Babri Demolition Case Verdict: स्पेशल CBI जज एसके यादव का बढ़ाया गया था कार्यकाल
लखनऊ। सीबीआई की विशेष अदालत ने आज 28 साल पुराने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले पर निर्णायक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। बता दें कि इस मामले में कुल 49 आरोपी थे, जिसमें से 17 आरोपियों की मौत हो चुकी है। ऐसे में जीवित सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है। इस मामले की सुनवाई जज एसके यादव कर रहे थे जिनका कार्यकाल का आज समाप्त हो रहा है।
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जज एसके यादव ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
आपको बता दें कि जज एसके यादव अपने पद पर तयशुदा वक्त से एक साल ज्यादा साल कार्यरत हैं, दरअसल, इस केस के लिए खासतौर पर उनका कार्यकाल बढ़ाया गया था, वो आज के फैसले के बाद रिटायर हो जाएंगे, बाबरी मस्जिद मामले पर यह एसके यादव का अंतिम फैसला है, गौर करने वाली बात ये है कि आज से पूरे एक साल पहले यानी कि 30 सितंबर 2019 को जज एसके यादव रिटायर होने वाले थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने होने नहीं दिया था।
एक साल पहले ही जज एसके यादव का कार्यकाल बढ़ाया गया था
कोर्ट अपने अनुच्छेद 142 के तहत अधिकार के तहत स्पेशल CBI जज एसके यादव का कार्यकाल बढ़ाया था। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल कोर्ट को अगस्त 2020 तक इस केस का ट्रायल पूरा करने की डेडलाइन दी थी और कहा था कि कोर्ट जल्द से जल्द इस मामले में फैसला सुनाए, जिसके बाद स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने बाबरी विध्वंस केस में आखिरी फैसला सुनाने के लिए आज की तारीख तय की थी।
कोर्ट ने वीडियो रिकॉर्डिंग्स को फ्रेबिकेटेड माना
आज के फैसले में बाब जज एसके यादव ने अपनी ब्रीफिंग में कई बातें कहीं। उन्होंने कहा कि बाबरी विध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी ।वीएचपी नेता अशोक सिंघल के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं हैं। विवादित ढांचा गिराने की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। ये घटना अचानक हुई थी, सीबीआई ने जो वीडियो दाखिल की थी, उसे कोर्ट ने टैंपर्ड माना, कोर्ट ने कहा कि वीडियो को सीलबंद लिफाफे में नहीं जमा किया गया था, कोर्ट ने सीबीई की तरफ से जमा करवाए गए सारे वीडियो रिकॉर्डिंग्स को फ्रेबिकेटेड कहा और इसे साक्ष्य मानने से इनकार कर दिया और सभी आरोपियों को बरी कर दिया।
कोर्ट में 351 गवाहों को पेश किया गया था
आपको बता दें कि अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को विध्वंस किया गया था। बाबरी मस्जिद विध्वंस ने भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद सबसे घातक दंगों को जन्म दिया और लगभग इसमें 2,000 लोग मारे गए थे। इस मामले में कोर्ट में 351 गवाहों को पेश किया गया और 600 दस्तावेज भी साक्ष्य के रूप में पेश हुए थे। सीबीआई ने जांच के बाद 49 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। जिसमें 17 लोगों की मौत हो गई और 32 लोगों पर ही केस चला, जिनमें एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, चंपत राय, महंत धर्मदास, स्वामी साक्षी महाराज, महंत नृत्य गोपाल दास, पवन कुमार पांडेय, ब्रज भूषण सिंह, रामविलास वेदांती सहित जैसे कई नामचीन नाम शामिल थे, जिन्हें आज बरी कर दिया गया।