मिलिए कन्हैया कुमार की वॉलंटियर सेना से, कोई है फिल्म निर्माता तो कोई है गुरुद्वारे का सेवक
नई दिल्ली। बिहार की की बेगुसराय सीट से चुनाव लड़ रहे सीपीआई के उम्मीदवार और जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व प्रेसिडेंट कन्हैया कुमार के लिए अलग-अलग क्षेत्रों के सैकड़ों लोग उनके पक्ष में चुनावी कैंपने करने के लिए पहुंच रहे हैं। कन्हैया के लिए वोट मांगने वाले में फिल्म अभिनेत्री, डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता, गुरुद्वारा सेवक, गृहिणी तक शामिल हैं। इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, कन्हैया के लिए सैंकड़ों लोग वॉलंटियर करने बेगुसराय पहुंचे हुए हैं। लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए कन्हैया कुमार को देश भर से मदद मिल रही है।
पूरा गांव इस कैंपन में हमारे साथ है
बेगुसराय जिले के मसनादपुर गांव में सुबह के पांच बजे हैं, कई ऱाज्यों से आए युवा गांव के चौराहे पर ग्रुप में खड़े हुए हैं। उनके बाल अभी तक गीले हैं क्यों कि वह कुछ देर पहले ही नहाकर सीधी यहां पहुंचे हैं। समूह में एकत्र हुए इन लोगों में से कुछ लेमन टी की चुस्की ले रहे हैं। इन्होंने लाल रंग की टी-शर्ट्स पहन रखीं हैं। इन सभी के साथ कन्हैया कुमार के भाई प्रिंस कुमार भी खड़े हुए हैं। जो इस समूह के साथ प्रचार को लेकर जरूरू बाते बता रहे हैं। प्रिंस मुस्कराते हुए कहते हैं कि, जब से कन्हैया को बेगुसराय से सीपीआई का उम्मीदावार घोषित किया गया है, तब से पूरा गांव इस कैंपन में हमारे साथ है।
कई ऱाज्यों से लोग पहुंच रहे हैं बेगुसराय
प्रिंस कुमार प्रचार के लिए जा रहे अपने वालंटियर्स के जरूरी निर्देश दे रहे हैं। जैसे.. हम कब कस्बे को छोड़ेंगे, कब हमारी कन्हैया से मुलाकात होगी... हम अपनी कार कहां पार्क करेंगे, उनके पास सभी सवालों के जवाब हैं। इसके बीच, दिल्ली लाइसेंस प्लेट वाली एक एसयूवी पार्किंग स्थल पर पहुंचती है। उसमें से सफेद सलवार कुर्ता में एक महिला, सफेद शर्ट में एक आदमी उतरता है। प्रिंस उनके पास पहुंचते हैं, वे उन्हें मेकशिफ्ट कार्यालय में ले जाते हैं, कन्हैया के घर के बगल में एक शेड जैसी संरचना। प्रिंस उनके पास पहुंचे हैं और उन्हें शिफ्ट कार्यालय ले जाते हैं। जो कि कन्हैया कुमार के घर के नजदीक एक शेड में बना हुआ है।
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डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता अराधना अपने पति के साथ बेगुसराय पहुंची हैं
एसयूवी में पहुंचने वाली महिला का नाम आराधना राठौर है। अराधना दिल्ली की रहने वाली हैं और एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता हैं। वह दिल्ली से कार चलाकर बेगुसराय पहुंची हैं। उन्होंने कहा कि, हमें नहीं पता था कि हम क्या करेंगे। हम सभी बेगूसराय आना चाहते थे, हम इस ऐतिहासिक आंदोलन का हिस्सा बनना चाहते थे। मैं कन्हैया का समर्थन करने के लिए कुछ भी करूंगा। खाना बनाना, खाना परोसना, चुनाव प्रचार करना सब कुछ। उनके पति, संजय शर्मा, जो राजधानी के एक इवेंट मैनेजर हैं, उनकी इस बात से सहमत हैं। उन्होंने कहा कि, इन दिनों आप जिस तरह की राजनीति सुनते और पढ़ते हैं, वह बहुत ही निराशाजनक है। कन्हैया इन सभी से अगल है, वह विभाजनकारी राजनीति में विश्वास नहीं करते है। शर्मा ने कहा, वह कन्हैया को हरसंभव सहयोग करेंगे।
