बाबरी मामलाः फैसला सुनाने वाले पूर्व विशेष जज की सुरक्षा बढ़ाने से SC ने किया इंकार
नई दिल्ली। 28 वर्ष पुराने बाबरी विध्वंस मामले में फैसला सुनाने वाले विशेष अदालत के पूर्व जज सुरेंद्र कुमार यादव की निजी सुरक्षा बढ़ाने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया है। इस हाई प्रोफाइल मामले में सभी 32 आरोपियों को विशेष जज रहे एसके यादव ने बरी कर दिया था। आरोपियों में वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी शामिल थे। सभीको 30 सितंबर को निर्देोष करार दिया गया था, जिससे 28 वर्ष पुराने मुकदमे का अंत हो गया था।
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जस्टिस आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ पूर्व जज एसके यादव के सुरक्षा बढ़ाने वाले आवेदन पर विचार कर रही थी और सोमवार सुबह सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि गत 30 सितंबर को लिखे पत्र के अनुसार हम सुरक्षा प्रदान करना उचित नहीं समझते हैं। पत्र में पूर्व जज ने मामले की संवदेनशीलता को देखते हुए अपनी निजी सुरक्षा का जारी रखने का आग्रह किया था।
गौरतलब है 60 वर्षीय पूर्व जज एसके यादव वर्ष 2019 में रिटायर होने वाले थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दशकों पुराने मामले की सुनवाई के लिए उनका कार्यकाल बढ़ा दिया था और रिटारमेंट के अंतिम दिन पूर्व जज ने सुनाए अपने फैसले में सभी 32 आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया था।
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पूर्व जज ने अपने फैसले में कहा कि केवल उत्तेजक भाषण देने के लिए विवादित ढांचे को गिराने का अपराध साबित करना पर्याप्त नहीं था। फैसले में कहा गया कि आरोपी नेताओं ने असामाजिक तत्वों को रोकने की कोशिश की और उनमें से किसी के खिलाफ साजिश का हिस्सा होने का कोई निर्णायक सबूत नहीं मिला।
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अयोध्या विवादित ढांचे पर फैसले की सुनवाई में 351 सीबीआई गवाहों और लगभग 600 साक्ष्यों को शामिल किया गया था। मामले की सुननाई पूर्व विशेष जज ने गत 1 सितंबर को खत्म कर दी थी और सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित समय सीमा को पूरा करने के लिए अगले दिन से उन्होंने फैसला लिखना शुरू कर दिया था।
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