जानिए गल्फ वॉर और कुवैत में भारत के रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़े कुछ तथ्य
नई दिल्ली। इस समय एक फिल्म की वजह से देश के लोगों को फिर से एक एतिहासिक और गौरवशाल पल की याद दिलाई जा रही है। 'एयरलिफ्ट' यह नाम है उस फिल्म का जिसका आधार है 1990 में छिड़ा खाड़ी युद्ध और इसके बाद इराक से भारतीयों को बाहर निकालने से जुड़ा राहत कार्य।
यह अजीब बात ही है कि जब तक कोई फिल्म या कलाकार पर्दे पर देश के गौरव के बारे में न बताए, हम शायद उसकी बात करने से भी कतराते हैं।
जबकि यह काफी हद तक गलत है। आपको इस गल्फ वॉर और इस युद्ध में भारत की भूमिका के बारे में पता होना चाहिए। इस बात को ही ध्यान में रखकर एक नजर डालिए उन तथ्यों पर जो इस युद्ध और रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़े हुए हैं।
आगे की स्लाइड्स पर क्लिक करिए और जानिए इस ऑपरेशन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे।
सद्दाम हुसैन ने किया हमला
कुवैत को इराक का 19वां प्रांत बनाने के मकसद से इराक के शासक सद्दाम हुसैन ने दो अगस्त 1990 को कुवैत पर हमला कर दिया था। इराक की सेना ने अपने शक्तिशाली टैंकों को लेकर कुवैत की ओर बढ़ना शुरू कर दिया था। सिर्फ कुछ घंटों में इराक ने कुवैत को अपने कब्जे में ले लिया था।
दुनिया के 39 देश इराक के खिलाफ
सिर्फ दो दिनों के अंदर ही इराक की सेना ने कुवैत के एक बड़े हिस्से पर अपना कब्जा कर लिया था। इराक के कब्जे के खिलाफ दुनिया के 39 देशों जिसमें अमेरिका और ब्रिटेन भी शामिल थे, एक ऑपरेशन, ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म लांच किया।
कई लोग बेघर
इस युद्ध में इराक के 100,000 सैनिकों की मौत हो गई थी। बिलियन डॉलर्स खर्च हुए और लाखों लोग बेघर होने को मजबूर हो गए थे।
कर्जे से मुक्ति चाहते थे सद्दाम
कुवैत पर इराक के हमले के पीछे तेल की राजनीति जिम्मेदार थी। सद्दाम हुसैन इराक को उस बिलियन डॉलर के कर्जे से छुटकारा दिलाना चाहते थे जो आठ वर्षों तक ईरान के साथ युद्ध की वजह से उन पर लद गया था। इसलिए उन्होंने तेल के लिए मशहूर इस देश पर हमले की योजना तैयार की थी।
कुवैत पहुचें आईके गुजराल
इस युद्ध के साथ ही भारत की चिंताएं कुवैत में बसे भारतीयों को लेकर दोगुनी हो गईं। उस समय पूर्व प्रधानमंत्री रहे आईके गुजराल को कुवैत भेजा गया और इसके साथ ही भारतीयों को निकालने का काम शुरू हुआ।
शुरू हुआ भारतीय अभियान
गुजराल के पहुंचने के बाद इराक ने भारत को राहत कार्य शुरू करने की इजाजत दे दी।
170,000 भारतीयों को निकाला गया
कुवैत युद्ध की वजह से वहां पर बसे 170,000 भारतीय पूरी तरह से कंगाल हो गए थे और उनका घर भी उनसे छिन चुका था। एयर इंडिया ने इन भारतीयों को निकालने का काम शुरू किया। लगातार 59 दिनों तक 488 फ्लाइट्स के जरिए एयर इंडिया ने भारतीयों को वहां से निकाला।
अगस्त से अक्टूबर तक चला मिशन
एयर इंडिया ने 13 अगस्त को कुवैत में रेस्क्यू मिशन की शुरुआत की जो कि 11 अक्टूबर 1990 को खत्म हुआ। इसके साथ ही एयर इंडिया ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम भी दर्ज कराया।