बाबरी मस्जिद मामला: जज ने दो गवाहों को दिया झटका, लिखित बहस की मांग वाली अर्जी खारिज
नई दिल्ली- अयोध्या की बाबरी मस्जिद विध्वंस केस की सुनवाई कर रहे स्पेशल सीबीआई जज ने मंगलवार को अभियोजन पक्ष के दो गवाहों को झटका दिया है। ये गवाह इस केस में लिखित बहस (तर्क) दायर करने की मांग कर रहे थे। लेकिन, अदालत ने कहा कि वे लोग इस मामले में पीड़ित नहीं थे, इसीलिए उनकी अर्जी खारिज कर दी गई। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में लखनऊ की स्पेशल कोर्ट को 30 सितंबर तक फैसला सुनाने को कहा है।
लखनऊ की स्पेशल सीबीआई जज एसके यादव ने मंगलवार को अभियोजन पक्ष के दो गवाहों की वह अर्जी खारिज कर दी है, जिसमें उन्होंने अदालत से बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लिखित बहस दायर करने की इजाजत मांग रहे थे। असल में कोर्ट ने माना कि इस मामले में वे दोनों पीड़ित नहीं थे। बता दें कि इस मामले में भाजपा के बुजुर्ग नेता एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 32 लोग आरोपी हैं, जिनके खिलाफ मुकदमे की सुनवाई हो रही है।
इससे पहले इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे की सुनवाई कर रहे विशेष जज एसके यादव की ट्रायल की स्टेटस रिपोर्ट देखने के बाद कहा था कि इस मामले की सुनवाई 30 सितंबर तक पूरी कर ली जाए। बता दें कि इससे पहले यह समय-सीमा 31 अगस्त तक के लिए ही निर्धारित की गई थी, लेकिन बाद में यह मियाद एक महीने बढ़ा दी गई। इस केस में आडवाणी बीते 24 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अपना बयान दर्ज करवा चुके हैं। चार घंटे से भी ज्यादा चली इस सुनवाई के दौरान बुजुर्ग नेता से 100 से भी ज्यादा सवाल पूछे गए थे। बाद में आडवाणी के वकील ने बताया कि उन्होंने सभी आरोपों से इनकार किया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई को सुनवाई के बाद स्पेशल कोर्ट को 31 अगस्त तक ट्रायल पूरा करने को कहा था। बता दें कि यह मामला 28 साल पुराना है, जब अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बनी बाबरी मस्जिद को कारसेवकों ने 6 दिसंबर,1992 को गिरा दिया था।