राम मंदिर निर्माण से बांग्लादेश को दोस्ती में दरार का डर, जानिए भूमिपूजन को लेकर क्या कहा ?
नई दिल्ली- अयोध्या में पवित्र राम मंदिर के निर्माण की वजह से बांग्लादेश को दोनों देशों के बीच दोस्ती में खलल पड़ने की आशंका सता रही है। हालांकि, बांग्लादेश राम मंदिर निर्माण को भारत का अंदरूनी मसला मानता है, लेकिन उसे डर है कि इसकी वजह से उसके देश में जनभावना को मायूसी हाथ लग सकती है। यह जानकारी बांग्लादेश के विदेश मंत्री के बयानों से सामने आई है। बांग्लादेश को इस बात का भी डर है कि कहीं इस मुद्दे को वहां का विपक्ष शेख हसीना सरकार के खिलाफ सियासी हथकंडे के रूप में न इस्तेमाल करे। हालांकि, इसके साथ ही बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने पाकिस्तानी पीएम इमरान खान से शेख हसीना की हुई बातचीत को सामान्य शिष्टाचार बताने की कोशिश की है।
राम मंदिर निर्माण से बांग्लादेश को दोस्ती में दरार का डर
बांग्लादेश ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर दोनों देशों के संबंधों में दूरी आने की आशंका जताई है। रविवार को बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमिन ने इस संदर्भ में कहा कि भारत को ऐसे कदम उठाने से बचना चाहिए, जिससे दोनों पड़ोसी मुल्कों के ऐतिहासिक संबंधों में दरार पड़े। बांग्लादेश में राजनीतिक जानकारों को लगता है कि 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू होने के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के सियासी विरोधियों को उनके खिलाफ नया राजनीतिक हथियार मिल सकता है। राम मंदिर निर्माण का जिक्र करते हुए बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने कहा है कि दोनों देश अपने ताल्लुकात नहीं बिगड़ने देंगे। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि भारत को ऐसे किसी भी कार्य से बचना चाहिए, जिससे कि दोनों देशों की गहरी दोस्ती में खलल पड़े।
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राम मंदिर के चलते आपसी संबंध नहीं बिगड़ने देंगे- बांग्लादेश
हिंदू में छपी खबर के मुताबिक बांग्लादेशी विदेश मंत्री ने कहा है कि 'हम इसके (राम मंदिर निर्माण) चलते आपसी संबंध नहीं बिगड़ने देंगे, लेकिन मैं अभी भी कहूंगा कि भारत को कुछ ऐसा नहीं होने देना चाहिए, जिससे कि हमारे सुंदर और गहरे संबंधों में दरार पड़े। यह हम दोनों देशों पर लागू होता है और मैं कहूंगा कि दोनों ओर से इस तरह से काम होना चाहिए कि इस तरह की अड़चनों को टाला जा सके।' जानकारी के मुताबिक बांग्लादेशी विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि दोनों देशों में सभी वर्गों के लोगों की यह जिम्मेदारी है कि अच्छे ताल्लुकात बरकरार रखें, क्योंकि ऐसे मामलों में सरकारें अकेले कुछ नहीं कर सकतीं।
इमरान से बातचीत शिष्टाचार का मसला-बांग्लादेश
इस दौरान बांग्लादेश ने वहां की पीएम शेख हसीना और पाकिस्तानी पीएम इमरान खान के बीच पिछले हफ्ते टेलीफोन पर हुई बातचीत का भी यह कहकर बचाव किया कि इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है। बांग्लादेश ने फिर दोहराया कि यह सिर्फ एक शिष्टाचार का मसला है। बांग्लादेश के विशेषज्ञों का मानना है कि भारत 'दो-राष्ट्र सिद्धांत' की ओर बढ़ रहा है। उनका कहना है कि हालांकि, मंदिर निर्माण भारत का आंतरिक मसला है, लेकिन उसके पड़ोसी मुल्कों पर इसका भावनात्मक असर पड़ेगा।
पाकिस्तान से क्या हुई बात ?
वैसे इस तरह की दलीलों को बांग्लादेश सरकार ने 'निहीत स्वार्थी तत्वों' की ओर से दोनों देशों के बीच विवाद पैदा करने की कोशिश करार दिया है। अब्दुल मोमिन ने कहा कि बांग्लादेश क्षेत्रीय शांति का समर्थन करता है और सभी से बातचीत की उम्मीद रखता है। उन्होंने आरोप लगाया की मीडिया हसीना-इमरान खान की बातचीत को लेकर बढ़ा चढ़ा कर जानकारी दे रही है, अगर पाकिस्तान ने बांग्लादेश से बात कर ही लिया तो इसमें दिक्कत क्यों होनी चाहिए। वैसे तथ्य यह है कि पाकिस्तान ने कहा है कि दोनों के बीच कश्मीर पर बात हुई, लेकिन बांग्लादेश का कहना है कि यह बातचीत कोरोना महामारी को लकर हुई। कश्मीर मुद्दे पर बांग्लादेश ने अपना मौन बरकरार रखा है। (तस्वीरें प्रतीकात्मक)