चमगादड़ ने पहले कोरोनावायरस फैलाया और अब शोधकर्ता ने किया दावा चमगादड़ ही बचाएगा मनुष्यों को!
चमगादड़ ने पहले कोरोनावायरस फैलाया और अब शोधकर्ता ने किया दावा चमगादड़ ही बचाएगा मनुष्यों को!
नई दिल्ली। कोरोनावारस यानी की कोविड 19 के संक्रमण ने पूरी दुनिया में त्राहिमान मचा हुआ है। कोरोना संक्रमण से मौत के आंकड़े कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं तो वहीं अमेरिकी रिसर्चर के नए शोध ने अमेरिका की परेशानी बढ़ा दी है। लेकिन दुनिया भर के देशों पर छाएं कोरोना संकट के बीच वैज्ञानिक ने दावा किया हैं कि चमगादड़ों से मनुष्यों में फैले कोरोनावायरस से अब चमगादड़ ही बचाएगा।आइए जानते हैं कैसे?
चमगादड़ से मनुष्यों में फैला ये वायरस
बता दें कोरोनावायरस की उत्पत्ति कहां से हुई इस पर अब तक हुए शोध में साफ हो चुका हैं कि मनुष्यों में इस कोरोनावायरस आने का एक स्रोत चमगादड़ ही हैं। जैसा कि आपको पता हैं कि इस संक्रमण की शुरुआत चाइना के वुहान शहर से हुई। शोध में ये स्पष्ट हो चुका हैं कि चाइना के लोग चमगादड़ खाते हैं इसलिए वहां के लोगों में इसका वायरस पहुंचा और पूरी दुनिया भर में वुहान से ही कोरोना का वायरस फैला। सभी शोध में ये बात सामने आई हैं कि कोरोना वायरस के उत्पति में कहीं न कहीं चमगादड़ का हाथ है।
शोधकर्ता ने किया ये दावा
इस शोधकर्ता का दावा किया हैं जिस चमगादड़ की वजह से कोरोनावायरस मनुष्यों में फैला हैं अब वो ही चमगादड़ मनुष्यों को उससे बचाएगा। ये शोध पीटर डैसजैक शोधकर्ता ने किया हैं। उनके शोध में ये सकारात्मक बात सामने आने पर कोरोना महामारी से लड़ रहे देशों के सामने उम्मीद की एक किरण जैसी जाग गई है।
पिछले 10 सालों से चमगादड़ों पर कर रहे ये रिसर्च
मालूम हो कि पीटर डैसजैक शोधकर्ता जो ये दावा कर रहे हैं वो पीटर इकोहेल्थ एलायंस नाम की एक गैर सरकारी संस्था के प्रमुख हैं। उनकी ये वैज्ञानिक संस्था है जो घातक वायरसों की खोज, पहचान और बचाव करने में दुनियाभर के शोधकर्ताओं की मदद करता है। पी़टर डैसजैक 10 सालों में 20 से ज्यादा देशों में खतरनाक वायरस की खोज कर चुके हैं । पीटर दुनिया भर के शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को हर तरह के वायरस की जानकारी देते हैं। फिर पीटर से मिली जानकारी के अनुसार ये पता लगाया जाता है कि कौन सा वायरस इंसानों में फैल सकता है। ऐसा रिसर्च इसलिए किया जा रहा हैं ताकि कोरोना जैसी महामारी के लिए दुनिया को पहले से तैयार किया जा सके।
पीटर ने बताया कि कैसे चमगादड़ इंसानों को कोरोना से बचा सकेगा
पीटर डैसजैक ने दावा किया कि चमगादड़ों के खून में कोरोना और उसके जैसे कई वायरसों से लड़ने वाले एंटीबॉडीज मिले हैं ये एंटीबॉडी चमगादड़ों को कोरोना जैसे कई वायरसों से लड़ने में मदद करते हैं। पीटर डैसजैक ने बताया कि इन्हीं एंटीबॉडी की मदद से कोविड-19 कोरोना वायरस से लड़ने के लिए वैक्सीन बनाया जा सकता है। इसके लिए वैज्ञानिकों को इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए काम करना चाहिए । उन्होंने दावा किया कि अगर वैज्ञानिक इस प्रकार से वैकसीन बनाने में कामयाब हो जाते हैं तो कोरोनावायरस से इस मानवजाति को बचाया जा सकेगा।
From our archives: Both the makeup of a virus and human activities play into whether a pathogen makes the jump from animals to humans, Peter Daszak says. (2/2) https://t.co/VX8J6Y6kmL
