MP Bypoll: महाराज के गढ़ में सेंध लगा पाएगी कांग्रेस, जानिए क्या है बमोरी का 'गुना' गणित ?
भोपाल। मध्य प्रदेश के उपचुनाव में वैसे तो सभी 28 सीटें खास हैं लेकिन बमोरी (Bamori) सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है। ये सीट गुना लोकसभा (Guna) के अंतर्गत आती है। ये लोकसभा सीट सिंधिया परिवार से लंबे समय तक जुड़ी रही। यहां से ज्योतिरादित्य सिंधिया ही नहीं बल्कि उनके पिता माधवराव सिंधिया भी सांसद हुआ करते थे। यही वजह है कि 2 लाख वोटरों वाली इस विधानसभा में लड़ाई प्रतिष्ठा की हो रही है।
पहले गुना और बमोरी एक ही सीट थी लेकिन 2008 में ये अलग विधानसभा बना दी गई। यहां से भाजपा ने वर्तमान सरकार में मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया को उम्मीदवार बनाया है। महेंद्र सिंह सिसोदिया ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के सम्मान के लिए कांग्रेस व विधायकी दोनों छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। अब सिसोदिया का सम्मान बचाने की जिम्मेदारी सिंधिया पर भी है।
मंत्री
बनाम
पूर्व
मंत्री
में
मुकाबला
यहां
मुकाबला
सिर्फ
भाजपा
और
कांग्रेस
में
ही
नहीं
बल्कि
वर्तमान
मंत्री
और
पूर्व
मंत्री
में
भी
है
क्योंकि
सिसोदिया
के
सामने
कांग्रेस
ने
भाजपा
सरकार
में
पूर्व
मंत्री
रहे
कन्हैया
लाल
अग्रवाल
को
अपना
उम्मीदवार
बनाया
है।
हालांकि
कन्हैयालाल
पिछले
दो
बार
से
सिसोदिया
से
हारते
रहे
हैं
लेकिन
वे
एक
बार
सिसोदिया
को
हरा
भी
चुके
हैं।
कांग्रेस
के
उम्मीदवारों
के
बारे
में
पूर्व
मुख्यमंत्री
कमलनाथ
ने
कहा
है
कि
उन्होंने
सर्वे
के
आधार
पर
इसका
चयन
किया
गया
है।
बहुजन समाज पार्टी भी यहां मैदान में है। बसपा ने यहां से रमेश डाबर को अपना उम्मीदवार बनाया है। उपचुनाव में बसपा के उतर जाने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। भाजपा को उम्मीद है कि बसपा के आने से कांग्रेस वोटों का बंटवारा होगा जिससे बीजेपी को मदद मिलेगी। देखना है कि बसपा का प्रदर्शन यहां पर कैसा होता है।
अग्रवाल
के
आने
से
चुनाव
दिलचस्प
बमौरी
विधानसभा
बनने
के
बाद
से
ही
सिसोदिया
हमेशा
कांग्रेस
के
टिकट
पर
ही
दांव
आजमाते
रहे।
इसमें
एक
बार
उन्हें
हार
मिली
तो
दो
बार
वे
जीते
भी।
पहली
बार
होगा
जब
वे
दलबदलकर
भाजपा
के
टिकट
पर
मैदान
में
हैं।
वैसे
इस
चुनाव
में
दलबदल
प्रमुख
मुद्दा
नहीं
रहने
वाला
है
क्योंकि
कांग्रेस
के
उम्मीदवार
कन्हैया
लाल
अग्रवाल
भी
यहां
भाजपा
से
जीत
चुके
हैं।
कन्हैयालाल
अग्रवाल
ही
भाजपा
की
मुश्किल
भी
हैं।
पिछली बार 2018 के चुनाव में भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर अग्रवाल निर्दलीय ही चुनाव में कूद पड़े थे और 28 हजार वोटों के साथ तीसरे नंबर पर थे जबकि पहले नंबर पर रही कांग्रेस और दूसरे नंबर पर रही भाजपा के बीच का अंतर 27 हजार वोटों का था। ऐसे में अगर अग्रवाल अपने व्यक्तिगत वोटों को साथ लाने में फिर सफल होते हैं और कांग्रेस के वोटरों का भी समर्थन मिला तो भाजपा के लिए यहां चुनाव मुश्किल हो सकता है।
ये
रहा
हैं
यहां
का
इतिहास
2008
में
बमोरी
विधानसभा
बनने
के
बाद
पहली
बार
यहां
कन्हैया
लाल
अग्रवाल
ने
भाजपा
के
टिकट
पर
कांग्रेस
के
महेंद्र
सिंह
सिसोदिया
को
हराया
था।
अग्रवाल
शिवराज
सरकार
में
राज्यमंत्री
भी
बने
और
एक
बार
फिर
भाजपा
ने
2013
में
उन्हें
उम्मीदवार
बनाया
लेकिन
इस
बार
कांग्रेस
के
महेंद्र
सिंह
सिसोदिया
ने
उन्हें
18,561
वोट
के
अंतर
से
पराजित
कर
दिया।
2018
में
कांग्रेस
प्रत्याशी
सिसोदिया
ने
भाजपा
के
ब्रजमोहन
सिंह
आजाद
को
27929
वोटों
से
भारी
अंतर
से
हरा
दिया।
अग्रवाल
इस
चुनाव
में
भाजपा
से
बागी
होकर
निर्दलीय
लड़े
थे
और
तीसरे
नंबर
पर
रहे
थे।
अग्रवाल
को
28,488
वोट
मिले
थे।
MP उपचुनाव: सांची की चौधराहट के लिए भाजपा और कांग्रेस ने लगाया पूरा दांव, कौन बनेगा चौधरी ?