Report: केरल में चमगादड़ और सूअर नहीं निपाह वायरस की मुख्य वजह
नई दिल्ली। केरल के कोझिकोड और मलप्पुरम जिलों में निपाह वायरस से 12 लोगों की मौत होने के बाद, चमगादड़ से जुड़े सैंपल इकट्ठे किए गए, जो टेस्ट में नेगेटिव साबित हुए हैं। सेंट्रल मेडिकल टीम ने इसकी रिपोर्ट शनिवार को स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंप दी है। इस रिपोर्ट के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने निपाह वायरस के लिए चमगादड़ और सूअर मुख्य वजह से होने से इनकार किया है। मेडिकल टीम अब रिपोर्ट निष्कर्षों के बाद निपाह प्रकोप के पीछे अन्य संभावित कारणों की तलाश में जुट गई है।
चमगादड़ और सूअरों नहीं मुख्य वजह
मेडिकल टीम ने चमगादड़ की सात प्रजातियों, सूअरों की दो प्रजातियां, एक बोवाइन और एक कैप्रिन समेत कुल 21 सैंपल को नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनीमल डिज्सस भोपाल और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे भेज दिया गया है। इनमें केरल के पेरामंबरा के एक घर में कुएं में पाए गए चमगादड़ के नमूने शामिल थे, जहां से सबसे पहले मौत की सूचना मिली थी। उन्होंने निपाह वायरस के लिए नेगेटिव टेस्ट पाया है।
घबराने की जरूरत नहीं: स्वास्थ्य मंत्रालय
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि निपाह वायरस के कुल 15 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 12 की मौत हुई है और 3 का मरीजों का हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा कि चमगादड़ की वजह से हिमाचल में जो मौत हुई थी, उसके सैंपल को पुणे भेज दिया गया, जहां टेस्ट में यह नेगेटिव पाया गया। वहीं, इस प्रकार के 2 मामले जो हैदराबाद से आए थे , उसमें भी नेगेटिव टेस्ट निकला है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों से अपील की है कि ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है
कोई दवा नहीं है निपाह वायरस के लिए
अभी
तक
निपाह
वायरस
से
बचने
के
लिए
कोई
भी
टीका
या
दवा
नहीं
बन
पाया
है।
यह
वायरस
लोगों
के
स्राव
और
विसर्जन
के
साथ
निकट
संपर्क
के
माध्यम
से
फैलता
है।
निपाह
वायरस
मनुष्यों
के
संक्रमित
सुअर,
चमगादड़
या
अन्य
संक्रमित
जीवों
से
संपर्क
में
आने
से
फैलता
है।
यह
वायरस
एन्सेफलाइटिस
का
कारण
बनता
है।
यह
इंफेक्शन
फ्रूट
बैट्स
के
जरिए
लोगों
में
फैलता
है
2007
में
पश्चिम
बंगाल
के
सिलीगुड़ी
और
2007
में
नाडिया
जिले
से
निपाह
वायरस
के
मामले
पाये
गए
थे,
तब
दोनों
जिलों
में
कुल
47
मौतें
हुईं
थी।