250 से अधिक स्वयंसेवक कन्हैया के लिए प्रचार कर रहे हैं
प्रिंस बताते हैं कि, एक महीने से मसनदपुर में स्वयंसेवकों के आने की लाइन लगी हुई है। ये लगभग 250 या उससे अधिक की संख्या में हैं, अब हम लोगों ने तो गिनती करना भी बंद कर दिया है। ये स्वयंसेवक गाँव भर में फैले अस्थायी कार्यालयों में रहते हैं। कन्हैया की माँ की देखरेख वाली आम रसोई में भोजन खाते हैं और कन्हैया के साथ उनके रोड शो में अपना दिन बिताते हैं। प्रिंस जोर देकर कहते हैं कि, अधिकांश स्वयंसेवकों में कन्हैया को लेकर एक अजीब का जुनून है। जो उन्हें प्रेरित करता है। वे बिना किसी शिकायत के इन चुनाव प्रचार में जा रहे हैं। ये सभी लोग गांवों में जा रहे हैं, लोगों से बात कर रहे हैं, उन्हें देश में चल रही गतिविधियों के बारे में बता रहे हैं, कुछ गालियों और नुक्कड़ पर नाटक के माध्यम से लोगों के बीच प्रचार कर रहे हैं।
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कॉले सेंटर की नौकरी छोड़ कन्हैया के लिए पहुंचे बेगुसराय
बिहार के नालंदा जिले में राजगीर के रहने वाले 29 वर्षीय गौरव सम्राट कहते हैं कि उन्होंने कन्हैया के प्रचार के लिए दिल्ली में कॉल सेंटर की नौकरी छोड़ दी। वह कन्हैया के इस चुनावी कैंपन में कई सारी भूमिकाओं में काम कर रहे हैं। सिर पर लाल गमछा लपेटे गौरव कभी लोगों को चाय देते नजर आते हैं तो कभी कन्हैया से मिलने आई भीड़ को संभालने की कोशिश करते दिखते हैं। नीले कपड़े और उसी रंग की पगड़ी पहने पंजाब के भटिंडा के रहने वाले 31 वर्षीय जबरजंग लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। उन्होंने भी लाल रंग का गमछा डाल रखा है। वे भटिंडा के गुरुद्वारे में एक सेवक हैं।
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मां और नजीब की मां के साथ कन्हैया
वह कहते हैं कि, मैं यहां इसलिए आया हूं क्योंकि मैं कन्हैया की बातों से खुद को जुड़ा हुआ महसूस करता हूं। उनका एजेंडा विकास है और जो महत्वपूर्ण है। वह कहते हैं कि मैं प्रचार में लोगों से धर्म के बारे में बात नहीं करता हूं, मैं उनसे लोगों की समस्याओं के बारे में बात करता हूं। पटना के सब्ज़ी बाज़ार की रहने वाली 55 वर्षीय शहजादी बेगम की योजनाएँ अधिक विस्तृत हैं। पिछले दो दिनों से, वे कन्हैया के साथ रोड शो में शामिल हो रही है, उनके लिए नुक्कड़ नाटकों में हिस्सा ले रही हैं। अभी तक की लाइफ में गृहिणी रह चुकीं शहजादी को लगता है कि यह उनके लिए देश के लिए कुछ करने का समय है।वह कहती हैं कि, मेरे बच्चे बड़े हो गए हैं, उन्हें मेरी जरूरत नहीं है। मैं अब अन्य चीजों को लेकर चिंतित हूं। देश में कैसे हिन्दु और मुस्लमानों को विभाजित किया जा रहा है। मैं यह जानने के लिए यहां हूं कि क्या कन्हैया उन समस्याओं का जवाब होगा जो अब देश को परेशान कर रही हैं। अभी 6:30 भी नहीं बजे हैं, शहजादी अपना हिजाब पहनकर तैयार हैं। उनके झोले में एक नीबू पानी की बोलत हैं....
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