दुधमुंही बच्ची करती रही इंतज़ार, प्रदर्शन करने गए दंपति हुए गिरफ़्तार
उत्तर प्रदेश में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के मामले में अब तक एक हज़ार से ज़्यादा लोग गिरफ़्तार किए जा चुके हैं. गिरफ़्तार लोगों में वाराणसी के रवि शेखर और उनकी पत्नी एकता भी हैं. दोनों को गिरफ़्तार करके जेल भेज दिया गया है लेकिन उनकी चौदह महीने की मासूम बेटी इसी इंतज़ार में है कि उसके मम्मी-पापा चॉकलेट लेकर आते होंगे.
उत्तर प्रदेश में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के मामले में अब तक एक हज़ार से ज़्यादा लोग गिरफ़्तार किए जा चुके हैं. गिरफ़्तार लोगों में वाराणसी के रवि शेखर और उनकी पत्नी एकता भी हैं.
दोनों को गिरफ़्तार करके जेल भेज दिया गया है लेकिन उनकी चौदह महीने की मासूम बेटी इसी इंतज़ार में है कि उसके मम्मी-पापा चॉकलेट लेकर आते होंगे.
नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ 19 दिसंबर को हुए प्रदर्शन में वाराणसी में भी काफ़ी हिंसा हुई थी.
हिंसा के बाद से ही एक ओर जहां पुलिस की कथित ज़्यादती और प्रदर्शन के दौरान हिंसा की तस्वीरें सामने आ रही हैं, वहीं गिरफ़्तारियों की ज़द में कुछ ऐसे लोग भी आ गए हैं जो शांतिपूर्ण प्रदर्शन में शामिल होने गए थे और उसके हिंसक होने की उम्मीद उन्हें भी नहीं थी.
रवि शेखर और उनकी पत्नी एकता पर्यावरण के मुद्दों पर काम करते हैं और वाराणसी की सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं.
वाराणसी में महमूरगंज के रहने वाले रवि और एकता अपनी मासूम बच्ची को उसकी दादी और बड़ी मम्मी के हवाले करके प्रदर्शन में शामिल होने गए थे.
रवि की बुज़ुर्ग मां शीला तिवारी कहती हैं, "मेरे बेटे ने कोई गुनाह नहीं किया है. समझ में नहीं आ रहा है कि पुलिस ने उन्हें क्यों गिरफ्तार किया? दोनों शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे और इस तरह के कार्यक्रमों में अक़्सर दोनों जाते रहते हैं. अब यह छोटी सी दुधमुंही बच्ची बिना मां के रह रही है. हम लोग उसकी देखभाल कर रहे हैं लेकिन इतनी छोटी बच्ची बिना मां के कैसे रह पाएगी, आप ख़ुद ही सोच सकते हैं."
रविशेखर और उनकी पत्नी एकता को 19 दिसंबर को ही वाराणसी के बेनियाबाग इलाक़े में प्रदर्शन के दौरान ये कहते हुए हिरासत में लिया गया था कि वो धारा 144 का उल्लंघन कर रहे हैं.
रवि के बड़े भाई शशिकांत ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "ये लोग साठ सत्तर लोगों के समूह के साथ उधर मार्च कर रहे थे. पुलिस ने जब रोका तो सबने गिरफ़्तारी दे दी. उस वक़्त कहा गया कि शांतिभंग में चालान करके वापस भेज दिया जाएगा. लेकिन दो दिन तक बैठाए रखा गया और फिर 21 दिसंबर को कई धाराओं में एफ़आईआर करके जेल भेज दिया गया. धाराएं भी कोई गंभीर नहीं हैं, फिर भी ज़मानत नहीं मिल पाई."
रविशेखर और एकता समेत 56 नामज़द और कुछ अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ 332, 353, 341 जैसी धाराओं में मुक़दमे पंजीकृत किए गए हैं. शशिकांत कहते हैं कि उन लोगों के सामने एक ओर इन दोनों की ज़मानत कराने की समस्या सामने है तो दूसरी ओर छोटी बच्ची को सँभालने की.
बच्ची को लाख समझाया जाता है लेकिन वो पापा और मम्मी को पूछती ही रहती है. रविशेखर की मां शांति तिवारी बताते-बताते रुआंसी हो जाती हैं, "कुछ खा-पी भी नहीं रही है ठीक से. मां-बाप की तस्वीर की ओर देखकर उन्हें पुकारती है. झूठा दिलासा देते हैं हम लोग कि तुम्हारे मम्मी-पापा ऑफ़िस गए हैं, अभी आ जाएंगे."
वहीं वाराणसी पुलिस का कहना है कि जो भी लोग गिरफ़्तार किए गए हैं, उनके ख़िलाफ़ हिंसा भड़काने के पर्याप्त साक्ष्य हैं.
वाराणसी के ज़िलाधिकारी कौशलराज शर्मा कहते हैं, "जिन्हें भी गिरफ़्तार किया गया है, उसके पर्याप्त आधार हैं. ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से लोगों के इकट्ठा होने की वजह से शहर में तनाव बढ़ गया था. तमाम तरह के भड़काऊ नारे लिखे हुए पोस्टर्स मिले हैं."
नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी लोगों ने बढ़ चढ़कर प्रदर्शन किया था.
बेनियाबाग इलाक़े में हज़ारों की संख्या में लोग जब सड़क पर उतरे तो अचानक हालात बेक़ाबू होने लगे और पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा.
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा जिससे काफ़ी देर तक अफ़रा-तफ़री मची रही. हालांकि रवि शेखर के परिजनों के मुताबिक, उन लोगों को हंगामे से पहले ही हिरासत में ले लिया गया था.
रविशेखर के भाई शशिकांत के मुताबिक दोनों ने कई राष्ट्रीय संगोष्ठियों में भी सहभागिता की है और वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कई जगह प्रेजेंटेशन भी दिए हैं.