— The Scientist (@TheScientistLLC) April 28, 2020
कोरोनावायरस पर पहले नहीं कभी शोध
पीटर डैसजैक ने ये भी जानकारी साक्षा की कि कैसे केन्या में लोगों को कोरोना से बचने के लिए अपने घर में मौजूद छेद बंद करने की सलाह दी जा रही हैं। ये सलाह इसलिए दी जा रही है ताकि चमगादड़ घरों में न घुसें इतना ही कई जानवरों से वायरस फैल सकता है. इसलिए बिल्ली, ऊंट, पैंगोलिन और अन्य स्तनपायी जीवों जो इंसानों के आसपास रहते हैं, उनसे उपयुक्त दूरी और साफ-सफाई का बहुत अधिक ध्यान रखें। पीटर डैसजैक ने ये भी जानकारी साक्षा कि 2003 में सार्स से पहले कोरोना वायरस के बारे में ज्यादा अध्ययन नहीं हुआ, इससे पहले केवल दो तरह के वायरस के बारे में जानकारी थी। जिसे 1960 में खोजा गया था। कोरोनावायरस हजारों सालों से चमगादड़ में मौजूद था लेकिन इस वायरस पर पहले कोई अध्धयन नहीं हुआ था।
ये हो चुका हैं खुलासा कि कैसे फैला कोरोना
गौरतलब है कि 2009 में नई बीमारियों की पहचान करने के लिए अमेरिका ने प्रेडिक्ट मिशन की स्थापना की थी। इसमें इकोहेल्थ एलायंस, द स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन, द वाइल्ड लाइफ कॉन्जर्वेशन सोसाइटी और कैलिफोर्निया की कंपनी ने साथ मिलकर एक महामारी ट्रैकर निर्मित किया गया था। प्रेडिक्ट ने सालों तक जांच करके हजारों प्रकार के कोरोना वायरसों की खोज की। कोरोना वायरस कोविड-19 का जब फैलाव होने लगा तो जांच में पता चला कि इसका डीएनए वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में बंद नमूनों से 96.2 फीसदी मेल खाता है। ये नमूने 2013 में यूनान प्रांत की गुफाओं में बंद चमगादड़ों से लिए गए थे।
वुहान शहर के एक मीट मार्केट से इंसानों में कोरोना वायरस फैला
वहीं अमेरिका यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न केलीफोर्निया की प्रोफेसर पाउली केनन के शोध में नई बात सामने निकल कर आई है।यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर मौजूद रिपोर्ट के मुताबिक संक्रामक रोगों में शामिल कोरोना वायरस की बीमारी का संबंध जानवरों से है। यूनिवर्सिटी में प्रफेसर पाउला कैनन ने अपने रिसर्च में दावा किया है कि अभी यह बात सामने नहीं आई है कि कोरोना का संक्रमण कैसे शुरू हुआ लेकिन जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक कोरोना वायरस घोड़े की नाल के आकार के चमगादड़ों से फैला है। कैनन के मुताबिक शोध के जरिए इस बात के पर्याप्त साक्ष्य सामने आए हैं कि कोरोना वायरस चमगादड़ों के जरिए ही इंसान में फैला है। ये संक्रमण एक इंसान से दूसरे इंसान में होते हुए पूरे विश्व में फैल गया। कैनन के मुताबिक चीन के वुहान शहर के एक मीट मार्केट से इंसानों में कोरोना वायरस फैला। चीन के इस सबसे बड़े मीट बाजार में जिंदा जीवों को बेचा जाता है। यहीं से कोरोना का संक्रमण दुनियाभर में फैला। इसी तरह से कुछ साल पहले भी कई देशों में मर्स और सार्स जैसे संक्रमण फैले थे।
इबोला वायरस भी चमगादड़ों से ही इंसानों में आया था
रिसर्च टीम के वैज्ञानिक का दावा है कि इबोला वायरस भी चमगादड़ों से ही इंसानों में आया था। वहीं मर्स वायरस चमगादड़ों से ऊंटों में फैला और ऊंटों से इंसानों में। जबकि सार्स चमगादड़ से बिल्लियों में फैला और बिल्लियों से इंसानों तक पहुंचा। केनन की मानें तो शोध के दौरान उन्हें कोरोना वायरस के ऐसे कई जेनेटिक कोड मिले हैं जो चमगादड़ों में पाए जाते हैं।