BBC SPECIAL: ‘हमरा बेटी के नोच लेलक, ओकरा फांसी मिले’
उ सब हमरा बेटी के नोच लेलक. कउऩो जानवरो के लोग अइसन शिकार न कर हई. अब हम का कहू. ओकनी के फ़ांसी पर लटकावे के सजा मिंलल चाही. हमर पोतिया हमरे साथ सुतल रहली. उ दिन घर लौटलई तो रोइत रहई. खईबो न कलई. लाख पूछली, तबो कुछो बतावे के तैयार नहीं. उ ता 29 तरिखवा के पुलिस अएलक, त पता चलल कि इ सब भेल हई. ओकनी के मौत के सजा मिले.'
'उ सब हमरा बेटी के नोच लेलक. कउऩो जानवरो के लोग अइसन शिकार न कर हई. अब हम का कहू. ओकनी के फ़ांसी पर लटकावे के सजा मिंलल चाही. हमर पोतिया हमरे साथ सुतल रहली. उ दिन घर लौटलई तो रोइत रहई. खईबो न कलई. लाख पूछली, तबो कुछो बतावे के तैयार नहीं. उ ता 29 तरिखवा के पुलिस अएलक, त पता चलल कि इ सब भेल हई. ओकनी के मौत के सजा मिले.'
(उनलोगों ने मेरी बेटी को नोच लिया. कोई जानवरों का भी इस तरह शिकार नहीं करता. अब हम क्या कहें. उन लोगों को फ़ांसी पर लटका देना चाहिए. मेरी पोती मेरे साथ ही सोती थी. उस दिन घर लौटी तो रो रही थी. बहुत पूछने पर भी उसने कुछ नहीं बताया. 29 तारीख को जब पुलिस मेरे घर आयी, तो सारी बात पता चली. उन्हें मौत की सजा मिले.)'
राजकुमारी देवी अब रोने लगीं हैं. इससे आगे उनसे बातचीत संभव नहीं हो पाती.
वो उस रंभा कुमारी की दादी हैं, जिनसे छेड़खानी और सरेआम कपड़े फाड़ने का वीडियो पूरे देश में वायरल हो चुका है. इस कारण वे टूट चुकी हैं.
इस रिपोर्ट में पीड़िता और उसके परिवार के सभी सदस्यों के नाम बदले हुए हैं.
करीब 70 साल की राजकुमारी देवी से मेरी मुलाकात जहानाबाद के एक निजी अस्पताल में हुई, जहां वे अपनी विवाहिता बेटी के अपेंडिक्स का आपरेशन कराने पहुंची थीं.
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दिल्ली में हैं पीड़िता के पापा
उन्होंने मुझे बताया कि रंभा के पापा (अपने सबसे बड़े बेटे) को उन्होंने इस घटना के बाबत कुछ भी नहीं बताया है. वे दिल्ली में मजदूरी करते हैं. इसलिए वे अपने एक भाई के साथ दिल्ली में ही हैं.
राजकुमारी देवी के पति, तीन बेटे, बहुएं और पोते-पोतियां उनके साथ गांव में रहते हैं. रंभा अपने परिवार की सबसे बड़ी संतान है और रविदास टोले की इकलौती लड़की, जो जहानाबाद जाकर पढ़ाई करती हैं.
दलित बहुल्य गांव की कहानी
कुछ देर बाद मैं जहानाबाद से 2 किलोमीटर दूर नेशनल हाईवे-83 के किनारे बसे एक गांव के उस रविदास टोले में था, जहां रंभा कुमारी का मकान है.
रविदास टोले में करीब 400 घर हैं. यहां रविदास जाति के लोग रहते हैं. बिहार सरकार ने इन्हें महादलित की श्रेणी में रखा है. गांव में सबसे बड़ी आबादी इसी जाति के लोगों की है. दूसरे नंबर पर मांझी हैं. गांव में यादवों और मुसलमानों के भी घर हैं लेकिन अधिकतर आबादी दलित है.
