उत्तराखंड: चंपावत में मना पत्थरबाजी का पर्व 'बग्वाल', 120 लोग घायल
देहरादून। उत्तराखंड के चंपावत में पत्थरबाजी का पर्व 'बग्वाल' मनाया गया। एक स्थानीय देवता को खुश करने के लिए एक अनुष्ठान के हिस्से के तहत यह पत्थरबाजी त्योहार मनाया जाता है। फल-फूल से बग्वाल खेलने के बावजूद 120 से ज्यादा रणबांकुरे इस युद्ध में घायल भी हुए। बगवाल में चार खाम और सात थोकों रणबांकुरों ने प्रतिभाग किया। बग्वाल युद्ध का नजारा देखने के लिए देश विदेश से लोगों का पहुंचे। सुरक्षा व्यवस्था के लिए भारी संख्या में पुलिस व पीएसी के जवानों की तैनाती कर दी गई है।
चंपावत जिले के बाराही धाम देवीधूरा में ऐतिहासिक बगवाल खेली गई। करीब दस मिनट तक चले बगवाल युद्ध में 122 रणबांकुरे घायल हुए। बग्वाल में चार खाम और सात थोकों रणबांकुरों ने प्रतिभाग किया। परंपरागत रूप से ये खाम हैं- चम्याल खाम, बालिक खाम, लमगडिया खाम, और गहरवाल होते हैं। ये चारों दल दो समूहों में बंट जाते हैं और इसके बाद युद्ध होता है। चंपावत जिले के बाराही धाम देवीधुरा में आज खोलीखाड़ दुर्बाचौड़ मैदान में खेली गई ऐतिहासिक बग्वाल के हजारों लोग साक्षी बने। करीब दस मिनट तक चले बग्वाल युद्ध में 122 लोग घायल हुए, जिन्हें प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई।
देवीधुरा के असाड़ी कौतिक में आज बरसात के बावजूद खूब भीड़ थी। बग्वाल को देखने के लिए उत्तराखंड और अन्य राज्यों के हजारों श्राद्धालु देवीधुरा पहुंचे थे। ऐतिहासिक खोलीखांण दूबाचौड़ मैदान में सुबह से भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। दोपहर तक भारी भीड़ एकत्र हो गई। बग्वाल दोपहर 2.06 मिनट से शुरू हुई और 2.15 पर खत्म हो गई। एक बार ऐतिहासिक बग्वाल मात्र 15 मिनट खेली गई। पहले इस युद्ध में दोनों ओर से पत्थर फेंके जाते थे।दरअसल पहले मां बाराही को नरबलि दी जाती थी। उसके विकल्प के रूप में चारों कामों ने आपसी सहमति से यह बग्वाल की परंपरा शुरु की थी।
यह त्योहार हर साल रक्षाबंधन के अवसर पर देवी बाराही के मंदिर में आयोजित किया जाता है। ऐतिहासिक बग्वाल को देखने के लिए पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी, पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री और सांसद अजय टम्टा, विधायक पूरन सिंह फर्त्याल, राम सिंह कैंडा सहित सैकड़ों लोग शामिल रहे।
Uttarakhand: 'Bagwal' stone pelting festival held in Champawat, part of a ritual to appease a local deity. More than 120 people injured. The festival is held every year at the temple of goddess Barahi on the occasion of #RakshaBandhan. pic.twitter.com/bU0lKODXt3
— ANI (@ANI) August 15, 2019
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