डेबिट कार्ड से लेनदेन ना होने पर भी बैंक काट लेते हैं पैसा, पढ़िए ये जरूरी खबर
नई दिल्ली। जहां एक तरफ सरकार डेबिट कार्ड के इस्तेमाल पर जोर दे रही है वहीं दूसरी तरफ बैंक डेबिट कार्ड के इस्तेमाल पर बेसिर पैर के चार्जेस लगा कर ग्राहकों की जेब पर बोझ बढ़ा रही है। ऐसा ही एक चार्ज है- ट्रांजेक्शन डिक्लाइनड चार्जेज। इसके तहत जब आप किसी एटीम मशीन में या किसी दुकान पर एटीएम स्वैप करते हैं और वो ट्रांजेक्शन आपके खाते में पर्याप्त पैसे नहीं होने के कारण डिक्लाइन हो जाता है तो बैंक आपके खाते से 17 से 25 रुपये रूपये काटता है और इस पर जीएसटी शुल्क अलग से लगता है।
अगर स्टेट बैंक की बात की जाए तो स्टेट बैंक अपने ग्राहक से खाते में पैसे न होने पर हर फेल ट्रांजेक्शन पर 17 रुपये चार्ज करता है। जबकि एचडीएफसी और आईसीआईसीआई बैंक अपने ग्राहकों से 25 रुपये शुल्क चार्ज करते हैं।
बैंक एटीएम से फेल ट्रांजेक्शन होने पर चार्ज वसूलने के पीछे वही तर्क देते हैं जो वे चेक बाउंस होने पर चार्ज लेने के पीछे देते है। लेकिन चेक से फेल ट्रांजेक्शन और एटीएम मशीन में फेल ट्रांजेक्शन के पीछे काफी अंतर है। जहां चेक क्लीयर होने में बैंक और ग्राहक के बीच एक तीसरी पार्टी शामिल रहती है जो चेक क्लियर करती है वहीं एटीएम मशीन में डेबिट कार्ड के इस्तेमाल में ऐसी कोई तीसरी पार्टी शामिल नहीं रहती है।
खास बात ये है कि नेशनल पेमेंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) एटीएम से फेल ट्रांजेक्शन को ट्रांजेक्शन ही नहीं मानता है। यानी कि इसके लिए बैंक को दूसरे बैंक, जिसका आपने एटीएम इस्तेमाल किया है को कोई पैसा नहीं देता पड़ता है। ऐसे में बैंको द्वारा एटीएम कार्ड पर ये वसूला जा रहा ये चार्ज ग्राहकों की जेब पर बोझ बढ़ाने के सिवा कुछ नहीं है।