यहां बेटी के जन्म पर होता है जश्न, बड़ी होती है तो खुद बाप करवाता है जिस्मफरोशी, अब RTI एक्टिविस्ट ने उठाई आवाज
नई दिल्ली। अगर आपसे कहें कि भारत में एक ऐसी जगह है जहां खुद मां-बाप अपने बेटी से जिस्मफरोशी का धंधा करवाते हैं और खुद ही ग्राहक भी ढूंढ कर लाते हैं तो आप यकीन नहीं करेंगे। लेकिन बता दें कि ये सच है। इस जगह बेटी पैदा होने पर जश्न मनाया जाता है। इस जश्न के पीछे का कारण भी उतना ही भयावह है। हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के मालवा इलाके के रतलाम, मंदसौर और नीमच जिलों में निवास करने वाले बांछड़ा समुदाय की जहां लड़की होने पर जश्न इसलिए मनाया जाता है ताकि बड़ा होने पर उन्हें देह व्यापार के दलदल में धकेला जा सके। अब जो ताजा मामला सामने आया है उसके मुताबिक बांछड़ा समुदाय के लोग दूसरे समुदायों से लड़कियों को खरीद कर उन्हें देह व्यापार में धकेल रहे हैं। पेशे से वकील एक आरटीआई एक्टिविस्ट अमित शर्मा ने इस बात पर चिंता जाहिर की है और कहा है कि इस तरह इस गंदे धंधे में शामिल महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। विस्तार से जानिए पूरा मामला
बेहद अजीब है सामाजिक मान्यता
बांछड़ा समुदाय में देहव्यापार को सामाजिक मान्यता है और इसलिये इनके परिवार में लड़की का होना बड़ा अहमियत रखता है। बांछड़ा समुदाय में प्रथा के अनुसार घर में जन्म लेने वाली पहली बेटी को जिस्मफरोशी करनी ही पड़ती है। मालवा में करीब 70 गांवों में जिस्मफरोशी की करीब 250 मंडियां हैं, जहां खुलेआम परिवार के सदस्य ही बेटी के जिस्म का सौदा करते है।
बेटी के लिए ग्राहक पाकर खुश होते हैं मां-बाप
इस समुदाय में बेटी के जिस्म के लिए मां-बाप ग्राहक का इंतज़ार करते है। कोई उनकी बेटी के साथ हम बिस्तर होने के लिए राजी हो जाता है तो उन्हें ख़ुशी होती है की चलो ग्राहक तो आया। सौदा होने के बाद बेटियां अपने परिजनों सामने ही हमबिस्तर हो जाती हैं। आश्चर्य की बात यह है कि परिवार में सामूहिक रूप से ग्राहक का इंतज़ार होता है, जिसको ग्राहक पहले मिलता है उसकी कीमत परिवार में सबसे ज्यादा होती है।
ज्यादा बेटी मतलब ज्यादा कमाई
इस
समुदाय
में
यदि
कोई
लड़का
शादी
करना
चाहे
तो
उसे
दहेज़
में
15
लाख
रुपए
देना
अनिवार्य
है।
इस
वजह
से
बांछड़ा
समुदाय
के
अधिकांश
लड़के
कुंवारे
ही
रह
जाते
हैं।
यहां
पर
ये
धंधा
या
कहें
कि
गंदगी
इतनी
फैल
चुकी
है
कि
बाछड़ा
समाज
देह
मंडी
के
रूप
में
कुख्यात
है,
जो
वेश्यावृत्ति
के
दूसरे
ठिकानों
की
तुलना
में
इस
मायने
में
अनूठे
हैं,
कि
यहां
सदियों
से
लोग
अपनी
ही
बेटियों
को
इस
काम
में
लगाए
हुए
हैं।
इनके
लिए
ज्यादा
बेटियों
का
मतलब
है,
ज्यादा
ग्राहक!
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2000 से ज्यादा महिलाएं इस धंधे में शामिल
बांछड़ा समुदाय के उत्थान के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन ‘‘ नई आभा सामाजिक चेतना समिति'' के संयोजक आकाश चौहान ने बताया, ‘‘ मंदसौर, नीमच और रतलाम जिले में 75 गांवों में बांछड़ा समुदाय की 23,000 की आबादी रहती है। इनमें 2,000 से अधिक महिलायें और युवतियां देह व्यापार में लिप्त हैं।'' चौहान ने दावा किया कि मंदसौर जिले की जनगणना के अनुसार यहां 1000 लड़कों पर 927 लड़कियां हैं, पर बांछड़ा समाज में स्थिति उलट है। महिला सशक्तिकरण विभाग द्वारा वर्ष 2015 में कराये गये सर्वे में 38 गांवों में 1047 बांछड़ा परिवार में इनकी कुल आबादी 3435 दर्ज की गयी थी। इनमें 2243 महिलायें और महज 1192 पुरूष थे, यानी पुरूषों के मुकाबले दो गुनी महिलायें।
दूसरे समुदाय की लड़कियां भी हो रही हैं शामिल
वहीं नीमच जिले में वर्ष 2012 के एक सर्वे में 24 बांछड़ा बहुल गांवों में 1319 बांछड़ा परिवारों में 3595 महिलायें और 2770 पुरूष पाये गये। इस पूरे मामले में मालवा में पुलिस इंस्पेक्टर अनिरूद्व वाघिया ने बताया कि दूसरे समाज की लड़कियों को खरीदकर उनको वेश्यावृत्ति के धंधे मे धकेलना चौंकाने वाला हैं। नीमच, मन्दसौर जिले में इस तरह के अब तक करीब 70 से अधिक मामले उजागर हो चुके हैं।
इस जगह पत्नी के लिए ग्राहक ढूंढता है पति
नजफगढ़
में
रहने
वाला
पेरना
समुदाय
में
देह
व्यापार
पीढ़ियों
से
चला
आ
रहा
है।
यह
समुदाय
प्रेमनगर
और
धर्मशाला
में
बसा
हुआ
है।
यहां
पर
शादी
के
नाम
पर
लड़कियों
को
बेच
दिया
जाता
है।
ससुराल
वालों
के
लिए
भी
लड़कियां
पैसा
कमाने
का
जरिया
होती
हैं
मसलन
उन्हें
देह
व्यापार
में
उतरना
पड़ता
है।
चौंकाने
वाली
बात
ये
है
कि
इन
लड़कियों
या
औरतों
के
लिए
ग्राहक
कोई
और
नहीं
बल्कि
उनका
पति
ही
ढूंढ
कर
लाता
है।
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पत्नी
के
आरोपों
पर
बोले
मोहम्मद
शमी-
शक्की
है
हसीन
जहां,
ऐसा
नंगापन
करेगी
पता
नहीं
था
राजस्थान से दिल्ली आया था ये समुदाय
यह समुदाय साल 1964 में राजस्थान से दिल्ली आया था। शुरुआत में तो ये लोग भीख मांग कर गुजारा चलाते थे। लेकिन बाद में ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में देह व्यापार करना शुरू कर दिया। समुदाय की एक लड़की ने बताया कि दिन भर में कम से कम वो पांच ग्राहकों के साथ सोती है। ग्राहकों को खुश करने के बाद वो वापस घर आकर खाना बनाना और बाकी का काम करती है।
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