सावधान रहें! सितंबर-अक्टूबर में दिल्ली में कोरोना मृत्यु दर लगभग दोगुनी हो गई है
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में एक बार फिर कोरोना महामारी के बढ़ते खतरे के संकेत मिलने लगे हैं। इसकी तस्दीक गत रविवार को कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों की मौतों के बढ़ते आंकड़ों से की जाती है, जो अब 6,000 के आंकड़े को पार कर गई है। सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की मृत्यु दर इजाफा हो रहा है, जो पिछले दो महीनों में बढ़कर लगभग दोगुनी हो गई है।
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दिल्ली की 10 दिवसीय औसत मृत्यु दर पिछले माह करीब दोगुना हो गया है
दिल्ली की 10-दिवसीय औसत मृत्यु दर यानी 10 दिनों में दैनिक मौतों का औसत पिछले महीने में लगभग दोगुना हो गया है। गत 18 सितंबर और 18 अक्टूबर के बीच दिल्ली का 10-दिन का औसत 0.69 फीसदी से बढ़कर 1.18 फीसदी हो गया है। हालांकि दैनिक मौत का आंकड़ा 30-48 मौतों के बीच घटता-बढ़ता रहा है। केवल 4 दिनों के भीतर यह आंकड़ा 30 मौतों के नीचे फिसला है। गत 18 अक्टूबर तक दिल्ली में कुल मिलाकर 6,009 मौतें हुईं हैं, जबकि 3,31,701 कोविद -19 मामलों में 3,01,716 रिकवरी हुई है।
दिल्ली में औसत दर 18 सितंबर और 18 अक्टूबर के बीच लगातार बढ़ी है
दिल्ली सरकार द्वारा जारी स्वास्थ्य बुलेटिनों के अनुसार पिछले महीने में 10 दिनों की औसत मृत्यु दर बढ़ रही है। डेटा से पता चला कि औसत दर 18 सितंबर और 18 अक्टूबर के बीच लगातार बढ़ी है। हालांकि दैनिक मौतों के संदर्भ में इसी अवधि में राष्ट्रीय राजधानी में उतार-चढ़ाव दर्ज किया है। दैनिक मृत्यु 30-48 के बीच हो गई, केवल चार दिनों में दैनिक मृत्यु दर 30 से नीचे फिसला है।
18 अक्टूबर को दिल्ली में कोरोना से मौत का आंकड़ा 3,299 तक गिर गई थी
हालांकि दिल्ली में मरने वालों की संख्या बढ़ रही है। दैनिक मामलों में इसी अवधि में गिरावट दर्ज की गई है। 18 सितंबर को मौत का आंकड़ा जहां 4,127 था, लेकिन 18 अक्टूबर को यह 3,299 तक गिर गई थी। इस महीने की शुरुआत में गत 6 अक्टूबर को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस प्रवृत्ति की ओर इशारा किया और कहा कि दिल्ली कोविद -19 मामलों के दूसरे शिखर से गुजरी है। 29 सितंबर को, स्वास्थ्य मंत्री जैन ने कहा कि उस महीने दर्ज किए गए उच्च केस लोड के बावजूद जून में दर्ज की गई मृत्यु दर सिर्फ इसकी एक तिहाई थी, वह भी तब जब आखिरी बार दिल्ली में मामले शिखर थे।
सर्दियों के मौसम में कोरोना से मौत का मामला दिल्ली में बिगड़ सकता है
दिल्ली सरकार द्वारा संचालित राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में निदेशक डॉ. बी.एल. शेरवाल ने द प्रिंट से एक बातचीत में बताया कि दिल्ली में बढ़ती मृत्यु दर दर्शाती है कि बुजुर्ग आबादी की अधिक संख्या में संक्रमित हो रहे हैं। जो लोग मर रहे हैं, वे कॉमरेडिटी ( बड़ी उम्र की बीमारी) अथवा बुजुर्ग आयु वर्ग के हैं। यहां तक कि अस्पताल में भर्ती होने के मामले में केवल उन मामलों में प्रवेश की सलाह दे रहे हैं, जहां ऑक्सीजन का स्तर 94 से नीचे चला गया है अथवा व्यक्ति को कॉम्बिडिटीज हैं या कमजोर आयु वर्ग के हैं।
केवल कमजोर समूहों द्वारा मामलों को बदतर बनाने की उम्मीद हैः डाक्टर
केंद्र सरकार द्वारा संचालित लेडी हार्डिंग अस्पताल में निदेशक प्रोफेसर एन.एन. माथुर ने कहा कि सर्दियों की शुरुआत केवल ऐसे कमजोर समूहों के लिए मामलों को बदतर बनाने की उम्मीद है, जो पहले से ही मृत्यु दर में दिखाई दे रहे हैं। जैसे-जैसे सर्दी बढ़ रही है और प्रदूषण के बढ़ते स्तर के साथ पहले संरक्षित कमजोर समूह अब और भी अधिक अतिसंवेदनशील हो गए हैं। वे वायरस के संपर्क में आ रहे हैं और (अधिक) मौतें हो रही हैं।
दिल्ली को बढ़ती मृत्यु दर की बहुत परवाह नहीं चाहिए: निजी अस्पताल
सर गंगाराम अस्पताल में चिकित्सा विभाग अध्यक्ष डॉ एस.पी. बायोट्रा ने कहा कि दिल्ली को बढ़ती मृत्यु दर की बहुत परवाह नहीं चाहिए, क्योंकि ज्यादातर हो रहीं मौतें अन्य राज्यों से आने वाले गंभीर मरीजों की हैं। दिल्ली में 40 फीसदी मरीज पड़ोसी राज्यों जैसे कि यूपी, हरियाणा और बिहार से हैं। उन्होंने बताया कि निमोनिया के साथ बहुत बीमार रोगी अक्सर बाहर से आ रहे हैं और वे दिल्ली में मर रहे हैं। अन्यथा दिल्ली में स्थिति चिंताजनक नहीं है, क्योंकि दैनिक मामले कम हो रहे हैं।