वायरल वीडियो: बर्फ़ पर चढ़ते भालू और उसके बच्चे की असल कहानी
सोशल मीडिया पर सनसनी मचा रहे इस वीडियो की शोधकर्ता क्यों कर रहे हैं आलोचना. दिमिग्रा केद्रोव ने अपने वीडियो का बचाव किया है. रूसी वेबसाइट लेंता.आरयू से बातचीत में उन्होंने दावा किया कि उन्होंने जानवरों को किसी तरह की बाधा नहीं पहुँचाई और वीडियो में जो हिस्सा जानवरों को बेहद नज़दीक दिखा रहा है, वो दरअसल, ज़ूम इफ़ेक्ट है और वीडियो के पोस्ट प्रोडक्शन का हिस्सा है.
सोशल मीडिया में इन दिनों एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है, जिसमें दिखाया गया है कि भालू का एक बच्चा बर्फ़ के पहाड़ पर चढ़ने की किस तरह भरसक कोशिश कर रहा है.
इस वीडियो को सोशल मीडिया पर एक इंस्पिरेशन यानी प्रेरणा के साथ टैग कर वायरल किया जा रहा है.
वीडियो में देखा जा सकता है कि एक बेबी भालू किस तरह से अपनी माँ के साथ एक बर्फ़ के पहाड़ पर चढ़ने की कोशिश कर रहा है. पहली बार तो बेबी भालू अपनी माँ के साथ बर्फ़ीली ढलान के किनारे पर खड़ा दिखाई देता है.
जब उसकी माँ धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगती है तो वो भी उसके पीछे-पीछे चलता दिखाई देता है. पहाड़ पर जमी बर्फ़ के ऊपर बार-बार फिसलने के बाद भी भालू का बच्चा हार नहीं मानता और लगातार चढ़ने का प्रयास करता रहता है.
बेबी भालू के इस गिरने के क्रम में एक मौक़ा ऐसा भी आता है, जब लगता है कि अब तो बेबी भालू का खेल खत्म हो गया.
लेकिन वो किसी तरह चट्टान पर अपनी पकड़ बनाने में क़ामयाब रहता है और आख़िरकार चोटी पर खड़ी अपनी माँ के पास पहुँचने में कामयाब रहता है.
सोशल मीडिया पर लोग इस वीडियो फ़ुटेज को खूब पसंद कर रहे हैं. लोग इसे प्रेरणादायक बता रहे हैं.
https://www.youtube.com/watch?v=DjYH7D3sWFg
इसे फ़िल्माने वाला कौन?
ये तो रही वायरल वीडियो की वो कहानी जो लोगों ने देखी. लेकिन जीव विज्ञानी और प्राकृतिक दुनिया से नाता रखने वाले अन्य शोधकर्ता इसे फ़िल्माए जाने को लेकर सवाल भी उठा रहे हैं और इसकी आलोचना कर रहे हैं.
दरअसल, इस वीडियो को रूसी फ़ोटोग्राफ़र दिमित्रि केद्रोव ने ड्रोन के ज़रिए फिल्माया था.
वीडियो को ग़ौर से देखें तो पता चलता है कि कुछ मौक़ों पर भालू ड्रोन को लेकर कतई सहज नहीं है और कई मर्तबा वो आक्रामक भी नज़र आता है.
नेशनल ज्योग्राफ़िक ने उस लम्हे को बेहद अहम बताया जब बेबी भालू चोटी पर पहुँचने ही वाला होता है, लेकिन ड्रोन चोटी पर बेचैन खड़े भालू के इतने नजदीक पहुँच जाता है कि वो उस पर अपने पंजे से हमला करता हुआ दिखता है. इसके बाद बेबी भालू बर्फ़ की चट्टान पर कई मीटर नीचे फिसलता हुआ दिखता है.
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जानकारों का राय
इदाहो यूनिवर्सिटी के प्रकृति विज्ञानी सोफ़ी गिल्बर्ट कहते हैं, "भालू की नज़र से देखें तो उसके लिए ये अज्ञात उड़ती हुई वस्तु यानी यूएफ़ओ है. उसने कभी जीवन में अगर ऐसी चीज़ नहीं देखी होगी और उसके साथ बच्चा हो तो निश्चित तौर पर उसकी प्रतिक्रिया ऐसी ही होगी."
नेशनल ज्योग्राफ़िक का मानना है कि ड्रोन की मौजूदगी ने भालुओं के लिए ख़तरनाक स्थिति पैदा कर दी थी.
उनका कहना है कि हो सकता है कि ड्रोन से बचने के प्रयास में भालू ने चोटी पर पहुँचने के लिए मुश्किल रास्ता चुना हो. आमतौर पर भालू जब अपने बच्चों के साथ होते हैं तो कठिन रास्ता चुनने से बचते हैं.
वीडियो का बचाव
लेकिन दिमिग्रा केद्रोव ने अपने वीडियो का बचाव किया है. रूसी वेबसाइट लेंता.आरयू से बातचीत में उन्होंने दावा किया कि उन्होंने जानवरों को किसी तरह की बाधा नहीं पहुँचाई और वीडियो में जो हिस्सा जानवरों को बेहद नज़दीक दिखा रहा है, वो दरअसल, ज़ूम इफ़ेक्ट है और वीडियो के पोस्ट प्रोडक्शन का हिस्सा है.
केद्रोव ने कहा कि ड्रोन की आवाज़ सुनने से पहले बेबी भालू कई बार बर्फ़ की चट्टान पर कई बार फिसल चुका था.
केद्रोव ने कहा, "ये जानवरों का रोज़मर्रा का जीवन है और हम लगातार इसकी निगरानी करते रहते हैं."
लेकिन प्रकृति विज्ञानियों का कहना है कि इसके तमाम उदाहरण हैं जिनसे साबित होता है कि ड्रोन की मौजूदगी और इसकी आवाज़ दोनों ही जानवरों के व्यवहार पर असर डालते हैं.
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