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बाबरी मस्जिद के दावेदारों को अब चाहिए ढांचे का बचा हुआ मलबा, जानिए राम लला के सखा ने क्या कहा ?

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नई दिल्ली- माना जा रहा है कि अप्रैल महीने की शुरुआत में रामनवमी के दिन से अयोध्या में रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण का काम शुरू हो जाएगा। वह जगह 1992 में से करीब-करीब उसी अवस्था में पड़ी हुई है। लगभग तीन दशकों से वहां पर भगवान राम लला की पूजा एक अस्थाई मंदिर में होती आई है और बाबरी मस्जिद के ढांचे का मलबा भी उसी परिसर में पड़ा हुआ है। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद को हमेशा-हमेशा के लिए मिटा दिया है, तब मुस्लिम पक्ष कम से कम बाबरी ढांचे के मलबे को ही यादों के तौर पर सहेज कर रखना चाहते हैं। आने वाले दिनों वह इस मसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी जाने की तैयारी कर रहे हैं। बाबरी मस्जिद के दावेदारों की इस मांग पर हिंदू पक्षों ने भी सहानुभूति जताई है। इसमें सबसे खास प्रतिक्रिया भगवान राम लला के सखा त्रिलोकी नाथ पांडे से मिली है। उन्होंने कहा है की सामाजिक भाईचारे के लिए यह बहुत ही जरूरी है।

मुस्लिम पक्ष को चाहिए बाबरी मस्जिद का मलबा

मुस्लिम पक्ष को चाहिए बाबरी मस्जिद का मलबा

बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमेटी जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में दरख्वास्त देकर बाबरी ढांचे के बचे हुए मलबे पर दावा ठोकेगा। कमेटी चाहती है कि अयोध्या में रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का कार्य शुरू होने से पहले बाबरी ढांचे का मलबा उसके कब्जे में आ जाए। बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने टाइम्स ग्रुप से बातचीत में कहा कि, 'हमनें अपने वकील राजीव धवन से बात की है और उनका भी यही विचार है कि बाबरी मलबे पर दावा जरूर पेश करना चाहिए। अगले हफ्ते कमेटी दिल्ली में इस मामले को लेकर अदालत में जाने के संबंध में एक बैठक करेगी। मुझे अयोध्या के लोगों ने भरोसा दिलाया है कि मलबा जमा करने के लिए जमीन मिल जाएगी।' ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बाबरी मस्जिद सेल के अध्यक्ष एसक्यूआर इलयास ने कहा है, 'हम अयोध्या विवाद से जुड़े अपने वादियों के जरिए सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे और मंदिर निर्माण शुरू होने से पहले मस्जिद का मलबा हटा लेना महत्वपूर्ण है।'

राम लला के सखा ने कहा- इससे भाईचारा बढ़ेगी

राम लला के सखा ने कहा- इससे भाईचारा बढ़ेगी

अयोध्या के प्रमुख इमाम सैय्यद एखलाक अहमस ने इस बात की पुष्टि की है कि बाबरी मस्जिद का मलबा रखने के लिए जमीन की तलाश कर ली गई है। मलबे को श्रीराम जन्मभूमि से हटाए जाने को लेकर भगवान राम लला के सखा त्रिलोकी नाथ पांडे ने कहा है कि इसमें हिंदुओं को कोई आपत्ति नहीं है और इससे भाईचारा ही बढ़ेगी। पांडे के मुताबिक, 'अगर मुसलमान मस्जिद का मलबा ले जाते हैं तो इसमें हम लोगों को कोई दिक्कत नहीं है। इससे भाईचारा बढ़ेगी और सांप्रदायिक सौहार्द कायम रहेगा।'

'शहर से बाहर जमीन देना फैसले का उल्लंघन'

'शहर से बाहर जमीन देना फैसले का उल्लंघन'

इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने पिछले साल 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या विवाद पर सुनाए गए फैसले को लेकर एक बड़ा दावा कर दिया है। जिलानी के मुताबिक अदालत ने कहा था कि अगर मस्जिद के लिए जमीन 67.7 एकड़ के परिसर से बाहर दी जाती है तो वह 'अयोध्या शहर में ही' दी जानी चाहिए। उनका दावा है कि फैसले में अयोध्या 'जिले' का कहीं भी जिक्र नहीं किया गया है। उन्होंने कहा 'फैसले में यह पूरी तरह से स्पष्ट है। अयोध्या 'जिले' का नहीं अयोध्या शहर का जिक्र किया गया है। लेकिन, मस्जिद के लिए जमीन अयोध्या शहर से बहुत दूर दी गई है। यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है।'

जमीन को लेकर क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला ?

जमीन को लेकर क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला ?

अगर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नजर डालें तो मस्जिद को जमीन देने को लेकर अदालत ने दो जगहों पर इसका जिक्र किया (पैराग्राफ 801 और 805) है। पैराग्राफ 801 में यह गया है कि, 'हम निर्देश देते हैं कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को केंद्र सरकार की ओर से अधिग्रहित जमीन में से या उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अयोध्या शहर के भीतर जमीन आवंटित की जाए।' जबकि, पैराग्राफ 805 में कहा गया है, 'केंद्र सरकार की ओर से अयोध्या ऐक्ट,1993 के तहत अधिग्रहित जमीन में से या राज्य सरकार की ओर से अयोध्या में एक उपयुक्त प्रमुख स्थान पर जमीन आवंटित की जाएगी।' राज्य सरकार ने दूसरा विकल्प चुना है और यह जमीन फैजाबाद के पास लखनऊ-अयोध्या हाइवे पर राम जन्मभूमि से करीब 25 किलोमीटर दूर धन्नीपुर गांव में आवंटित की गई है।

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English summary
Babri Masjid claimants now need the leftover debris of the structure, Ram Lala's Friend said, we have no objection
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