बैंकिंग विनियम (संशोधन) विधेयक, 2020 लोकसभा में पारित, वित्तमंत्री बोलीं-जमाकर्ताओं की रक्षा करेगा बिल
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मानसून सत्र के दौरान बुधवार को लोकसभा में बैंकिंग विनियमन संशोधन विधेयक, 2020 को पारित कर दिया। लोकसभा में वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक सहकारी बैंकों को नियंत्रित नहीं करता है। सहकारी बैंकों का विनियमन 1965 से ही आरबीआई के पास है। हम कुछ नया नहीं कर रहे। जो नया कर रहे हैं वह जमाकर्ताओं के हित में है।
इस बिल में जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिये बेहतर प्रबंधन और समुचित नियमन के जरिये सहकारी बैंकों को बैकिंग क्षेत्र में हो रहे बदलावों के अनुरूप बनाने का प्रावधान किया गया है। यह विधेयक इससे संबंधित अध्यादेश के स्थान पर लाया गया है। विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या राज्यों से विचार विमर्श किया गया, वित्त मंत्री ने कहा कि जो विषय समवर्ती सूची में होते हैं, उन्हीं पर राज्यों से विमर्श करने की जरूरत होती है लेकिन यह मुद्दा संघ सूची है और इसके लिये राज्यों से चर्चा की जरूरी नहीं है।
बता दें कि, यह विधेयक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को अवश्यकता पड़ने पर सहकारी बैंकों के प्रबंधन में बदलाव करने का अधिकार देता है। इससे सहकारी बैंकों में अपना पैसा जमा करने वाले आम लोगों के हितों की रक्षा होगी । विधेयक में कहा गया है कि आरबीआई को सहकारी बैंकों के नियमित कामकाज पर रोक लगाये बिना उसके प्रबंधन में बदलाव के लिये योजना तैयार करने का अधिकार मिल जायेगा। कृषि सहकारी समितियां या मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र में काम करने वाली सहकारी समितियां इस विधेयक के दायरे में नहीं आयेंगी।
वहीं विपक्ष ने इस विधेयक को सहकारी संगठनों को लेकर राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप बताया था। कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि सरकार सहकारी बैंकों के निजीकरण का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि इससे सहकारी बैंकों की स्वायत्तता खतरे में पड़ जायेगी। गौरतलब है कि सहकारी बैंकों की सकल गैर निस्पादित आस्तियां (एनपीए) मार्च 2019 के 7.27 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2020 में 10 प्रतिशत हो गयी तथा वित्त वर्ष 2018-19 में 277 शहरी सहकारी बैंकों को घाटा होने की खबरें आई।
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