Ayodhya Verdict: आखिर ASI के किस प्रमाण के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है अपना फैसला
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लखनऊ। अयोध्या विवाद का आज आखिरकार अंत हो गया है। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने आज अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में शिया वक्फ बोर्ड की याचिका को खारिज कर दिया, साथ ही निर्मोही अखाड़े के दावे को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने फैसले में कहा कि मस्जिद के लिए पांच एकड़ की जमीन अलग से मुहैया कराई जाए। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मंदिर निर्माण के लिए एक कमेटी का गठन किया जाए।
आस्था और विश्वास पर मालिकाना हक नहीं
कोर्ट ने अपना फैसला ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के आधार पर ही देते हुए कहा कि मस्जिद को खाली जमीन पर नहीं बनाया गया था। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि इस बात की कोई पुख्ता जानकारी नहीं है कि मस्जिद को मंदिर तोड़कर ही बनाया गया था। कोर्ट ने कहा है कि ढांचा को गिराया जाना कानून का उल्लंघन था। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को स्पष्ट किया है कि आस्था और विश्वास के आधार पर जमीन के मालिकाना का हक नहीं दिया जा सकता है।
रिपोर्ट को खारिज नहीं किया
एएसआई की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज नहीं किया है, हालांकि कोर्ट ने एएसआई की रिपोर्ट को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया है। कोर्ट ने एएसआई की उस जांच को स्वीकार किया है जिसमे कहा गया है कि खुदाई में जो ढांचा पाया गया है वह मस्जिद का नहीं है। कोर्ट ने एएसआई की इसी रिपोर्ट को आधार बनाते हुए अपना फैसला सुनाया और शिया बोर्ड की उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमे कहा गया था कि विवादित स्थल को उन्हें सौंप देना चाहिए क्योंकि मस्जिद को शिया लोगों ने बनवाया था।
पाए गए थे मंदिर के अवशेष
बता दें कि एएसआई ने विवादित स्थल की खुदाई 15 साल पहले शुरू की थी। यह खुदाई इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद शुरू हुई थी। खुदाई में एएसआई के वैज्ञानिकों की एक टीम ने परीक्षण किया था। जिसके बाद कहा गया है कि विवादित ढांचे के नीचे प्राचीन मंदिर के अवशेष पाए गए हैं। एएसआई के इन तथ्यों के आधार पर ही इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपना अहम फैसला सुनाया था। कोर्ट में हिंदू पक्ष की ओर से पद्म पुराण और स्कंद पुराण का हवाला दिया गया था, जिसमे रामजन्मस्थान की सटीक जानकारी दी गई है।