रांची: सिस्टर-नन ने कबूला गुनाह, 50 हजार से 1 लाख में बेचे थे नवजात
रांची। झारखंड पुलिस ने कथित तौर पर बेचे गए 4 शिशुओं में 3 को बरामद कर लिया है। संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी की एक नन और सिस्टर ने कबूल कर लिया है कि उन्होंने 50, 000 हजार से 1.20 लाख में शिशुओं को बेचा था। झारखंड पुलिस के एसएसपी आशीष गुप्ता ने बताया कि नन और सिस्टर कोनसिलिया को हिरासत में ले लिया है। रांची पुलिस के सामने कबूल करते हुए सिस्टर कोनसिलिया ने कहा है कि उसने 50-50 हजार रुपयों में दो बच्चों को बेचा है, जबकि एक बच्चे को 1 लाख 20 हजार में बेचा था।
इस मामले में नन के कबूलनामे के अलावा एक वीडियो भी सामने आया है। वीडियो में संस्था की एक कर्मचारी सिस्टर कोनसिलिया यह कबूल करते हुए नजर आ रही हैं कि उसने बच्चे बेचे हैं, जबकि एक बच्चे को बिना पैसों के ही दे दिया था। सिस्टर कोनसिलिया ने वीडियो में यह भी कहा है कि बच्चा बेचने की बात उसने किसी को भी नहीं बताई थी और इस बारे में सिस्टर (हेड सिस्टर) को भी नहीं मालूम था। इस बारे में सिर्फ उन्हें और करिश्मा ही जानते थे।
वीडियो में सिस्टर बोल रही हैं कि करिश्मा (शिशु की मां) 19 मार्च 2018 को हमारे पास आई थीं। वह रो रही थीं और कह रही थीं उनके बच्चे की कोई मदद करने वाला नहीं है। कोनसिलिया वीडियो में आगे कहती हैं, 'मैंने अनिमा (मिशनरी की स्टाफर) से कहा कि करिश्मा को कुछ पैसे मिलेंगे। अनिमा ने पूरी डील कराई। उसने कैसे सबकुछ अरेंज कराया, मुझे नहीं पता। कुछ दिनों बाद मुझे पता चला कि एक कपल को शिशु दे दिया गया है। मुझे तो 1 लाख 20 हजार रुपए की डील के बारे में भी नहीं पता था, मुझे बस इतना पता था कि 90,000 रुपए में डील हुई है।
वहीं, अनिमा ने भी पुलिस को कबूलनामा भेजा है, जिसमें उसने लिखा है कि वह संस्था में पांच साल से काम कर रही थी और उसने सिस्टर कोनसिलिया के साथ मिलकर बच्चों को बेचा है। जानकारी के मुताबिक, रांची पुलिस ने बच्चों की बिक्री के मामले में मदर टेरेसा की संस्था मिशनरी ऑफ चैरिटीज की सिस्टर एवं कर्मचारी को पूछताछ के लिए चार दिनों की रिमांड पर लिया है। नन ने अपने कबूलनामे में शिशु बेचे जाने के बाद पैसे के लेन-देन में गड़बड़ी की बात बताई है।
यह मामला तब खुला जब उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के ओबरा निवासी सौरभ अग्रवाल और प्रीति अग्रवाल ने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडबल्यूसी) के पास शिकायत दर्ज कराई कि उन्हें उनका बच्चा वापस नहीं दिया जा रहा है। इस बच्चे को उन्होंने 5 मई को 1.20 लाख में खरीदा था। नवजात को मिशनरीज की कर्मचारी अनिमा ने सिस्टर कोनसिलिया की मिलीभगत से अग्रवाल दंपती को बेच दिया था। उस वक्त नवजात चार दिन का ही था।
इधर, 30 जून को सीडबल्यूसी के सदस्यों ने संस्था का दौरा किया था, इससे डरकर अनिमा ने उसी दिन अग्रवाल दंपति को फोन कर कहा कि बच्चे को अदालत में पेश करना है, उसे लेकर रांची आ जाइए। अनिमा के कहने पर कपल ने बच्चा लौटाया, लेकिन बाद में बच्चा उन्हें वापस नहीं मिला तो इस कहानी सारी परतें खुलती चली गईं।
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