गठबंधन और चुनाव के इस दौर में बदला है 'वोटर्स' का भी मूड
बेंगलूरू: कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ने कर्नाटक में बाजी मारी और कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण में पूरा विपक्ष एक ही मंच पर दिखाई दिया था। विपक्ष की इस एकता के पीछे भी एक कारण है। दरअसल, मोदी सरकार अपने पांचवे साल में प्रवेश कर रही है। वहीं 2014 लोकसभा चुनावों के बाद से हुए 22 विधानसभा चुनावों के दौरान वोटों की समीक्षा करने पर प्रमुख दावेदारों और निर्दलीयों के बीच वोटों का एक व्यापक पैटर्न निकलकर आता है।
यदि कोई पार्टी चुनाव में बहुमत की स्थिति में नहीं है तो मतदाता इसे और भी कमजोर कर रहे हैं। इस पैटर्न से बीजेपी के पक्ष में एक महत्वपूर्ण झुकाव देखने को मिला है। EC के आंकड़े बताते हैं कि जिन 22 राज्यों में 2014 लोकसभा चुनाव के बाद चुनाव हुए हैं, 11.5 फीसदी वोट का भाजपा को लाभ हुआ है। EC के आंकड़े बताते हैं कि 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले इन 22 राज्यों में विधानसभा चुनावों में भाजपा के 15 प्रतिशत से कम वोट थे।
लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी सरकार के आने के बाद बीजेपी को 26.5 फीसदी वोट मिले। जहां तक विधानसभा सीटों का सवाल है, ये संख्या 500 से लेकर 1000 के बीच पहुंच गई। 11.5 फीसदी वोट शेयर बीजेपी का इन 22 राज्यों के विधानसभा चुनाव में बढ़ा। नेशनल लेवल पर, बीजेपी ने 2009 से 2014 के बीच लोकसभा चुनाव के दौरान भी 12.5 फीसदी अधिक वोट प्राप्त किये। इस दौरान 22 राज्यों में बीजेपी का वोट 5.74 करोड़ से तक11.99 पहुंच गया, जो कि सीधे डबल है।
हालांकि, इस आंकलन में मध्यप्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, ओडिशा, राजस्थान और आंध्रप्रदेश शामिल नहीं हैं क्योंकि यहां अभी चुनाव नहीं हुए हैं। इन राज्यों के पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 4 करोड़ से कुछ अधिक वोट प्राप्त हुए थे। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा को 17.2 करोड़ मत प्राप्त हुए थे। वहीं मतदाताओं का रूझान बड़े दलों के प्रति बढ़ा है जबकि निर्दलीय उम्मीदवारों के वोट शेयर में कमी देखी गई है।
कर्नाटक में भी इसी पैटर्न पर वोटिंग हुई है और कांग्रेस-बीजेपी को इसका अधिक लाभ मिला है, जिसमें पहले की तुलना में बीजेपी को कांग्रेस से अधिक वोट मिला है। दरअसल, निर्वाचित निर्दलीय लोगों की संख्या भी नौ से एक हो गई - बीजेपी को इसका नुकसान भी हुआ जो कि सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी सदन में बहुमत साबित करने के लिए सात विधायकों का समर्थन नहीं जुटा सकी।
2017 गुजरात विधानसभा चुनावों में भी इसी तरह की वोटिंग देखी गई, जहां कांग्रेस और बीजेपी के वोट बढ़ गए और कांग्रेस ने सीटों के मामले में अधिक संख्या हासिल की, जबकि बीजेपी को यहां भी नुकसान हुआ।