इस समुदाय के लोगों को कई साल पहले मुसलमानों ने ज़मीन देकर यहां बसा दिया था. लिहाजा, उनके पास ज़मीन के पक्के कागज़ात नहीं हैं. इस कारण प्रधानमंत्री आवास योजना के घर इन्हें आवंटित नहीं हो सके हैं. लिहाजा, दलितों के नब्बे फ़ीसदी घर कच्चे-खपरैल हैं और मजदूरी इनका पेशा है.
पुलिस-प्रशासन की चौकसी
रंभा के घर पहुंचने के लिए भी मुझे संकरी गलियों से गुजरना पड़ा. लेकिन, उनके घर के बाहर पुलिस तैनात है. अंदर किसी के भी जाने की मनाही है. कई घंटे की मिन्नतें-मशक्कत और पुलिस के जाने के बाद मैं उनके घर में दाखिल हो सका.
वैसे तो यह पक्के का मकान है. इसकी दीवारें ईंट की हैं, लेकिन उनपर प्लास्टर नहीं है.
एक कमरे के दरवाजे पर पतली रस्सी के सहारे परदा टंगा है. परदे के पीछे वाले कमरे में एक चौकी पर रंभा के साथ कुछ लड़कियां बैठी हैं. वे बाहर झांकती हैं. हमारी नज़रें मिलती हैं लेकिन बातचीत नहीं हो पाती. वे मना कर देती हैं.
रंभा गोरी है और हंसमुख भी. सहसा यकीन नहीं होता कि इतनी मासूम बच्ची के साथ कोई कैसे वैसी हरकत कर सकता है.
मां की पीड़ा, आक्रोश और उत्तेजना
बहरहाल, मैं रंभा कुमारी की मां तेतरी देवी (बदला हुआ नाम) से मुखातिब हूं. वे कच्ची फर्श पर बैठकर हमसे बात करती हैं. इस फर्श को गोबर और मिट्टी से लीपा (पोछा लगाना) गया है. मैंने उनसे पूछा कि कैसे हुआ ये सब.
तो वो गुस्से में मुझसे ही पूछती हैं, "आपलोग बताइए कि कैसे हुआ. मेरी बेटी 25 अप्रैल को जहानाबाद के कोचिंग सेंटर में पढ़ने गयी थी. वहां सुबह 9 बजे छुट्टी हो गयी थी. इसके बाद उसकी एक सहेली के पुरुष रिश्तेदार ने रंभा को अपनी बाइक से घर छोड़ देने को कहा. दोनों साथ आ रहे थे, तभी यह घटना घट गयी."
यह पूछने पर कि जहां यह वारदात हुई, वह रास्ता तो आपके गांव की विपरीत दिशा में हैं. रंभा वहां क्यों चली गयी. तेतरी देवी ने कहा, "यह सब मुझे नहीं पता है और अब आपलोग भी निकलिए. वे दरअसल अपनी पीड़ा पर काबू नहीं रख पातीं और अचानक उत्तेजित हो जाती हैं."
साहसी है लड़की, सरकार मुआवजा दे
इसके बाद मेरी मुलाकात उनके पड़ोसी परछू रविदास से होती है. वो बीबीसी से कहते हैं, "रंभा साहसी लड़की थी. नहीं तो अकेले उतने लड़कों से नहीं लड़ी होती. सरकार को तत्काल उसके परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा देना चाहिए. ताकि, उसका मनोबल बढ़े और वह अपनी बाक़ी की पढ़ाई पूरी कर सके."
सिर्फ एक आरोपी फरार
बहरहाल, 25 मई को हुई इस वारदात के वीडियो के वायरल होने के बाद सक्रिय हुई बिहार पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने छेड़खानी और इसका वीडियो वायरल करने के कुल तेरह आरोपियों में से 12 को गिरफ़्तार कर लिया.
जहानाबाद के एसपी मनीष ने बीबीसी को बताया, "अब सिर्फ़ वह लड़का फ़रार है, जो रंभा को अपने साथ लेकर भरथुहा गया था."
उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि बहुत जल्दी हम इस मामले में निर्णायक जांच कर लेंगे और अंतिम आरोपी भी हमारी पकड़ में होगा.