Ayodhya Verdict: क्या था निर्मोही अखाड़े का दावा, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज
Ayodhya Verdict: क्या था निर्मोही अखाड़े का दावा,जिसे SC ने किया खारिज
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नई दिल्ली। अयोध्या विवादित जमीन मामले में देश की सर्वोच्च अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवादित जमीन मामले में फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन पर राम मंदिर के निर्माण का फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि न्यास को विवादित जमीन देने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार तीन महीने के भीतर ट्रस्ट बनाकर राम मंदिर का निर्माण करेगी। वहीं मुस्लिम पक्ष को वैकल्पिक जगह जी जाएगी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन दी जाएगी।
क्या था निर्मोही अखाड़े का दावा
कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े के दावे को नकार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज करते हुए कहा कि अखाड़े का दावा लिमिटेशन से बाहर है। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज कर जिया। अपने दावे में निर्मोही अखाड़े की लिखित दलील में कहा था कि विवादित भूमि का आंतरिक और बाहरी अहाता भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में मान्य है। उन्होंने खुद को रामलला के सेवायत बताया और दावा किया कि इसपर हमारे अधिकार में सदियों से रहा है।
निर्मोही अखाड़े की दलील
निर्मोही अखाड़े ने अपनी दलील में कहा कि हम रामलला के सेवायत है इसलिए रामलला के मंदिर के पुनर्निर्माण, रखरखाव और सेवा का अधिकार उन्हें मिलना चाहिए। निर्मोही अखाड़े ने 23 दिसंबर 1949 को अपनी पहली अपील दायर की। इसके बाद साल 1950 में फैजाबाद सिविल कोर्ट में अयोध्या मामले में दो अर्जी दाखिल की गई। इस याचिका में से एक में राम लला की पूजा की इजाजत और दूसरे में विवादित ढांचे में भगवान राम की मूर्ति रखे रहने की इजाजत मांगी गई। साल 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने तीसरी अर्जी दाखिल की। इस अर्जी में निर्मोही अखाड़ा ने मांग की कि उन्हें राम जन्मभूमि का प्रबंधन और पूजन का अधिकार मिले। साल 1961 में यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अर्जी दाखिल कर विवादित जगह के पजेशन और मूर्तियां हटाने की मांग की।
कौन हैं निर्मोही अखाड़े
आपको बता दें कि निर्मोही अखाड़ा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त 14 अखाड़ों में से एक है। निर्मोही अखाड़े का संबंध वैष्णव संप्रदाय से है । महंत भास्कर दास इसके अध्यक्ष हैं।