अयोध्या फैसला: पुनर्विचार याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, इन्होंने दायर किया था रिव्यू पिटिशन
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या रामजन्मभूमि विवाद पर फैसले के बाद भी यह मुद्दा अभी शांत नहीं हुआ है। उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने रिव्यू पिटिशन दायर की थी। इस पर अब सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा। मुस्लिम पक्ष के अलावा निर्मोही अखाड़े ने भी 9 नवंबर को कोर्ट के तरफ से सुनाए गए फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी। निर्मोही अखाड़ा ने अपनी याचिका में जमीन को लेकर नहीं बल्कि शैबियत राइट्स, कब्जे और लिमिटेशन के बारे में फैसले पर सवाल उठाया था।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या रामजन्मभूमि पर फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन को रामलला का बताया था और मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से असंतुष्ट ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने पुनर्विचार याचिका दायर किया। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की तरफ से मौलाना सैयद अशहद रशीदी और एम सिद्दीक के वारिस ने रिव्यू पिटिशन दायर किया था।
क्या
था
निर्मोही
अखाड़ा
का
दावा
निर्मोही
अखाड़ा
ने
दावा
किया
था
कि
वे
राम
जन्मभूमि
मंदिर
में
स्थापित
भगवान
राम
की
प्रतिमा
के
शेबैती/उपासक
हैं
और
मंदिर
की
मरम्मत
और
पुर्ननिर्माण
का
अधिकार
उसी
के
पास
है।
निर्मोही
अखाड़ा
ने
17
दिसंबर,
1959
को
अपने
महंत
के
माध्यम
से
फैजाबाद
की
दीवानी
अदालत
में
मुकदमा
दायर
कर
यह
दावा
किया
था
कि
जब्ती
संबंधी
मजिस्ट्रेट
के
आदेश
और
धारा
145
के
तहत
रिसीवर
की
नियुक्ति
से
उसका
जन्मस्थान
और
मंदिर
के
प्रबंधन
के
उसके
''पूर्ण
अधिकार''
पर
प्रभाव
पड़ा
है।
इसपर
तत्कालीन
चीफ
जस्टिस
रंजन
गोगोई
की
अध्यक्षता
वाली
पांच
सदस्यीय
संविधान
पीठ
ने
कहा
था
कि
हालांकि,
मौखिक
गवाही
से
यह
स्थापित
होता
है
कि
निर्मोही
अखाड़ा
विवादित
जमीन
के
आसपास
मौजूद
था।