Ayodhya Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन राम जन्मभूमि को देने का आदेश दिया
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित जमीन पर अपना एतिहासिक फैसला सुना दिया है। पांच जजों का संवैधानिक पीठ जिसकी अगुवाई मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई कर रहे हैं, उसकी ओर से विवादित जमीन राम जन्मभूमि को देने का आदेश दिया गया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले के दूसरे पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन अयोध्या में कहीं भी देने का आदेश भी दिया है। साल 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका के खिलाफ अपना फैसला दिया है।
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मंदिर बनने का रास्ता साफ
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ ही अयोध्या की पूरी विवादित जमीन हिंदू पक्ष को सौंप दी गई है। सुन्नी वक्फ बोर्ड को अब पांच एकड़ जमीन या तो केंद्र सरकार या फिर राज्य सरकार की ओर से दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से केंद्र सरकार को आदेश दिया गया है कि तीन माह के अंदर योजना बनाकर बोर्ड को जमीन सौंपी जाए। इसके साथ ही अब विवादित जमीन पर मंदिर बनाने का रास्ता साफ हो गया है।
अपनी बात साबित करने में असफल मुस्लिम पक्ष
फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस बात पर जोर दिया कि कानून, राजनीतिक विचारधारा, धर्म और आस्था से ऊपर है। कोर्ट ने यह भी कही कि मुस्लिम पक्ष इस बात को कायम करने में असफल रहा कि विवादित जमीन पर कोई मस्जिद थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही ट्रस्ट का निर्माण करने का आदेश भी सरकार को दिया है।
क्या है राम जन्मभूमि न्यास
इस पक्ष को वीएचपी की तरफ से समर्थन मिला है और यह संतों की सर्वोच्च संस्था है। इस संस्था की तरफ से ही सन् 1990 से देश भर में राम मंदिर आंदोलन को आगे बढ़ाने की मुहिम चलाई जा रही है। इस ट्रस्ट को वीएचपी ने शुरू किया था और जनवरी 1993 में इसकी शुरुआत हुइ थी। दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद को ढहाया गया था। इसके तुरंत बाद संस्था की शुरुआत का मकसद राम मंदिर के निर्माण कार्य को आगे बढ़ाना था।