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Ayodhya verdict: क्या है 'अनुच्छेद 142' , SC ने अपने फैसले में इसका इस्तेमाल क्यों किया?

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नई दिल्ली। शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, कोर्ट ने कहा कि अयोध्या में विवादित स्थल पर ही राम मंदिर बनेगा जबकि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ की अलग से जमीन दी जाए, जिस पर वो मस्जिद बना सकें, राम मंदिर निर्माण के लिए कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने यह फैसला सर्वसम्मति से सुनाया।

क्या है अनुच्छेद 142 ?

क्या है अनुच्छेद 142 ?

अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 142 के तहत मिली विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मुस्लिम पक्ष को ज़मीन दे रहे हैं, जिसके बाद हर किसी के मन में ये सवाल उठ रहा है कि आखिर अनुच्छेद 142 है क्या, तो चलिए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में...

क्या है अनुच्छेद 142 ?

दरअसल भारतीय संविधान ने देश की सर्वोच्च अदालत को अनुच्छेद 142 के रूप में खास शक्ति प्रदान की है, जिसके तहत किसी व्यक्ति को पूर्ण न्याय देने के लिए कोर्ट जरूरी निर्देश दे सकता है और इसके तहत इसके तहत कोर्ट अपने फैसले में ऐसे निर्देश शामिल कर सकती है, जो उसके सामने चल रहे किसी मामले को पूरा करने के लिये बेहद जरूरी हो, इस दौरान कोर्ट किसी व्यक्ति की मौजूदगी और किसी दस्तावेज की जांच के लिए आदेश और कोर्ट की अवमानना और सजा को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाने का निर्देश भी जारी कर सकता है।

इस खास जगहों में हुआ है अनुच्छेद 142 का प्रयोग

इस खास जगहों में हुआ है अनुच्छेद 142 का प्रयोग

  • साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाने के मामले में इसका प्रयोग किया था, वो मामला केस को रायबरेली से लखनऊ में शिफ्ट करने का था।
  • भोपाल गैस त्रासदी मामले में कोर्ट ने पीड़ितों के लिए मुआवजे के ऐलान के समय इसका इस्तेमाल हुआ था।
  • जेपी समूह और घर खरीदने वालों के केस में इसका प्रयोग हुआ था।

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निर्मोही अखाड़े की सक्रिय भूमिका

निर्मोही अखाड़े की सक्रिय भूमिका

अपने फैसले को सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए ये भी कहा कि विवादित जमीन से कई सालों के जुड़ाव और निर्मोही अखाड़े की सक्रिय भूमिका को देखते हुए उसे उचित प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। मंदिर निर्माण के लिए बनाए जाने वाले नए ट्रस्ट में उसे जगह दी जानी चाहिए।

 सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दी ये प्रतिक्रिया

सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दी ये प्रतिक्रिया

इस बारे में प्रतिक्रिया देते हुए सुन्नी वक्फ बोर्ड ने साफ किया है कि वो अदालत के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगा, सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से जफर फारुकी ने कहा कि हम अयोध्या विवाद पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं, हमने पहले ही साफ किया था कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएगा उसे दिल से माना जाएगा इसलिए हमारी ओर से पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की जाएगी और हम सबसे अपील करते हैं कि सभी को भाईचारे के साथ इस फैसले का सम्मान करना चाहिए, जल्द ही बोर्ड की बैठक बुलाई जाएगी, जो 15 दिन के अंदर ही होगी, इस बैठक में पांच एकड़ जमीन लेने के मामले पर निर्णय लिया जाएगा।

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English summary
The Supreme Court, implicitly referring to the demolition of the Babri Masjid at the disputed site, said that it was invoking Article 142 to ensure that a wrong committed must be remedied. here is full explantion of Article 142.
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