टोरेट ऑफ़ फ़िल्म फेस्टिवल की रूलबुक के अनुसार, ''विदेशी फ़िल्म पेशेवर और तकनीशियन को भी यह अवॉर्ड मिल सकता है. कलाकारों के नाम फ़िल्म की क्रेडिट लाइन में होने चाहिए और वो भारत में रहता हो.''
क्लॉज़ 7.1 के अनुसार, ''जिनके नाम फ़िल्म के क्रेडिट टाइटल में हैं और भारत में रहते हों और काम करते हों, वो नेशनल अवॉर्ड पाने के योग्य हैं.''
रुस्तम के लिए जब अक्षय कुमार को नेशनल अवॉर्ड मिला था तब जूरी के चेयमैन फ़िल्मकार प्रियदर्शन थे. प्रियदर्शन ने अक्षय कुमार के साथ कई फ़िल्में बनाई हैं. प्रियदर्शन पर आरोप लगे कि उन्होंने अक्षय कुमार का पक्ष लिया है.
इन आरोपों पर प्रियदर्शन ने कहा था, ''पिकू के लिए अमिताभ बच्चन को बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला था और तब जूरी के चेयरमैन रमेश सिप्पी थे. रमेश सिप्पी ने अमिताभ के साथ शोले में काम किया था. ऐसे में क्या रमेश सिप्पी के फ़ैसले पर शक किया जाना चाहिए?''
फ़ोर्ब्स पत्रिका के अनुसार अक्षय कुमार 2018 में सबसे ज़्यादा फ़ीस लेने वाले अभिनेताओं की सूची में सातवें नंबर पर थे. अक्षय कुमार हर साल करोड़ों रुपए टैक्स भी देते हैं. हालांकि अक्षय कुमार की पत्नी ट्विंकल खन्ना मोदी के कई फ़ैसलों का अपने तरीक़े से विरोध भी करती रही हैं.
कई लोग मानते हैं कि अक्षय कुमार के हाल की फ़िल्में भी नरेंद्र मोदी के एजेंडे को बढ़ाने वाली थीं. अक्षय की हाल की फ़िल्में राष्ट्रवाद से ओतप्रोत रहीं या मोदी के स्वच्छ भारत अभियान से प्रेरित.
पूरे विवाद पर अक्षय कुमार ने ट्वविटर पर लिखा था, ''मैं नहीं जानता कि मेरी नागरिकता में इतनी रुचि लेते हुए नकरात्मकता क्यों फैलाई जा रही है. मैंने इस बारे में कभी कुछ छिपाया नहीं है कि मेरे पास कनाडा का पासपोर्ट है.''
अक्षय ने लिखा, ''ये भी सच है कि बीते सात सालों में मैं कनाडा नहीं गया हूं. मैं इंडिया में काम करता हूं और टैक्स इंडिया में ही चुकाता हूं.''