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अयोध्या: गुरु नानक देव का राम जन्मभूमि से क्या संबंध है, जिसका फैसले में हुआ जिक्र ?

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नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि के पक्ष में जो ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, उसमें सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का भी बहुत अहम रोल रहा है और अदालत ने उसका जिक्र भी किया है। दरअसल, अदालत ने माना है कि गुरु नानक देव जी ने बाबर के आक्रमण से भी पहले अयोधिया जाकर भगवान राम की जन्मभूमि के दर्शन किए थे। इस बात के प्रमाण गवाहों की गवाही और धार्मिक पुस्तकों के जरिए मिले हैं। अपने फैसले में अदालत ने कहा भी है कि मस्जिद बनने से भी पहले गुरु नानक देव जी का वहां दर्शन के लिए पहुंचना हिंदुओं की आस्था और विश्वास का समर्थन करता है। सबसे बड़ी बात ये है कि जब यह फैसला सुनाया जा रहा था, लगभग उसी दौरान गुरु नानक देव जी से जुड़े दरबार साहिब की यात्रा के लिए करतारपुर कॉरिडोर भी खोला जा रहा था और आने वाले 12 नवंबर को उनका 550वां प्रकाश-उत्सव भी मनाया जा रहा है।

गुरु नानक देव जी का राम जन्मभूमि से कनेक्शन

गुरु नानक देव जी का राम जन्मभूमि से कनेक्शन

सुप्रीम कोर्ट के सामने राम जन्मभूमि विवाद की सुनवाई के दौरान गवाहों के बयान और जो दस्तावेज मौजूद थे, उससे यह बात साबित होती है कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी आक्रमणकारी बाबर के भारत आने से पहले ही भगवान राम की जन्मभूमि के दर्शन के लिए अयोध्या पहुंचे थे। गुरु नानक देव जी 1510 से 1511 के बीच अयोध्या आए थे, जबकि बाबरी मस्जिद 1528 में बनाई गई थी। शनिवार के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि 1510 से 1511 के बीच भगवान राम की जन्मभूमि के दर्शन के लिए गुरु नानक का अयोध्या आना हिंदुओं की इस आस्था और विश्वास का समर्थन करता है कि वह स्थान भगवान राम का जन्मस्थान है। कोर्ट के मुताबिक जन्म सखियों में भी इस बात का विस्तार से उल्लेख है कि गुरु नानक देव जी अयोध्या आए और उन्होंने भगवान राम की जन्मभूमि के दर्शन किए। बता दें कि गुरु नानक देव की जीवनी को जन्म सखी कहते हैं। जज ने कहा, '1510-1511 में गुरु नानक देव जी की यात्रा और भगवान राम की जन्मभूमि के दर्शन हिंदुओं की आस्था और विश्वास का समर्थन करता है।'

राम जन्मस्थान को लेकर हिंदुओं की अटूट आस्था की वजह

राम जन्मस्थान को लेकर हिंदुओं की अटूट आस्था की वजह

अदालत ने ये भी कहा कि भगवान राम के जन्मस्थान को लेकर हिंदुओं की जो आस्था और विश्वास है, वह वाल्मीकि रामायण और स्कंद पुराण समेत कई शास्त्रीय और पवित्र धर्म ग्रंथों की वजह से है, जिसे आधारहीन नहीं माना जा सकता। जज ने कहा कि, 'इस प्रकार, 1528 से पहले के पर्याप्त पुस्तक मिलते हैं, जिससे हिंदू मानते हैं कि राम जन्मभूमि की वर्तमान जगह ही भगवान राम का जन्मस्थान है।' अदालत ने ये भी कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के सामने एक गवाह ने भी जिरह के दौरान सिख पंथ से जुड़ी ऐसी अनेकों पुस्तकों और इतिहास का हवाला दिया है, जिससे पता चलता है कि गुरु नानक देव जी ने अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर में दर्शन किए थे। अपने बयान के साथ गवाह ने अनेक जन्म सखी भी लगाए हैं, जिसमें उनकी राम जन्मभूमि के दर्शन का वर्णन है।

करतारपुर कॉरिडोर की ओपनिंग के साथ फैसले का अद्भुत संयोग

करतारपुर कॉरिडोर की ओपनिंग के साथ फैसले का अद्भुत संयोग

संयोग देखिए कि जिस दिन सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया, उसी दिन करतारपुर कॉरिडोर की भी शुरुआत की गई, जिसे गुरु नानक देवी जी की 550वीं जयंती के अवसर पर तैयार किया गया है। अदालत ने अपने फैसले में उनके भगवान राम की जन्मभूमि के दर्शन के लिए अयोध्या जाने का जिक्र करते हुए 12 नवंबर को आने वाले उनके 550वें प्रकाश-पर्व का भी जिक्र किया है। बता दें कि करतारपुर कॉरिडोर पंजाब के गुरदासपुर स्थित बाबा डेरा नानक को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब से जोड़ता है।

इसे भी पढ़ें- अयोध्या: SC के फैसले के बाद कांग्रेस कभी नहीं पूरा कर पाएगी ये वादा

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English summary
Ayodhya Verdict,What is Guru Nanaks relation with Ram Janmabhoomi, which is mentioned in the judgment
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