तसलीमा नसरीन का बयान, बाकी की ज़िंदगी भारत में ही बिताना चाहती हूं
लेखिका ने कहा कि मैं भारत में रहना चाहती हूं, क्योकि मैं और जाउंगी भी तो कहां। मैं यूरोप की नागरिक हूं और अमेरिका की स्थायी निवासी लेकिन मैने सांस्कृतिक समानता के कारण भारत को रहने के लिये चुना है।
तस्लीमा बोलीं कि पिछले 20 साल में बांग्लादेश से ज्यादा मेरे दोस्त भारत में बसे है। इस विचारधारा के साथ जीने पर रिश्तेदार नहीं बल्कि वे लोग अहम हो जाते हैं जिन्हें आपके सिद्धांतों पर यकीन हो। उन्होंनें उदास मन से बयान दिया कि जिस तरह के हालात हैं, उनसे मुझे कभी-कभार तकलीफ़ भी होती है।
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तसलीमा ने रेसीडेंट परमिट के लिये आवेदन किया था लेकिन उन्हें गृह मंत्रालय से एक साल की बजाय दो महीने का वीजा ही मिला। उन्होंने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और उन्हें अब दीर्घकालीन वीजा मिलने की उम्मीद जताई है।
वे बोलीं कि गृहमंत्री ने मुझसे वादा किया है कि वह मुझ दीर्घकालीन वीजा देंगे पर भारत की नागरिकता के लिये मुझे यूरोप की नागरिकता छोड़नी होगी। मैं भले ही यूरोप में रहना नहीं चाहती लेकिन अगर यहां कुछ समस्या होती है तो मैं कम से कम वहां जाने की हक़दार तो होऊंगी।
गौरतलब है कि गाजा में हो रही घटनाओं पर अपने ब्लॉग में लिख रही तसलीमा की नयी किताब भी जनवरी में आ रही है। वे बोलीं कि मैं गाजा की तकलीफों पर लिख रही हूं। उनके ताज़ा बयान से स्प्ष्ट हो गया है कि देश-दुनिया के मशहूर लेखकों की निजी-सार्वजनिक परेशानियां किस हद तक उन्हें जकड़ लेती हैं।