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BBC ISWOTY- अनीता देवी: पुलिस कॉन्स्टेबल बनने से लेकर मेडल जीतने तक का सफ़र

हरियाणा की महिला पुलिसकर्मी अनीता देवी, पिस्टल शूटिंग की पूर्व राष्ट्रीय चैंपियन हैं. इन दिनों वह अपने बेटे को निशानेबाज़ के तौर पर तैयार कर रही हैं.

By BBC News हिन्दी
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कभी-कभी एक मामूली दिखने वाला लक्ष्य किसी व्यक्ति की छिपी हुई प्रतिभा को प्रोत्साहित कर सकता है। हरियाणा की महिला पुलिसकर्मी और निशानेबाज़ अनीता देवी की कहानी कुछ ऐसी है जो पिस्टल शूटिंग की नेशनल चैंपियन बनीं. अनीता देवी ने 2008 में हरियाणा पुलिस में कांस्टेबल बनीं. प्रमोशन हासिल करने के उद्देश्य से उन्होंने निशानेबाज़ी पर अपना ध्यान केंद्रित किया. उनके पति धर्मबीर गुलिया ने इसमें उनका पूरा साथ दिया. हालांकि उस वक्त उन्हें अंदाज़ा नहीं था कि एक दिन वह इस खेल की नेशनल चैंपियन बनेंगी.

अनीता देवी
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अनीता देवी

अनीता देवी बेहतरीन निशानेबाज़ के तौर पर उभरीं और 2011 से 2019 के बीच हर साल उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर मेडल हासिल किया. हालांकि इंटरनेशनल स्तर पर शूटिंग नहीं करने की कसक उनमें है. उन्होंने बताया कि अपने करियर के बेहतरीन दौर में जानकारी और गाइडेंस के अभाव में वह इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट फेडरेशन (आईएसएसएफ) की संबद्धता हासिल नहीं कर सकीं थीं. एक समय अनीता भारत की नंबर तीन निशानेबाज़ थीं लेकिन वह इंटरनेशनल टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं ले सकीं.

दरअसल, शूटिंग स्पोर्ट फेडरेशन का संबद्धता पत्र की ज़रूरत भारत सरकार को होती है. इसके बाद ही किसी एथलीट को इंटरनेशनल इवेंट में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजा जाता है. हालांकि निजी तौर पर अनीता देवी ने 2016 में हैनोवर में हुई इंटरनेशनल शूटिंग कॉम्पिटीशन में हिस्सा लिया था. इस इवेंट में आईएसएसएफ संबद्धता पत्र की ज़रूरत नहीं होती है. यहां उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में सिल्वर मेडल हासिल किया जबकि 25 मीटर एयर पिस्टल में उन्होंने कांस्य पदक हासिल किया. 36 साल की अनीता देवी अभी भी शूटिंग का अभ्यास करती हैं लेकिन अब उनका ध्यान 14 साल के बेटे को उम्दा निशानेबाज़ बनाने पर है.

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कैसे बनाया शूटिंग में करियर

अनीता देवी का जन्म हरियाणा के पलवल ज़िले के लालपरा गांव में हुआ था. उनके माता-पिता चाहते थे कि अनीता खेलकूद में हिस्सा ले. उनके पिता खुद एक पहलवान थे और वे अपनी बेटी को भी रेसलर बनाना चाहते थे. लेकिन अनीता ने रेसलिंग से इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि इस खेल से कान बिगड़ जाते हैं.

अनीता को शुरुआती दौर में शूटिंग के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था. हरियाणा पुलिस में शामिल होने के बाद उन्होंने विभाग से विशेष अनुमति लेकर कुरुक्षेत्र के गुरुकुल शूटिंग रेंज में प्रशिक्षण लेना शुरू किया. इसके लिए उन्हें सोनीपत से दो घंटे सफ़र करना होता था. लेकिन उनकी मेहनत रंग लायी और एक महीने के अंदर ही अनिता ने हरियाणा स्टेट चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत लिया.

अनीता देवी
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अनीता देवी

अनीता का शूटिंग करियर इसलिए भी परवान चढ़ पाया क्योंकि उनके पति मदद के लिए साथ थे. उन्होंने काफ़ी पैसा भी ख़र्च किया. जब अनीता ने शूटिंग करने का फ़ैसला लिया तब उनका मासिक वेतन 7200 रुपये था लेकिन पति ने उन्हें 90 हज़ार रुपये की पिस्टल दिलायी. इसके अलावा पुलिस विभाग ने भी उनकी मदद की. खेल की ज़रूरत के मुताबिक उन्हें समय मुहैया कराया गया.

धीरे-धीरे अनीता शूटिंग में रमती गईं तब उनके नियोक्ताओं को लगा कि वह नौकरी से ज़्यादा खेल पर ध्यान दे रही है. अनीता देवी को नौकरी और खेल में कोई एक चीज़ चुनने को कहा गया और उन्होंने शूटिंग को चुन लिया. लेकिन पुलिस विभाग ने उनका इस्तीफ़ा स्वीकार नहीं किया और वह हरियाणा पुलिस में हेड कांस्टेबल की ज़िम्मेदारी निभा रही हैं और जल्दी ही असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर बनने वाली हैं.

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बहुत परिश्रम करना पड़ा

2013 अनीता देवी के लिए सबसे कामयाबी भरा साल रहा. वह नेशनल चैंपियन बनीं. इसके अलावा 2013 की अखिल भारतीय पुलिस चैंपियनशिप में उन्होंने तीन गोल्ड मेडल जीता, उन्हें चैंपियनशिप का सर्वश्रेष्ठ शूटर आंका गया.

इसके बाद 2015 के नेशनल गेम्स में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता, चार साल पर होने वाले इस टूर्नामेंट का आयोजन इसके बाद नहीं हुआ है. अनीता देवी का सपना अब अपने बेटे के साथ राष्ट्रीय टूर्नामेंट में शामिल होना है. उन्हें उम्मीद है कि उनका बेटा एक दिन भारत के लिए ओलंपिक मेडल हासिल करेगा.

अपने परिवार के संघर्षों को याद करते हुए अनीता बताती हैं कि खेल की कामयाबी काफी त्याग के बाद मिली है. 2013 में एक टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के चलते वह अपने पिता के अंतिम संस्कार में नहीं शामिल हो पायी थीं. अनीता देवी के मुताबिक उनके पिता, पति और घर के दूसरे सदस्यों का साथ नहीं मिला होता हो तो वह कामयाब निशानेबाज़ नहीं बन पातीं. उन्हें उम्मीद है कि वह अपने बेटे को वैसा ही मददगार वातावरण मुहैया करा पाएंगी.

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English summary
BBC ISWOTY - Anita Devi: The journey from becoming a police constable to winning a medal
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