निर्भया के दोषी विनय को फांसी से पहले उसकी मां ने बताई खुद की अंतिम इच्छा
नई दिल्ली- निर्भया के चारों गुनहगारों की सांसों की अंतिम गिनती शुरू हो चुकी है। घंटे-दर-घंटे बीत रहे हैं और वो घड़ी नजदीक आ चुकी है, जब चारों दोषियों मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय सिंह को उनकी गुनाहों की सजा दे दी जाएगी। तिहाड़ के जेल नंबर 3 में फांसी कोठी तैयार है,फंदे लटकाए जा चुके हैं, ट्रायल पूरी की जा चुकी है, जल्लाद सारी आखिरी तैयारियों को अंजाम दे चुका है। फांसी से पहले जेल की लगभग सारी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। चारों दोषियों की अंतिम इच्छाएं भी हर संभव पूरी की जा चुकी हैं। ऐसे में एक दोषी विनय शर्मा की मां ने अपने बेटे को उसके मनपसंद खाना खिलाने की अपनी अंतिम इच्छा जाहिर कर दी है।
'मैं विनय की मां हूं......'
सात साल और तीन महीने बाद दिल्ली की निर्भया को इंसाफ मिलने जा रहा है। लेकिन, एक ओर निर्भया को इंसाफ मिलने वाला है तो दूसरी ओर एक और महिला है, जो उस इंसाफ से पहले खुद की अंतिम इच्छा पूरी किए जाने की मांग कर रही है। वो दूसरी महिला कोई और नहीं निर्भया के चारों दोषियों में से एक विनय शर्मा की मां है। उसकी मां को यह समझने में वर्षों लग गए कि उसका बेटा इतने जघन्य अपराध का गुनहगार है। लेकिन, अब वह भी मान चुकी है कि जो होना था हो चुका, अब उसका बेटा हमेशा के लिए उसकी जिंदगी से जा रहा है। फांसी से पहले उसके घर वालों पर क्या बीत रही है, ये जानने के लिए जब हम उसके दिल्ली के घर में पहुंचे तो तंग गलियों के बीच एक छोटी सी झुग्गीनुमा मकान से पूछा गया कि, "आप लोग कौन हैं? आप लोग क्या चाहते हैं? घर के अंदर कोई नहीं है। मेरे पति काम के लिए बाहर हैं। मैं विनय की मां हूं......"
अभी भी है चमत्कार की उम्मीद !
वक्त ने ऐसा हाल कर दिया है कि 50 के दशक में भी विनय शर्मा की मां उम्र से कहीं ज्यादा बूढ़ी नजर आती है। वह घर में कपड़े धो रही थी, लेकिन किसी भी बाहरी को अंदर आने देने के लिए तैयार नहीं थी। उसने हमें देखकर तपाक से सवाल पूछ लिया कि, "क्या लिखोगे तुम? कुछ होता है तुम्हारे लिखने से?......अगर भगवान चाहेंगे तो वह बच जाएगा......ये सब भगवान की इच्छा है। कोरोना वायरस को देखो। सब कुछ भगवान तय करते हैं...कि कौन जियेगा और कौन मरेगा। यह इंसान के नियंत्रण के बाहर की चीज है। न आपके हाथ में है और न ही उनके हाथ में....... " महिला जानती है कि उसके बेटे की बचने की सारी कोशिशें खत्म हो चुकी हैं, लेकिन लगता है कि अभी भी किसी चमत्कार की उम्मीद नहीं छूटी है।
'पूड़ी-सब्जी और कचौड़ी' खिलाने की है इच्छा-विनय की मां
बुधवार तक निर्भया के चार में से विनय शर्मा समेत तीन गुनहगारों के परिजनों को उनसे आखिरी मुलाकात करवाने की औपचारिकता पूरी कर दी गई थी। सबको बंद कमरे में उनसे मिलने और एक-दूसरे को स्पर्श करने की भी इजाजत दी गई थी। सिर्फ अक्षय ठाकुर के परिजनों की ये औपचारिकता बाकी रह गई थी। बेटे से इस मुलाकात के बाद विनय शर्मा की मां की अंतिम इच्छा बाकी ही रह गई थी। उसने इसके बारे में कुछ इस तरह हमसे बयां किया, "तिहाड़ जेल के कर्मचारियों ने मुझे कभी भी खाना या दूसरी चीजें ले जाने की मंजूरी नहीं दी। लेकिन, अगर वो अनुमति देंगे तो इस बार मैं उसके लिए पूड़ी-सब्जी और कचौड़ी ले जाना चाहूंगी।" उनके मुताबिक वो एक बार और अपने बेटे से मिलने जा रही हैं।
तड़के 5.30 बजे ऐक्शन में होगा जल्लाद
26 वर्षीय विनय शर्मा को बाकी तीनों दोषियों मुकेश सिंह (32 साल), पवन गुप्ता (25 साल) और अक्षय कुमार सिंह (31 साल) के साथ इकट्ठे तिहाड़ के जेल नंबर तीन में शुक्रवार तड़के 5.30 बजे फांसी के तख्ते पर लटका दिया जाएगा। पिछले 5 मार्च को दिल्ली की एक निचली अदालत ने 20 मार्च को फांसी देने के लिए एक नया डेथ वारंट जारी किया था। जबकि, दिसंबर, 2012 के इस निर्भया गैंगरेप और हत्या के एक और आरोपी राम सिंह ने 2015 में ही तिहाड़ जेल के अंदर ही कथित तौर पर खुदकुशी कर ली थी। इस केस के एक और सबसे खतरनाक दोषी को नाबालिक होने की वजह से सिर्फ 3 साल तक रिमांड होम में रखने के बाद 2015 में ही आजाद कर दिया गया था।
शुक्रवार मिलेगा निर्भया को इंसाफ
निर्भया के साथ गैंगरेप और हत्या के सात साल और तीन महीने गुजर चुके हैं। 16 दिसंबर, 2012 की रात 23 साल की पैरामेडिकल की स्टूडेंट निर्भया (काल्पनिक नाम) के साथ 6 लोगों ने चलती बस में दरिंदगी को अंजाम दिया और उसके जिस्म के साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थी। 6 दरिदों ने वारदात के बाद पीड़िता को उसके पुरुष मित्र के साथ चलती बस से नीचे फेंक दिया था। बाद में देश में बढ़ते जनाक्रोश के दबाव में तत्कालीन यूपीए सरकार ने पीड़िता को इजाल के लिए सिंगापुर के एक अस्पताल में भेज दिया, जहां इलाज के दौरान ही उसने दम तोड़ दिया। निर्भया तो नहीं लौट सकती, लेकिन उसके गुनहगारों को सजा मिलने से उसके परिजनों के साथ ही करोड़ों देशवासियों में न्याय भरोसा में विश्वास जरूर कायम रहेगा।