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बांग्लादेश के अस्पताल पूछते हैं बिहारी हो ? नहीं करते कोरोना का इलाज!

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नई दिल्ली- बांग्लादेश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में भी भेदभाव के गंभीर आरोप लग रहे हैं। यहां भारत के बंटवारे के समय गए मुसलमानों को बिहारी मुसलमान कहकर न सिर्फ नफरत के साथ बर्ताव किया जाता है, बल्कि अब ढाका के सरकारी अस्पतालों पर आरोप लग रहे हैं कि जैसे ही उन्हें पता चलता है कि मरीज बिहारी है, वह उन्हें भगा देते हैं। हालांकि, मीडिया वालों का उन खास अस्पतालों का पक्ष तो नहीं मिल पाया है, लेकिन बांग्लादेश सरकार मरीजों के साथ किसी तरह के भेदभाव के आरोपों का साफ खंडन कर रही है। उसका कहना है कि उनके अस्पतालों में ज्यादा बेड ही नहीं हैं, इसलिए जिन मरीजों में हल्के लक्षण होते हैं, उन्हें घर पर खुद से ही इलाज करने के लिए कह दिया जाता है।

बिहारी मुसलमानों का इलाज नहीं कर रहे बांग्लादेशी अस्पताल!

बिहारी मुसलमानों का इलाज नहीं कर रहे बांग्लादेशी अस्पताल!

कोरोना वायरस के इलाज के लिए चिन्हित किए गए ढाका के दो सरकारी अस्पतालों पर मरीजों के साथ भेदभाव के आरोप लग रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ढाका के येअस्पताल देश के सबसे भीड़भाड़ वाली झुग्गियों में रहने वालों का इलाज करने से साफ इनकार कर दे रहे हैं। ढाका में मानवाधिकारों से जुड़े एक वकील खालिद हुसैन ने आरोप लगाया है कि कोविड-19 के इलाज के लिए तैयार किए गए सरकारी अस्पताल ने दो लोगों को एडमिट करने से ये कहकर इनकार कर दिया कि उनकी हालत खराब नहीं है। उनके मुताबिक अब जिनेवा कैंप के लोगो को भी दूसरे स्थानीय अस्पताल लौटा दे रहे हैं, चाहे उनकी सेहत कैसी भी हो, क्योंकि स्टाफ को डर लग रहा है कि कहीं वह कोरोना वायरस से न संक्रमित हो जाएं। इस कैंप में बिहारी मुसलमान रहते हैं।

बिहारी मुसलमानों के साथ भेदभाव के आरोप

बिहारी मुसलमानों के साथ भेदभाव के आरोप

बिहारी समुदाय के नेता सदाकत खान फक्कू कहा कहना है कि एक शख्स कोरोना वायरस से संक्रमित था, लेकिन एक स्थानीय अस्पताल ने उसे भी वापस लौटा दिया और अब वह एक कमरे के घर में परिवार वालों के साथ क्वारंटीन कर रहा है। वहीं वकील हुसैन ने कहा कि जिनेवा कैंप के दो संक्रमितों को 20 परिवारों के साथ आइसोलेशन में रख दिया गया है, जहां इतनी भीड़ है कि सोशल डिस्टेंसिंग मुमकिन ही नहीं है। उनके मुताबिक उस झुग्गी में रहने वाले 6 लोगों की हाल में कोरोना वायरस जैसे लक्षणों के बीच मौत भी हो चुकी है, जैसे कि वायरल बुखार और सांस की समस्याएं। हालांकि, उनमें से किसी का टेस्ट नहीं किया गया था, इसलिए कोई नहीं जानता कि उन्हें कोरोना वायरस ने संक्रमित किया था या नहीं।

बांग्लादेश सरकार ने भेदभाव के आरोपों से इनकार किया

बांग्लादेश सरकार ने भेदभाव के आरोपों से इनकार किया

बांग्लादेश में उन लोगों को बिहारी मुसलमान कहा जाता है जो 1947 में भारत के बंटावारे के बाद शरणार्थियों के तौर पर वहां चले गए। ये बिहारी मुसलमान बांग्लादेश की सबसे गंदी और भीड़भाड़ वाली झुग्गियों में रहते हैं। उन्हीं में से एक जिनेवा कैंप भी है, जहां तकरीब 32,000 आबादी बिहारी मुसलमानों की है। वहां के बिहारी मुसलमान वर्षों से भेदभाव के शिकार होते रहे हैं, क्योंकि उनपर आरोप है कि 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने पाकिस्तानियों का साथ दिया था। इस समय बांग्लादेश में ऐसे करीब 5 लाख बिहारी मुसलमान देश के 116 अलग-अलग इलाकों में रह रहे हैं। हालांकि, बांग्लादेश का स्वास्थ्य विभाग बिहारी मुसलमानों के साथ भेदभाव से इनकार करता ह। उसका कहना है कि राजधानी ढाका में एक करोड़ लोग झुग्गियों में रहते हैं। ऐसे में वहां के अस्पतालों में पर्याप्त बेड नहीं है। इसलिए जिन्हें हल्के लक्षण हैं, उन्हें घर पर ही अपना इलाज करना चाहिए।

बांग्लादेश में नहीं हो पा रही ज्यादा टेस्टिंग

बांग्लादेश में नहीं हो पा रही ज्यादा टेस्टिंग

बांग्लादेश की आबादी तकरीबन 16.8 करोड़ है। वहां अब तक कोरोना वायरस के 3,800 से ज्यादा मरीज सामने आ चुके हैं, जबकि आधिकारिक तौर पर मरने वालों का आंकड़ा 120 बताया जा रहा है। लेकिन, टेस्टिंग इतनी कम हुई है कि आंकड़ों का सही आंकलन करना बहुत ही असंभव है। वहां अस्पतालों की हालत भी ऐसी बताई जा रही है कि बुधवार को टोकियो केयर सेंटर में एक स्टाफ कोरोना वायरस से संक्रमित हुआ, जिसकी वजह से 8 मासूम और नवजात भी कोविड-19 पॉजिटिव हो गए।

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English summary
Bangladesh's hospital asks are you Bihari? Do not treat corona
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